वृंदावन, 29 जून। Shri Dham Vrindavan : श्रीधाम वृंदावन में एक भावुक और अत्यंत मार्मिक घटना घटी जब एक गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में प्रेमानंद महाराज जी के दर्शन की मांग की। परिवार की मदद से वह व्यक्ति बड़ी मुश्किल से महाराज जी के आश्रम तक पहुंचा- निस्तेज शरीर, कांपते कदम और आंखों में गहरी श्रद्धा। जैसे ही उसने महाराज जी के चरणों में सिर झुकाया, वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
“मुझे अब केवल ठाकुरजी के सेवक के दर्शन चाहिए”
परिजनों के अनुसार, वह व्यक्ति लंबे समय से असाध्य बीमारी से जूझ रहा था। जब डॉक्टरों ने जवाब दे दिया, तो उसने अपने परिवार से कहा- “अब मुझे दवाइयों की नहीं, ठाकुरजी के प्यारे संत के दर्शन की ज़रूरत है। मुझे प्रेमानंद महाराज जी के चरणों में अंतिम बार शीश झुकाना है।”
महाराज जी ने अपने पास बुलाकर दिया आशीर्वाद
जब आश्रम में यह सूचना पहुंची, तो प्रेमानंद महाराज जी ने स्वयं उस भक्त को अपने पास बुलाया, उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और धीरे से कहा:- तुम अब ठाकुरजी की शरण में जा रहे हो। जो भी नाम लिया है, उसी की डोरी तुम्हें बांधे रखेगी। डरो मत।” यह सुनकर वहां उपस्थित जनसमूह में सन्नाटा छा गया। भक्त के चेहरे पर एक अद्भुत शांति और तृप्ति का भाव दिखाई दिया।
दर्शन के कुछ घंटे बाद हुई शांतिमय मृत्यु
प्रेमानंद महाराज जी के चरणों में बैठकर आंखें मूंदे वह भक्त कुछ देर तक मंत्र जप करता रहा। उसी रात, घर लौटने के बाद उसकी शांतिपूर्वक मृत्यु हो गई। परिजनों ने बताया कि “वो जाते-जाते भी ‘राधे-राधे’ का नाम ले रहा था।”
भक्तों में भावनात्मक लहर
यह घटना सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई, जहां हज़ारों भक्तों ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि “ऐसी मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है- संत के दर्शन और भगवान का नाम लेकर जीवन का समापन।”
संतों के चरणों में मृत्यु भी मोक्ष का द्वार बनती है
प्रेमानंद महाराज जी की साक्षात उपस्थिति (Shri Dham Vrindavan) और कृपा ने एक भक्त के लिए मृत्यु को भी एक परम आध्यात्मिक अनुभव बना दिया। यह घटना हमें यह स्मरण कराती है कि जब जीवन में श्रद्धा, नाम और संतों का संग होता है, तो मृत्यु भी डरावनी नहीं – बल्कि परम शांति का प्रवेशद्वार बन जाती है।