वृंदावन, 29 जून। Masturbation : आज के दौर में जहां युवा वर्ग मानसिक, शारीरिक और डिजिटल व्याकुलताओं से जूझ रहा है, वहीं श्री प्रेमानंद महाराज जी ने हाल ही में अपने एक प्रवचन में ऐसा विषय उठाया जो अक्सर चुपचाप समझा जाता है, लेकिन खुलकर कहा नहीं जाता। महाराज जी ने हस्तमैथुन जैसे संवेदनशील विषय पर एक गंभीर, ईमानदार और मार्गदर्शक चर्चा कर युवाओं को न केवल चौंकाया, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक दृष्टि से सोचने पर मजबूर भी कर दिया।
“जिस ऊर्जा से ब्रह्मचर्य मजबूत होता है, उसी ऊर्जा को व्यर्थ बहा रहे हो”
अपने वृंदावन आश्रम में एक सत्संग के दौरान जब एक युवा ने इस विषय पर सवाल किया, तो महाराज जी ने मुस्कराते हुए कहा, “तुम जिस बात को छुपाते हो, वो तुम्हारा सबसे बड़ा बंधन बन जाती है। हां, ये सत्य है कि युवा अवस्था में शरीर की उर्जा बलवान होती है, लेकिन उसी शक्ति का नियंत्रण ही तुम्हारी आगे की सफलता और साधना की नींव बनेगी।”
हस्तमैथुन: दोष नहीं, लेकिन लत है घातक
महाराज जी ने स्पष्ट किया कि-
- शारीरिक आकर्षण कोई अपराध नहीं, यह प्रकृति है।
- लेकिन जब यह आदत या लत बन जाती है, तब यह शरीर, मन और आत्मा तीनों को कमजोर करने लगती है।
- बार-बार उस ऊर्जा को बाहर निकालना आत्म-हत्या जैसा है – धीरे-धीरे तुममें न इच्छा शक्ति बचेगी, न ध्यान की क्षमता।
युवाओं को दी 5 सूत्रों वाली साधना-संयम की राह
महाराज जी ने इस विषय से जूझ रहे युवाओं को 5 महत्वपूर्ण उपाय भी बताए:
- संगति बदलो – जो चीजें तुम्हारे मन को भटकाती हैं, उनसे दूर रहो।
- शरीर को व्यस्त रखो – खाली मन शैतान का घर है। योग, खेल, सेवा से मन लगाओ।
- सोने से पहले मोबाइल से दूरी – रात्रि काल में कल्पना सबसे अधिक भटकाती है।
- जप और ध्यान को दिनचर्या बनाओ – नाम जप से चित्त की दिशा बदलती है।
- अपने विचारों को लिखो और उन पर नज़र रखो – मन का लेखा-जोखा तुम्हें खुद से जोड़ता है।
“ब्रह्मचर्य कोई दमन नहीं, दिशा है”
उन्होंने कहा, “शिव बनने के लिए शक्ति चाहिए। वो शक्ति भीतर से आती है, उसे सहेजना पड़ता है। जो ऊर्जा आज तुम्हें विकारों में दिख रही है, उसी से भविष्य में शांति, भक्ति और विवेक की मशाल जलेगी। बस, उसे बहाना नहीं, संभालना सीखो।”
संत की वाणी में छुपी युवा मन की चिकित्सा
प्रेमानंद महाराज जी की यह चर्चा केवल धार्मिक नहीं थी, मानसिक और व्यवहारिक स्तर पर गहराई से जुड़ी हुई थी। यह प्रवचन उन हज़ारों युवाओं के लिए मार्गदर्शन और संबल है, जो इस विषय को अपराध समझकर गिल्ट में जीते हैं, या लत में बह जाते हैं। महाराज जी ने दिखा दिया कि सच्ची अध्यात्मिकता (Masturbation) डर नहीं, दिशा देती है।