मुर्शिदाबाद, 28 जून। Padm Shree भारत सेवाश्रम संघ से जुड़े कर्तिक महाराज पर एक महिला ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला ने आरोप लगाया है कि महाराज ने नौकरी का झांसा देकर न सिर्फ धोखा दिया बल्कि मानसिक दबाव डालकर जबरन शारीरिक संबंध भी बनाए। इस मामले में मुर्शिदाबाद जिले के नबग्राम थाने में एफआईआर दर्ज की गई है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
क्या हैं आरोप?
- पीड़िता के अनुसार, वर्ष 2013 में कर्तिक महाराज उसे मुर्शिदाबाद स्थित भारत सेवाश्रम संघ के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक की नौकरी दिलाने का वादा कर उसे वहाँ ले गए।
- उसे स्कूल में नियुक्त भी कर दिया गया, और रहने के लिए आश्रम परिसर में एक कमरा दिया गया।
- महिला का आरोप है कि रात में कर्तिक महाराज उसके कमरे में आए और शारीरिक संबंध बनाने का प्रस्ताव रखा। विरोध करने पर उसे मानसिक दबाव और भय दिखाकर मजबूर किया गया।
पुलिस की कार्रवाई
- नबग्राम थाना में भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज हो चुका है।
- पीड़िता का बयान दर्ज कर लिया गया है और उसका मेडिकल परीक्षण भी कराया जा रहा है।
- पुलिस ने आश्रम और स्कूल से जुड़े लोगों से भी पूछताछ शुरू कर दी है।
कर्तिक महाराज का पक्ष
- कर्तिक महाराज ने सभी आरोपों को बेबुनियाद और षड्यंत्रपूर्ण बताया है।
- उनका कहना है कि वे एक सन्यासी हैं और सन्यास मार्ग में ऐसे “अवरोध” आते हैं।
- उन्होंने भरोसा जताया कि कानून और न्याय व्यवस्था पर उन्हें पूरा भरोसा है और उनका कानूनी पक्ष उनके वकील कोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।
राजनीतिक जुड़ाव से बढ़ी संवेदनशीलता
- कर्तिक महाराज को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के करीबी माना जाता है।
- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले भी उन पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगा चुकी हैं, विशेष रूप से चुनावों के दौरान।
- इस वजह से यह मामला केवल कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील हो गया है।
भारत सेवाश्रम संघ की चुप्पी
- अभी तक भारत सेवाश्रम संघ की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
- आश्रम के स्थानीय पदाधिकारी भी मीडिया के सवालों से बचते नजर आ रहे हैं।
आगे क्या?
- पुलिस इस मामले में फॉरेंसिक साक्ष्य, डिजिटल कम्युनिकेशन, और सीसीटीवी फुटेज जैसी तकनीकी जांच में भी जुटी है।
- यदि आरोपों की पुष्टि होती है तो यह मामला देशभर में सामाजिक व धार्मिक संस्थानों की छवि को गहरा झटका दे सकता है।
यह मामला न केवल कानून और समाज के लिए गंभीर (Padm Shree) है, बल्कि ऐसे प्रतिष्ठित सम्मानित व्यक्तियों की भूमिका को लेकर भी सार्वजनिक आस्था पर प्रश्न खड़े करता है।