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नई दिल्ली, 19 सितंबर। One Nation-One Election : ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की संभावएं तलाशने के लिए मोदी सरकार ने कोविंद कमेटी का गठन किया था। गुरूवार को मोदी कैबिनेट ने उस कमेटी के प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है, अब मुमकिन है कि शीतकालीन सत्र में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर संसद में बिल लाया जाए और अगर बिल पास होता है, तो 2029 से पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएं।

कोविंद कमेटी के प्रस्तावों के मुताबिक पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होंगे और फिर दूसरा फेज 100 दिनों के भीतर होगा, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनाव होंगे, लेकिन विपक्ष कह रहा है कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ मुमकिन नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पूरे देश में एक चुनाव हो सकता है। अगर हां तो कैसे?

प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किला से अपने पहले संबोधन में जो वादा किया था, उसे पूरा करने की तैयारी कर ली है। देश में सभी चुनाव एक साथ कराए जाने का रास्ता धीरे धीरे साफ हो रहा है। मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। वहीं कांग्रेस कह रही है कि एक देश एक चुनाव नहीं चलने वाला है।

62 सियासी दलों से ली गई राय

समिति ने एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 62 सियासी दलों से राय ली थी। इन राजनीतिक दलों में से 32 ने समर्थन, 15 ने विरोध और 15 ने इस पर जवाब देने से इनकार कर दिया था।जेडीयू ने जहां बिल का समर्थन किया है, तो वहीं चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने मामले में अपनी राय नहीं दी है। इतना ही नहीं मायावती ने इसका समर्थन किया है।

80% लोगों का समर्थन

इसे लेकर 2015 में संसदीय समिति ने भी अपनी सिफारिश की थी। प्रधानमंत्री मोदी भी पिछले कई वर्षों से अलग-अलग मंचों के जरिये एक देश-एक चुनाव की बात मजबूती से उठाते रहे हैं। एक सवाल के जवाब में वैष्णव ने बताया कि संसद में जल्द ही इसे लेकर विधेयक पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि कोविन्द समिति की सिफारिशों को आगे बढ़ाने के लिए एक क्रियान्वयन समूह बनाया जाएगा और अगले कुछ महीनों के दौरान इसे लागू करने के उपायों पर देशभर में चर्चा की जाएगी। इस दौरान सरकार इस पर आमसहमति बनाने की दिशा में काम करेगी। यह विषय ऐसा है जो देश को मजबूत बनाएगा। वैष्णव ने कहा कि विपक्षी पार्टियां अब शायद अंदरूनी दबाव महसूस करेंगी क्योंकि समिति की परामर्श प्रक्रिया के दौरान 80 प्रतिशत लोगों खासकर युवाओं ने इसका काफी समर्थन किया था।

ये लाभ होंगे

देश को बार-बार चुनाव के भंवर में नहीं फंसना होगा।

विकास कार्यों की रफ्तार सुस्त नहीं पड़ेगी।

अभी चुनाव के चलते नए कामकाज रुक जाते हैं।

देश पर बार-बार के चुनावों के कारण वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।

केंद्र और राज्य के बीच कटुता की स्थिति नहीं बनेगी।

बता दें कि वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए मोदी सरकार ने पिछले साल सितंबर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कमेटी ने इस साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी।

रिपोर्ट में दिया ये प्रस्ताव

  1. सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए. 2. बहुमत नहीं मिलता है और अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
  2. पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।
  3. 100 दिनों के भीतर दूसरा फेज होगा, जिसमें शहरी और ग्रामीण निकाय चुनाव कराए जाएंगे।
  4. सभी चुनावों के लिए कॉमन इलेक्टोरल रोल तैयार किय़ा जाएगा।
  5. एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।