रायपुर, 29 मई। Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला लेवी घोटाला मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया और प्रमुख कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम जमानत प्रदान की है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने इन आरोपियों को परीक्षण के आधार पर जमानत दी, यह कहते हुए कि यदि वे गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ में संलिप्त पाए जाते हैं, तो जमानत रद्द की जा सकती है।
कोयला लेवी घोटाला का विवरण
जांच में सामने आया है कि जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच कोयला परिवहन से जुड़े व्यक्तियों से प्रति टन ₹25 की अवैध वसूली की गई, जिससे लगभग ₹540 करोड़ की राशि एकत्रित हुई। यह राशि सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं को रिश्वत देने, चुनावों में खर्च करने और विभिन्न संपत्तियों की खरीद में उपयोग की गई।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया है कि वह आरोपियों की जमानत पर उनकी गतिविधियों की रिपोर्ट दाखिल करे। इसके अलावा, कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है।
छत्तीसगढ़ सरकार के वकील ने दी जानकारी
अदालत ने माना हैं कि भ्रष्टाचार के इस मामले में गंभीरता है। सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सरकार के अधिवक्ता रवि शर्मा ने कहा कि, हां इन्हें अंतरिम ज़मानत मिली है, और यह केवल अंतरिम जमानत है। अदालत ने यह कहा है कि पूर्ण जमानत पर विचार और निर्णय आने वाले समय में होगा, और उस फैंसले में यह अंतरिम जमानत आधार नहीं होगी।
महत्वपूर्ण बिंदु
रानू साहू और सौम्या चौरसिया पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मामले में जमानत प्राप्त कर चुके थे।
ईओडब्ल्यू द्वारा दर्ज मामले में भी इन दोनों अधिकारियों को अंतरिम जमानत मिली है, लेकिन डीएमएफ घोटाले में उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इन (Supreme Court) आरोपियों को अंतरिम जमानत प्रदान की है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी। यह निर्णय सरकारी अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायिक प्रणाली की सक्रियता को दर्शाता है।