महाराष्ट्र, 15 जून। Shani Shingnapur Temple Trust : महाराष्ट्र के अहिल्यानगर स्थित प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट ने हाल ही में 167 कर्मचारियों को अनुशासनहीनता और गैर-हाजिरी के आधार पर नौकरी से निकाल दिया है। इसमें से 114 कर्मचारी मुस्लिम समुदाय से हैं, जो कुल बर्खास्त कर्मचारियों का लगभग 68% हैं। यह कदम हिंदू संगठनों द्वारा मंदिर में गैर-हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बाद उठाया गया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
मंदिर ट्रस्ट ने बर्खास्तगी के निर्णय को अनुशासनात्मक आधार पर सही ठहराया है, और किसी भी प्रकार के भेदभाव से इनकार किया है। ट्रस्ट का कहना है कि इन कर्मचारियों का लंबे समय तक गैर-हाजिर रहना और अन्य कारण इस निर्णय के पीछे हैं। हालांकि, इस कदम को लेकर सामाजिक समावेशिता और धार्मिक सहिष्णुता के दृष्टिकोण से आलोचनाएं भी उठ रही हैं।
देवस्थान के सीईओ गोरक्षनाथ दरंदाले ने बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से अनुशासनात्मक आधार पर की गई है। उन्होंने कहा, “देवस्थान में 2400 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं और इनमें से कई काम पर नहीं आते। ट्रस्ट ने उनकी सैलरी रोक दी है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है।” देवस्थान से जुड़े एक सीनियर अफसर ने बताया कि जिन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया, वे मंदिर ट्रस्ट के कृषि, शिक्षा और अन्य विभागों में कार्यरत थे और इनमें से कई कर्मचारी 5 महीने से काम से से गैर-हाजिर चल रहे थे।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस निर्णय के बाद राज्य में धार्मिक विविधता और श्रमिक अधिकारों (Shani Shingnapur Temple Trust) को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग इसे धार्मिक परंपराओं की रक्षा के रूप में देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक मानते हैं। स्थानीय प्रशासन और राजनेताओं ने इस पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं, और इस मुद्दे पर आगे की कानूनी और सामाजिक चर्चाएं जारी हैं। यह घटना भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता, कार्यस्थल अधिकारों और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन के मुद्दों पर महत्वपूर्ण प्रश्न उठाती है