दंतेवाड़ा, 09 दिसंबर। Student Committed Suicide : दंतेवाड़ा जिले के भांसी पोटाकेबिन छात्रावास में आठवीं कक्षा के छात्र घासी राम बारसा ने आत्महत्या कर ली। वह कुन्देली गांव का निवासी था और छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहा था। शनिवार रात को उसने छात्रावास के एक खाली कमरे में गमछे से फांसी लगाकर जान दे दी।
जब अन्य बच्चे सुबह उठे, तो यह घटना सामने आई और शिक्षक तथा प्यून को सूचित किया गया। घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रशासनिक अधिकारी, जिसमें बचेली एसडीएम, तहसीलदार और एसडीओपी शामिल थे, मौके पर पहुंचे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।
भगवान से शिकायतें और गायत्री मंत्र लिखा
पुलिस को बालक के शव के पास कुछ पत्र मिले, जिनमें भगवान से शिकायतें और गायत्री मंत्र लिखा हुआ था। हालांकि, इन पत्रों में मौत के कारण या किसी और व्यक्ति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। पुलिस ने बताया कि सुसाइड नोट से भी आत्महत्या के कारणों का कोई संकेत नहीं मिला।
कक्षा नायक था घासीराम
बताया गया कि छात्रावास में एक रूम है, जिन बच्चों की तबियत खराब रहती है, उन बच्चों को वहां अलग से रखा जाता है ताकि बाकी बच्चे इनके संपर्क में ना आएं व बाकी बच्चों की तबियत ना खराब हो। घासीराम कक्षा नायक था। जिस किसी की तबियत बिगड़ती थी, तो घासीराम ख्याल रखता था।
सबके सोने के बाद फंदे से लटका
शनिवार रात को जब इस रूम में बच्चे सो गए तो घासीराम अपने गमछे को फंदा बना कर पंखे पर झूल गया। हाथ में सुसाइड नोट भी लिखा पाया गया है। जिसमें सपना पूरा न कर पाने, फिर वापस न आने जैसी बातें लिखी थीं।
घासी राम के परिजनों और गांववालों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें शव देखने की अनुमति नहीं दी और घटना के बाद जल्दी-जल्दी शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। गांववालों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने घटनास्थल को जल्दी साफ किया और बच्चों से बातचीत नहीं करने दी।
घासी राम के परिवार ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बच्चे को पढ़ाई के लिए भेजा था, लेकिन अब उन्हें उसका शव मिला। इस घटना ने इलाके में गहरी चिंता और असंतोष पैदा कर दिया है, और परिजनों ने आत्महत्या की जांच (Student Committed Suicide) की मांग की है।