नई दिल्ली, 13 जून। Operation Rising Lion : इज़रायल ने ईरान के खिलाफ एक बड़े सैन्य अभियान की शुरुआत की, जिसे ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ कहा गया। इस हमले में तेहरान सहित कई प्रमुख ईरानी शहरों में विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं, और कई महत्वपूर्ण सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया।
प्रमुख हमले और लक्ष्य
- नतांज परमाणु संयंत्र: यह ईरान का प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्र है, जिसे इज़रायल ने अपने हमले का मुख्य लक्ष्य बनाया।
- खोंडाब और खोरेमाबाद परमाणु साइट्स: इन ठिकानों पर भी हमले किए गए, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।
- ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी की हत्या: ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी की इस हमले में मौत हो गई।
- ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या: दो प्रमुख ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों, फरेदुन अब्बासी-देवानी और मोहम्मद मेहदी तेहरांची की भी इस हमले में मौत हो गई।
इज़रायल का रुख और बयान
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को “देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक” बताते हुए कहा कि ईरान के पास पर्याप्त यूरेनियम है जिससे वह परमाणु बम बना सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन “जब तक जरूरत होगी तब तक जारी रहेगा”।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी अधिकारियों ने इस हमले से खुद को अलग किया, हालांकि उन्होंने क्षेत्र में अपने सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात की। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ईरान के साथ एक नया परमाणु समझौता करने की वकालत की थी।
- ईरान: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इस हमले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया की धमकी दी है। उन्होंने इसे “लाल रेखा” पार करने जैसा बताया और गंभीर परिणामों की चेतावनी दी।
क्षेत्रीय प्रभाव और सुरक्षा उपाय
इस हमले के बाद, इराक ने अपने एयरस्पेस (Operation Rising Lion) को बंद कर दिया है, और तेल की कीमतों में 7% से अधिक की वृद्धि हुई है। इज़रायल में सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया गया है, और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह घटना मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकती है और वैश्विक राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकती है।