Panchkula Suicide Case : बुराड़ी जैसा कांड…! एक साथ जली 7 चिताएं…! कार के शीशे पर लटका तौलिया…20 करोड़ का कर्ज और परिवार का दुखद अंत…यहां देखें

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पंचकूला, 28 मई। Panchkula Suicide Case : सोमवार की रात पंचकूला के एक सुनसान इलाके में खड़ी मारुति अर्टिगा गाड़ी के अंदर से एक ऐसा मंजर सामने आया जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। प्रवीण मित्तल, देहरादून निवासी, गाड़ी में अपनी पत्नी, तीन मासूम बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता के साथ मृत पाए गए।

सभी शव इन परिस्थितियों में पाए गए

सभी ने जहरीला पदार्थ खा लिया था।
गाड़ी अंदर से लॉक थी, एसी चालू था।
पुलिस को अंदर से एक ‘सुसाइड नोट’ मिला जिसमें लिखा था – अब कोई रास्ता नहीं बचा।

फर्श से अर्श की कहानी

कभी करोड़पति थे प्रवीण मित्तल, फिर कैसे आई बर्बादी?
हिमाचल प्रदेश के बद्दी में प्रवीण मित्तल की स्क्रैप फैक्ट्री थी।
करोड़ों का टर्नओवर, शानदार जीवनशैली, सम्मानित व्यापारी वर्ग में गिनती होती थी।

फर्श की हकीकत

व्यापार में घाटा हुआ।
बैंकों ने संपत्तियां जब्त कर लीं।
करीब 15-20 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया।
रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ लिया।
दोस्तों ने साथ छोड़ दिया।
गिरते हुए हालात में टैक्सी चलाने लगे
देहरादून लौटे, अपनी पहचान छुपा कर टैक्सी चलाने लगे।
पर कर्ज, बच्चों की पढ़ाई, घर का खर्च, सब दबाव बनते गए।

मरने से पहले

मरने से पहले प्रवीण ने कहा- एक स्थानीय निवासी ने बताया कि प्रवीण ने घटना से कुछ समय पहले उनसे कहा, हमें जाने दो, अब और नहीं सहा जाता। किसी ने मदद नहीं की। उनकी आंखों में गहरी थकान और अंतहीन निराशा थी।

मृतकों की पहचान

प्रवीण मित्तल
पत्नी
तीन बच्चे सभी की उम्र 4 से 12 साल के बीच
बुजुर्ग माता-पिता
एक बच्ची की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हुई।

सुसाइड नोट में लिखा था

“मैं ही दोषी हूँ।
“हमने बहुत कोशिश की, लेकिन कोई साथ नहीं आया।
“बच्चों के भविष्य का बोझ अब सहन नहीं हो रहा।

अब समाज से सवाल

क्या व्यापार में असफल होना अपराध है?
क्या रिश्तेदारों का काम सिर्फ अच्छे समय में साथ होना है?
क्या मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को हम अभी भी नजरअंदाज कर सकते हैं?

सीख और चेतावनी

यह कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी मध्यम वर्गीय परिवार मानसिक दबाव और सामाजिक उपेक्षा के कारण मौत को गले लगा चुका है। हरियाणा के पंचकूला में एक ही परिवार के सात लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर के सभी को चौंका दिया है. माता-पिता, पति-पत्नी और तीन बेटों ने जहर खा लिया और सभी की मौत हो गई। इन लोगों ने जब ऐसा किया तो हर किसी को बुराडी केस याद आ गया, जहां एक ही घर में 11 लोगों की लाश एकसाथ मिली थी।यह मामला आज भी अनसुलझा है, लेकिन ये सिर्फ सामूहिक आत्महत्या के एक या दो केस नहीं है, बल्कि देश में ऐसे कई और केस हैं, जहां लोग सामूहिक रूप से जिंदगी की जंग हार गए।

जरूरी संदेश

यदि आप या कोई जानने वाला तनाव, निराशा या वित्तीय संकट से गुजर रहा है, तो अकेले न रहें।

मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन (भारत सरकार) 1800-599-0019
iCall (TISS) 9152987821

मदद मांगना कमजोरी नहीं, ज़िंदगी की समझदारी (Panchkula Suicide Case) है।