सीतापुर, 15 मई। Sitapur Murder Case : सीतापुर के पल्हापुर सामूहिक हत्याकांड में अजीत के कबूलनामे के बाद अब उसकी पत्नी विभा पर भी पुलिस का संदेह गहराता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार वारदात से पहले अजीत की पत्नी विभा के बैंक खाते से एक मोटी रकम निकली थी।
पुलिस को आशंका है कि यह रकम हत्याकांड में शामिल अन्य बदमाशों की दी गई होगी। सर्विलांस और दूसरे सबूतों के आधार पर वारदात वाली रात विभा की घटनास्थल पर मौजूदगी के संकेत मिले हैं। पुलिस ने अजीत सिंह के नाम पर दर्ज एक गाड़ी को अपने कब्जे में लिया है। आशंका है कि घटना में उसी का प्रयोग किया गया था।
मंगलवार सुबह एसपी चक्रेश मिश्र एसटीएफ के एएसपी व एसओजी टीम के साथ गांव पहुंचे। साथ में अजीत सिंह भी था। दूसरे दिन भी क्राइम सीन को दोहराया गया। एक टीम परिवार की गोड़ैचा स्थित प्रापर्टी तक गई। वहां बनी दुकानों की जानकारी जुटाई। अजीत की पत्नी विभा को लेकर एक पुलिस टीम उसके सहजनी, महमूदाबाद स्थित आवास पर भी गई, जहां उससे करीब 45 मिनट तक पूछताछ हुई। वहां मिले अहम दस्तावेज के साथ टीम विभा को लेकर महमूदाबाद कोतवाली आई। कोतवाली में दोपहर करीब एक बजे से देर रात तक अजीत और विभा से कड़ी पूछताछ होती रही।
1996 के भरत सिंह मर्डर केस को भी खंगाल रही पुलिस
पुलिस 28 साल पहले हुए मर्डर केस को भी खंगाल रही है। अनुराग के पट्टीदार भरत सिंह की वर्ष 1996 में हत्या हुई थी। इस हत्या में अनुराग के पिता वीरेंद्र सिंह नामजद थे। वीरेंद्र सिंह सबूतों के अभाव में बच गए थे। मंगलवार को एक उमेश सिंह नामक शख्स को एसओजी ने हिरासत में लिया। भरत सिंह उमेश सिंह के चाचा थे। उमेश के पिता ने ही वीरेंद्र सिंह को नामजद कराया था। इन दिनों उमेश और अजीत में बन रही थी। इसका अनुराग विरोध जताता था।
अब एसटीएफ ने संभाली जांच
हत्याकांड की जांच के लिए मंगलवार को एसटीएफ भी पहुंची। एएसपी अमित नागर ने मृतक अनुराग, मां सावित्री, पत्नी प्रियंका और तीनों बच्चों के वजन के हिसाब से पुतले बनाकर पूरा घटनाक्रम दोहराया।
13 मई को भी एसओजी, फॉरेंसिक टीम व आईजी की क्राइम टीम ने क्राइम सीन दोहराया था। उस समय अजीत जांच में सहयोग नहीं कर रहा था। इसी वजह से मंगलवार को क्राइम सीन फिर से दोहराया गया। एसटीएफ ने कड़ी से कड़ी जोड़कर अजीत से सवाल किए।
एसटीएफ के एएसपी के साथ एसपी चक्रेश मिश्र भी गांव पहुंचे थे। उनके साथ भाई अनुराग सहित छह लोगों की हत्या का आरोपी बड़ा भाई अजीत भी था। अजीत जैसे-जैसे घटनाक्रम बताता गया, ठीक उसी तरह एसटीएफ ने घटनाक्रम को दोहराना शुरू किया। वहां मौजूद फॉरेंसिक टीम ने नाप-जोख करने के साथ वीडियोग्राफी कराई।
इस दौरान तीनों बच्चों के वजन के बराबर पुतले बनाकर छत से फेंका गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट की चोटों से इसका मिलान किया गया। इसके बाद अजीत व उसकी पत्नी विभा, ताऊ आरपी सिंह और तीनों बच्चों को अस्पताल पहुंचाने वाले पड़ोसी प्रभाकर सिंह को पुलिस टीम महमूदाबाद कोतवाली ले गई। वहां करीब दो घंटे तक सभी से पूछताछ चली।
ताऊ को पुलिस ने फिर हिरासत में लिया
जांच में एसटीएफ के शामिल होने के बाद सभी संदिग्धों से नए सिरे से पूछताछ की गई। इसी क्रम में छोड़े गए अनुराग के ताऊ आरपी सिंह को पुलिस ने मंगलवार को फिर हिरासत में ले लिया। अजीत, चचेरे भाई अशोक व अमित, पत्नी विभा व बच्चों को अस्पताल ले जाने वाले प्रभाकर सिंह, नौकर सर्वेश व विरेश से भी सख्ती शुरू की।
प्रभाकर ने ही बताया था कि अजीत ने बच्चों को अस्पताल पहुंचाने (Sitapur Murder Case) के लिए गाड़ी की चाभी नहीं दी थी। इसपर पुलिस ने प्रभाकर और अजीत का आमना-सामना भी कराया।