धर्म डेस्क, 18 अगस्त। Shani Amavasya : सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व माना गया है। इस दिन लोग गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। अमावस्या का दिन पितरों को भी समर्पित होता है। इस तिथि पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। अगर अमावस्या शनिवार के दिन पड़े तो इसे शनि अमावस्या कहा जाता है।
भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 22 अगस्त को सुबह 11.55 बजे से लेकर 23 अगस्त को सुबह 11.35 बजे तक रहती है।उदया तिथि के अनुसार, मुख्य पर्व 23 अगस्त दिन शनिवार को मनाया जाएगा। अमावस्या जब शनिवार को आती है तो इसे शनि अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक दृष्टि के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में भी इस दिन का खास महत्व है। इस दिन शनि ग्रह से जुड़े उपाय करने से शनि दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के कारण मिलने वाले अशुभ प्रभावों से राहत मिल सकती है।
शनि और हनुमान जी के मंत्र
शनि देव मंत्र- ॐ शं शनैश्चराय नमः॥
108 बार जप करें।
हनुमान जी का बीज मंत्र
ॐ हं हनुमते नमः॥
साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित व्यक्ति अवश्य जपे।
पूजा विधियाँ
- शनि देव को सरसों का तेल अर्पण करना
- पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाना
- काले तिल, उड़द, लोहे के वस्तुओं का दान करना
- हनुमान जी की आराध
शुभ मुहूर्त पूजा और दान
| कार्य | शुभ समय (23 अगस्त 2025) |
|---|---|
| स्नान-दान का श्रेष्ठ समय | सुबह 05:45 से 08:00 बजे तक (सूर्योदय के आसपास) |
| शनि पूजन का समय | सुबह 06:00 से 08:30 बजे तक |
| दीप दान और पीपल पूजन | सूर्यास्त के बाद, शाम 6:30 से 7:30 बजे तक |
शनि अमावस्या पर विशेष पूजा विधि
- स्नान-ध्यान
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों (या घर में गंगाजल मिले जल) से स्नान करें।
- स्नान के बाद तिल, काले वस्त्र, लोहे और तांबे के पात्र का प्रयोग करें।
- शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं
- शनि मंदिर में जाकर शनि देव की मूर्ति या शिला पर सरसों का तेल अर्पण करें।
- अगर मूर्ति रूप में हैं: केवल उनके पैर के अंगूठे पर तेल लगाएं।
- अगर शिला रूप में हैं: पूरी शिला पर तेल चढ़ाया जा सकता है।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें
- शाम को सूर्यास्त के बाद, पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- सात परिक्रमा करें और मन में प्रार्थना करें।
- दान करें (शनि दोष शांति हेतु)
- काले तिल, काले कपड़े, लोहे की वस्तुएं, उड़द दाल, और सरसों का तेल दान करें।
- गरीबों को जूते, छाता, अन्न या धन का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- पितरों का तर्पण एवं पिंडदान
- पितृदोष से मुक्ति हेतु इस दिन पितरों के नाम पर जल तर्पण और पिंडदान करें।