नई दिल्ली, 20 जून। Rhetoric on Language Dispute : भाषा विवाद को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा अंग्रेजी पर दिया गया बयान- “जल्द ही अंग्रेजी बोलने वालों को खुद को शर्मिंदा महसूस होगा”…पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर तीखा पलटवार किया है। यह बहस भाषा, अवसर और सामाजिक न्याय पर केन्द्रित है, जहां अमित शाह मातृभाषा को प्राथमिकता देते हैं, वहीं राहुल गांधी इसे कदम बढ़ाते हुए देख रहे हैं। वे अंग्रेजी के माध्यम से गरीबों को समान अवसर और सशक्तिकरण दिलाना चाहते हैं।
राहुल गांधी का X पोस्ट
राहुल गांधी ने लिखा
- “अंग्रेजी बांध नहीं, पुल है। अंग्रेजी शर्म नहीं, शक्ति है। अंग्रेजी जंजीर नहीं—यह तो जंजीरें तोड़ने का औजार है।”
- उन्होंने स्पष्ट किया कि BJP–RSS नहीं चाहते कि गरीब बच्चा अंग्रेजी सीखे—इससे वह पढ़-लिखकर सवाल पूछ सके, आगे बढ़ सके और बराबरी कर सके।
- राहुल ने कहा कि मातृभाषा में आत्मा, संस्कृति और ज्ञान है, लेकिन अंग्रेजी भी उतनी ही जरूरी है—यह रोजगार दिलाती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है।
- उन्होंने वीडियो साझा करते हुए बताया कि अंग्रेजी सीखने से व्यक्ति वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भर बन सकता है—”आप कहीं भी काम कर सकते हैं”। इसके विरोधी चाहते हैं कि करोड़ों की नौकरियों के दरवाजे गरीबों से बंद रहे।
अमित शाह का बयान
गृहमंत्री अमित शाह ने 19 जून को पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कहा
- “वे दिन दूर नहीं जब अंग्रेजी बोलने वाले खुद को शर्मिंदा महसूस करेंगे।”
- उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा में हम अपनी संस्कृति, धर्म और इतिहास को नहीं समझ सकते।
- शाह ने 2047 में भारत की वैश्विक स्थिति में मातृभाषाओं को अहम योगदान देने वाला बताया ।
टकराव का सार
मुद्दा | अमित शाह की बात | राहुल गांधी की प्रतिक्रिया |
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अंग्रेजी की भूमिका | विदेशी भाषा से मातृसंस्कृति छूटेगी और शर्मिंदगी होगी | अंग्रेजी एक पुल और हथियार है—इससे गरीब भी आगे बढ़ सकेगा |
शिक्षा-समानता | अंग्रेजी सीखना शर्मनाक होगा | अंग्रेजी से रोजगार, सवाल पूछने और आत्मविश्वता बढ़ती है |
सांस्कृतिक आत्मा | मातृ भाषा में आत्मा, संस्कृति है | मातृभाषा के साथ अंग्रेजी सीखने से भारत वैश्विक स्तर पर मुकाबला कर सकता है |