रायपुर, 03 सितंबर। Ministers Appointmen : छत्तीसगढ़ में मौजूदा सरकार द्वारा 14 मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर उठे संवैधानिक सवाल पर मंगलवार को हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। मामला विधानसभा की संख्या के अनुपात में मंत्रियों की अधिकतम सीमा से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
क्या कहती है याचिका?
कांग्रेस कार्यकर्ता वासुदेव चक्रवर्ती द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 164(1ए) के तहत, 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में अधिकतम 13 मंत्री ही हो सकते हैं। लेकिन मौजूदा सरकार ने 14 मंत्रियों की नियुक्ति की है, जो याचिकाकर्ता के अनुसार, असंवैधानिक है।
कोर्ट की टिप्पणी और निर्देश
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने मामले को गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक समान मामले का अध्ययन करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। अदालत ने साफ किया कि इससे पहले कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।
राज्य सरकार का पक्ष
राज्य सरकार की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि यह मसला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार के समय से संबंधित मामला 22 जुलाई 2020 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, और अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं आया है।
सरकार का तर्क था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला निपटता नहीं, तब तक इस विषय में कोई ठोस फैसला उपयुक्त नहीं होगा।
याचिकाकर्ता की दलील
वासुदेव चक्रवर्ती का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट का मामला खारिज हो चुका है, और इस पर पुनः कार्यवाही नहीं हो रही। हालांकि राज्य सरकार ने इसका खंडन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के अद्यतन दस्तावेज पेश किए और कहा कि मामला अब भी लंबित है।
कोर्ट की संतुलित टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि, हम इस मामले में तुरंत फैसला सुना सकते थे, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में यही विषय लंबित है, तो अंतिम निर्णय वहीं से आना बेहतर होगा।
पिछली सुनवाई में अदालत ने याचिकाकर्ता से उनके सामाजिक कार्यों का शपथपत्र भी मांगा था।
अगली सुनवाई
अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जाएगी, जब तक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के संबंधित मामले का अध्ययन कर अपने पक्ष के साथ उपस्थित हो।