Even before the formation of the NDA government, there were numerous demands for the cabinet...! See here who asked for what in sequenceNDA
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नई दिल्ली, 05 जून। NDA : लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने के बाद अब नई सरकार को लेकर उठापटक शुरू हो गयी है। आज शाम दिल्ली में बीजेपी ने नेतृत्व वाले एनडीए की अहम बैठक होने वाली है, लेकिन इन सबके बीच खबर आ रही है कि एनडीए के सहयोगियों ने सरकार गठन से पहले ही बीजेपी पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है।

सूत्र बता रहे हैं कि जेडीयू ने भी 3 कैबिनेट मंत्रियों की मांग की है। इसके अलावा शिवसेना के एकनाथ शिंदे भी 1 कैबिनेट और 2 MOS चाहते हैं। इसके अलावा चिराग पासवान 1 कैबिनेट और 1 राज्य मंत्री की मांग कर सकते हैं। जीतन राम माझी भी मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनना चाहते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, टीडीपी सहित अन्य सहयोगी दलों की तरफ से भी डिमांड आ रही है। सबसे बड़ी डिमांड लोकसभा स्पीकर पद को लेकर रहने वाली है जिस पर टीडीपी दावा ठोकने लगी है। कहा जा रहा है कि नायडू 5 से लेकर 6 या फिर इससे ज्यादा भी मंत्रालय मांग सकते हैं।

ये मंत्रालय मांग सकती है TDP

1. लोकसभा स्पीकर का पद

2. सड़क-परिवहन

3. ग्रामीण विकास

4. स्वास्थ्य

5. आवास एवं शहरी मामले

6. कृषि

7. जल शक्ति

8. सूचना एवं प्रसारण

9. शिक्षा

10. वित्त (MoS)

एनडीए को मिला है बहुमत

आपको बता दें कि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने लोकसभा चुनाव में 292 सीटें जीतीं, जबकि विपक्षी भारत ब्लॉक 234 सीटों पर आगे रहा। भाजपा 240 सीटों पर विजयी रही, जो 272 के बहुमत के आंकड़े से कम है। जबकि कांग्रेस 99 सीट जीतने में कामयाब रही, जो 2019 की 52 सीटों की तुलना में 47 सीटें अधिक है। एनडीए का वोट शेयर भी इस बार कम हुआ है। 

NDA के 5 बड़े सहयोगी

क्रमांकपार्टीसीटें
1.टीडीपी16
2.जेडीयू12
3.शिवसेना7
4.LJP (रामविलास)5
5.जेडीएस2

स्पेशल स्टेटस मांग सकते हैं नायडू

मंत्रालय में इन डिमांड्स के अलावा चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस भी मांग सकते हैं। यह उनकी काफी पुरानी मांग रही है। बता दें कि स्पेशल स्टेटस का दर्जा ऐसे राज्यों को दिया जाता है, जो ऐतिहासिक रूप से देश के बाकी हिस्सों की तुलना में पिछड़े हुए हैं। इसका फैसला राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) लेता रहा है। तेलंगाना के अलग होने के बाद से ही चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस यानी विशेष राज्य का दर्जा मांगते रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि हैदराबाद के तेलंगाना के पास जाने के बाद आंध्र प्रदेश की आर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है।