एटा, 17 जनवरी। Pind Daan : उत्तर प्रदेश के एटा जिले में दो दिन पहले सोमवार को जिंदा रहते हुए जिस हाकिम सिंह ने अपनी तेरहवीं और पिंडदान (कर्मकांड) किया था। उसकी बुधवार सुबह मौत हो गई। ग्रामीण और परिजनों के मुताबिक, मंगलवार रात को हाकिम सिंह खाना खाकर सोए थे। बुधवार सुबह देर तक नहीं उठने पर परिजनों ने उठाने की कोशिश की तो वह मृत मिले। दरअसल, सोमवार को ही हाकिम सिंह ने कार्ड बांटकर करीब 700 लोगों को भोज कराया था।
पत्नी छोड़कर चली गई थी
हाकिम सिंह एटा के सकीट कस्बे के मुंशी नगर मोहल्ले के निवासी थे। उम्र करीब 60 साल थी। हाकिम भजन-कीर्तन करते थे। सभी ग्रामीण साधु कहते थे। वह भी सन्यासी सा जीवन जी रहे थे। भगवा रंग के कपड़े पहनते थे। हाकिम सिंह की पारिवारिक स्तर से शादी नहीं हुई थी, लेकिन बाद में बिहार से एक महिला को साथ लेकर रहने लगे थे। चर्चा थी कि दोनों ने शादी कर ली है, लेकिन कई साल साथ रहने के बाद भी कोई संतान नहीं हुई थी। बाद में बिहार की महिला (पत्नी) हाकिम सिंह को छोड़कर चली गई थी। तब से अकेले हो गए थे। हाकिम सिंह अपने भाई और भतीजों के साथ रहते थे।
जमीन बेंचकर की थी तेरहवीं
हाकिम सिंह ने आरोप लगाया था कि उसके भाई-भतीजों ने उनके हिस्से की जमीन पर कब्जा कर लिया था। उनके साथ मारपीट भी करते थे। हाकिम सिंह का कहना था कि उसे विश्वास नहीं है कि मरने के बाद भाई या भतीजे उसका कर्मकांड करेंगे। कुछ दिनों से तबीयत खराब रहने के कारण उसने सोमवार को ही खुद की तेरहवीं (Pind Daan) की थी। तेरहवीं के कार्ड छपवाकर लोगों को न्योता दिया था। करीब 700 लोगों को भोज कराया था। उसका कहना था कि कर्मकांड कराने से मरने के बाद उसे मोक्ष मिल सकेगा। कर्मकांड कराने के लिए हाकिम सिंह अपने हिस्से की बची हुई 10 बिस्वा जमीन बेची थी। उससे मिले पैसो से पंडितों और परिचितों की मदद से मृत्यु भोज करवाया। गांव वालों और रिश्तेदारों को बुलाया।