मुंबई, 10 जुलाई। POCSO Case : महाराष्ट्र के ठाणे जिले के शाहापुर स्थित आर.एस. दमानी निजी स्कूल में मंगलवार को कक्षा 5 से 10 की नाबालिग छात्राओं से मासिक धर्म की जांच के नाम पर विवादास्पद और शर्मनाक कार्रवाई की गई, जिसके बाद अभिभावकों में भारी आक्रोश मचा हुआ है।
घटना का क्रम
स्कूल के बाथरूम में खून के धब्बे पाए जाने के बाद, प्रिंसिपल ने छात्राओं को हॉल में बुलाया और प्रोजेक्टर पर इन धब्बों की तस्वीरें दिखाई। कक्षा 5 से 10 की छात्राओं को दो समूहों में बांटा गया, जो मासिक धर्म से गुजर रही थीं और जो नहीं थीं। 10–12 वर्षीय कुछ लड़कियों का तब ‘जांच’ के लिए अंतर्वस्त्र के ज़रिए परीक्षण किया गया। एक लड़की सैनिटरी नैपकिन इस्तेमाल करती मिली, तो प्रिंसिपल ने उसके ऊपर आरोप लगाते हुए उसे कड़ी डांट लगाई और अन्य छात्राओं के सामने अपमानित किया।
कानूनी कार्रवाई & गिरफ्तारी
बुधवार को एक अभिभावक ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। प्रिंसिपल और महिला चपरासी को गिरफ्तार किया गया, जबकि चार अन्य शिक्षकों व दो ट्रस्टियों समेत कुल आठ लोगों पर कार्रवाई हुई है। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 74‑76 (महिला की लज्जा भंग/नग्नता के प्रयास) और पोक्सो अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। कुल छह आरोपियों (प्रिंसिपल, चपरासी, दो शिक्षकों, दो ट्रस्टियों) के खिलाफ पोक्सो के तहत मामला दर्ज हुआ ।
अभिभावकों की प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलने के बाद कई अभिभावक नाराज़ होकर स्कूल परिसर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। अभिभावक बोले कि इस तरह की जांच से छात्राओं की मानसिक पीड़ा और शर्मिंदगी हुई है, उन्हें जरूरत थी सेक्स एजुकेशन की, न कि अपमानित करने की ।
आगे की कार्यवाही
पोलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है और अन्य आरोपियों की भूमिका स्पष्ट हो रही है। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि सभी आरोपी पोक्सो एवं IPC धाराओं के तहत सजा के लिए कठोर कार्रवाई का सामना करेंगे ।
यह घटना बच्चों का मनोवैज्ञानिक और शारीरिक (POCSO Case) सम्मान भंग करने वाली है। मासिक धर्म पर खुलकर चर्चा और सेक्स एजुकेशन की आवश्यकता से इनकार संभव नहीं है। दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा के साथ स्कूलों में बच्चों की गरिमा पर आधारित नीतियाँ लागू करने पर समाज और प्रशासन का ध्यान जाना चाहिए।