धर्म डेस्क, 21 जुलाई। Premananda Maharaj : गुरु मंत्र के जाप में शारीरिक और मानसिक शुद्धता का बहुत महत्व है। प्रेमानंद जी के अनुसार, गुरु मंत्र का जाप करते समय शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध होना आवश्यक है।
प्रेमानंद जी के सुझाए कुछ मुख्य उपाय
शरीर की शुद्धता
- जप से पहले स्नान करें, साफ़-स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- जप स्थल को विशेष रूप से स्वच्छ, शांत और पवित्र बनाएँ।
मन की शुद्धता
- मन को भौतिक चिंताओं से दूर रखें।
- जप शुरू करने से पहले सांसों पर ध्यान केंद्रित करें और मन को एकाग्र करें।
गुरु‑निर्देश का पालन
- गुरु द्वारा बताए गए नियमों, जैसे प्रतिदिन निश्चित समय, स्थान व मुद्रा का ध्यान रखें।
- गुरु के बताए माला और जप की संख्या में अनावृत्ति न करें।
गुप्तता का महत्व
- मंत्र को गुप्त रखें। अन्य का ध्यान न खींचें, यह मानसिक शुद्धता बनाए रखने में मदद करता है।
इच्छा पर संयम
- जप को किसी त्वरित लाभ या लाभार्थ्य के लिए न करें।
- इसे समर्पण भाव से करें, गुरु कृपा एवं भक्ति की भावना सर्वोच्च होनी चाहिए।
क्षेत्र | उपाय |
---|---|
शारीरिक शुद्धता | स्नान, स्वच्छ वस्त्र, पवित्र वातावरण |
मानसिक शुद्धता | एकाग्रता, विचारों का संयम |
गुरु की आज्ञा | गुरुकृपा अनुसार समय, स्थान, माला का ध्यान |
गुप्तता | मंत्र का निजी प्रयोग |
भक्ति‑भाव | लाभ न, बल्कि प्रेम व समर्पण से जप |
वीडियो में प्रेमानंद जी इन बातों को गहराई से समझाते हैं, जैसे कि गुरु‑नियमानुसार जप करना कैसे प्रभावशाली बनता है और क्यों गुप्तता व समर्पण ज़रूरी हैं। ज़रूरत महसूस हो तो आप वीडियो को ध्यान से देख सकते हैं।