रायपुर, 20 मई। Right to Education : छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया जारी है। इस संबंध में कुछ शिक्षकीय संगठनों द्वारा उठाई गई आपत्तियों और सवालों के जवाब में शिक्षा विभाग ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE Act) के अनुरूप की जा रही है।
विभाग ने यह भी दोहराया कि इसका उद्देश्य शिक्षकों की संख्या को घटाना नहीं, बल्कि उन्हें तर्कसंगत रूप से स्कूलों में पुनः तैनात करना है, जिससे सभी बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार मिल सके।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम है युक्तियुक्तकरण की आधारशिला
शिक्षा विभाग का कहना है कि 2008 के स्कूल सेटअप की आज की परिस्थितियों में प्रासंगिकता नहीं रही, क्योंकि 2010 से पूरे देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हो चुका है। इस अधिनियम के अनुसार:
- 60 छात्रों तक दो शिक्षकों का प्रावधान है।
- 150 से अधिक छात्रों पर ही प्रधान पाठक की नियुक्ति होती है।
- कई स्कूलों में पहले से स्वीकृत प्रधान पाठक को अब सहायक शिक्षक की श्रेणी में जोड़ा गया है।
बहुकक्षा शिक्षण को बताया व्यावहारिक समाधान
बहु-कक्षा शिक्षण की आलोचनाओं के जवाब में विभाग ने कहा है कि यह पद्धति न केवल प्रशिक्षित शिक्षकों के लिए संभव है, बल्कि इसका प्रशिक्षण भी दिया गया है। विभाग के अनुसार राज्य के लगभग 30,700 प्राथमिक विद्यालयों में से 17,000 से अधिक में छात्र-शिक्षक अनुपात 20:1 से कम है, जो दर्शाता है कि शिक्षक संख्या पर्याप्त है।
एकल-शिक्षकीय स्कूलों की आशंका को बताया निराधार
कुछ संगठनों द्वारा यह आशंका जताई गई थी कि 60 से कम छात्र संख्या वाली स्कूलें एकल शिक्षक पर आधारित हो जाएंगी, जिसका खंडन करते हुए विभाग ने स्पष्ट किया कि:
- इन स्कूलों में भी दो शिक्षकों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
- प्रधान पाठक को भी एक शिक्षकीय पद के रूप में गिना गया है।
- ऐसी कोई योजना नहीं है जिससे स्कूल एकल-शिक्षकीय हो जाएं।
उद्देश्य है समान अवसर और संसाधनों का वितरण
शिक्षा विभाग ने दोहराया कि युक्तियुक्तकरण का मकसद हर स्कूल में समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करना है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कहीं भी छात्र-शिक्षक अनुपात अधिनियम के मानकों से नीचे न जाए।
मुख्य बिंदु संक्षेप में:
- युक्तियुक्तकरण RTE एक्ट 2009 के मानकों पर आधारित है
- शिक्षकों की संख्या घटाना नहीं, बल्कि संतुलित वितरण है उद्देश्य
- बहुकक्षा शिक्षण को मिल रहा प्रशिक्षण और समर्थन
- छात्र-शिक्षक अनुपात विधिक प्रावधानों के भीतर
- प्राथमिक शिक्षा को समावेशी, प्रभावी और समान बनाने की दिशा में ठोस कदम
शिक्षा विभाग का यह प्रयास छत्तीसगढ़ में प्राथमिक शिक्षा (Right to Education) की दिशा को संतुलित, न्यायसंगत और कानूनी रूप से सक्षम बनाने की एक महत्त्वपूर्ण पहल है, जो राज्य के नौनिहालों को बेहतर भविष्य की नींव देने में मदद करेगा।