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गरियाबंद, 22 जनवरी। Naxali Body Recovered : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र के भालूडिगी पहाड़ों में रविवार से जारी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। रविवार की रात से शुरू हुई मुठभेड़ में अब तक 14 नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें 1 करोड़ का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपति भी शामिल है। सुरक्षा बलों ने मारे गए नक्सलियों के पास से बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद किए हैं।

मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों की बड़ी संख्या मौजूद थी और सुरक्षा बलों ने उन्हें घेर लिया था। यह मुठभेड़ मैनपुर के भालूडिगी पहाड़ी क्षेत्र में जारी है, जहां सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी हो रही है। बताया जा रहा है कि करीब 50 नक्सली अभी भी सुरक्षा बलों के घेरे में हैं।

हथियार, विस्फोटक सामग्री और अन्य सामान बरामद

सुरक्षा बलों की कार्रवाई के दौरान कई नक्सली मारे गए, जिनके पास से आधुनिक हथियार, विस्फोटक सामग्री और अन्य सामान बरामद किया गया। यह मुठभेड़ नक्सलियों के खिलाफ छेड़े गए ऑपरेशन का हिस्सा है।

बता दें कि छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर ऑपरेशन चल रहा है। यह छत्तीसगढ़ पुलिस, ओडिशा पुलिस, CRPF और कोबरा का जॉइंट ऑपरेशन है। इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों की कुल 10 टीमें शामिल हैं, जिसमें 3 टीमें ओडिशा से, 2 टीमें छत्तीसगढ़ पुलिस की और 5 टीमें CRPF की हैं। जवान इलाके के सर्चिंग ऑपरेशन पर निकले हुए थे, तभी नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया।

एनकाउंटर की सूचना मिलते ही वरिष्ठ अधिकारी भी मैनपुर पहुंच गए हैं। इलाके में भारी सुरक्षाबल तैनात किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से भाटीगढ़ स्टेडियम को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है। सर्चिंग के दौरान 3 IED भी बरामद किए गए हैं।

अधिकारी ने बताया कि उड़ीसा के नुआपाड़ा जिले की सीमा से लगभग पांच किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट रिजर्व वन में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी के आधार पर 19 जनवरी की रात को अभियान शुरू किया गया था। बताया कि सोमवार को अभियान के दौरान दो महिला नक्सलियों को मार गिराया गया और मुठभेड़ स्थल से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल सहित बड़ी संख्या में हथियार, गोला-बारूद और बारूदी सुरंग बरामद किए गए।

सुरक्षा बलों की सराहना

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुरक्षा बलों की सराहना करते हुए कहा कि डबल इंजन सरकार (केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार) के तहत छत्तीसगढ़ निश्चित रूप से मार्च 2026 तक इस खतरे से मुक्ति पा लेगा।