हैदराबाद, 17 सितंबर। CWC Meeting : हैदराबाद में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की शनिवार को पहली बैठक हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाई गई। इस दौरान कुल 14 प्रस्ताव पास हुए। जो इस प्रकार हैं – सबसे पहले, कांग्रेस कार्य समिति जम्मू-कश्मीर में शहीद हुए हमारे बहादुर सैन्य अधिकारियों और सैन्य कर्मियों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है। जब इस त्रासदी की ख़बरें सामने आ रही थी और देश शोक मना रहा था तब भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा ख़ुद को G20 की बधाई देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में जश्न मनाना न सिर्फ़ बेशर्मी की पराकाष्ठा है, बल्कि जवानों की शहादत का अपमान है। CWC पिछले एक वर्ष में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण योगदानों के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे की सराहना करती है। वह एक प्रेरणादायक नेता के साथ-साथ सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की मुखर आवाज़ रहे हैं. वह निडरता के साथ मोदी सरकार के हमलों से संविधान को बचाने के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। वह लगातार प्रधानमंत्री को उनकी जनविरोधी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए ज़िम्मेदार ठहराते रहे हैं। कांग्रेस कार्य समिति राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा की पहली वर्षगांठ पर प्रसन्नता व्यक्त करती है। यात्रा देश की राजनीति में एक परिवर्तनकारी घटना थी। जिसका उद्देश्य भारत को तोड़ने वाली शक्तियों के खिलाफ़ लोगों को एकजुट करना, बढ़ती असमानता, घटती आय, बढ़ती बेरोज़गारी और आवश्यक वस्तुओं की आसमान छूती कीमतों के विरुद्ध लोगों की आवाज़ उठाना और बढ़ती तानाशाही, लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्ज़े और हमारे संघीय ढांचे पर हो रहे हमलों का विरोध करना था। CWC का संकल्प है कि हमारा पार्टी संगठन हर स्तर पर भारत जोड़ो यात्रा की भावना, उसके विचार और उद्देश्यों को आगे बढ़ाता रहेगा। साथ ही इसे हमारे देश के हर हिस्से में जीवित रखेगा। CWC का यह भी बिल्कुल स्पष्ट रूप से मानना है कि राहुल गांधी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना प्रधानमंत्री की राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा था। उनकी संसद सदस्यता फिर से बहाल होने पर CWC गहरा संतोष व्यक्त करती है। क्योंकि इससे सत्य और न्याय की जीत हुई है। CWC मणिपुर में संवैधानिक तंत्र के पूरी तरह से ध्वस्त होने और वहां जारी हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त करती है। चार महीने से ज्यादा समय से राज्य में हिंसा और अशांति का दौर जारी है। इतने दिनों में भाजपा की ध्रुवीकरण की नीतियों की वजह से राज्य बुरी तरह से विभाजित हो जुका है। प्रधानमंत्री की चुप्पी और उपेक्षा, गृह मंत्री की विफलता और मुख्यमंत्री के अड़ियल रवैये ने बेहद ही ख़तरनाक स्थिति पैदा कर दी है। जहां सुरक्षा बलों और नागरिकों के बीच और सेना/असम राइफल्स और राज्य पुलिस के बीच बार-बार टकराव की ख़बरें सामने आ रही है। मणिपुर से जो चिंगारी निकली है, अब उसके बड़े पैमाने पर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में फैलने की आशंका है। CWC मुख्यमंत्री को तत्काल हटाने और राष्ट्रपति शासन लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को दोहराती है। CWC इस बात पर भी ज़ोर देती है कि सरकार लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद को बरामद करने, पब्लिक ऑर्डर बहाल करने, हज़ारों प्रभावितों और राज्य के शरणार्थियों के लिए इस बेहद गंभीर मानवीय संकट को ख़त्म करने का प्रयास करे। साथ ही विभिन्न समूहों के बीच बातचीत के लिए एक रूपरेखा तैयार हो। कांग्रेस कार्यसमिति याद दिलाना चाहती है कि लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री ने जातिवाद, सांप्रदायिकता और क्षेत्रवाद पर 10 साल के लिए रोक लगाने का आह्वान किया था। विडंबना यह है कि भाजपा और इस सरकार द्वारा अपनाई गई विभाजनकारी और भेद-भाव से भरी नीतियों और प्रधानमंत्री द्वारा लोगों को एकजुट करने के बजाय चुनिंदा मामलों पर अपनी चुप्पी की वजह से पिछले नौ वर्षों में ये तीनों ही समस्याएं कई गुना बढ़ गई हैं। उनकी सरकार ने ग़रीबों और कमज़ोर लोगों, विशेषकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की है। संसद के अंदर और बाहर भाजपा के नेताओं का राजनीतिक भाषण समाज में ज़हर घोलने वाला होता है। उनके बयान नफ़रत फ़ैलाने वाले और हिंसा को बढ़ावा देने वाले होते हैं। वे विभाजनकारी ताकतों को प्रोत्साहित करते हैं और समाज का ध्रुवीकरण करते हैं। भाजपा के नेताओं और प्रवक्ताओं ने पिछले प्रधानमंत्रियों, विशेष रूप से जवाहरलाल नेहरू के योगदानों को कम करके दिखाने और आंकने की कोशिश की है। साथ ही उनकी छवि को भी विकृत किया गया है। राजनीतिक नेताओं को निशाना बनाने और उनके ख़िलाफ़ राजनीतिक प्रतिशोध के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। भाजपा सरकार ने सहयोगात्मक संघवाद के सिद्धांतों और प्रथाओं को नष्ट कर दिया है। कांग्रेस कार्यसमिति मोदी सरकार को MSP और अन्य मांगों के मुद्दों पर किसानों और किसान संगठनों से किए गए वादों की याद दिलाती है। किसान बढ़ते कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए हैं। कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। नोटबंदी की मार और सरकार से किसी भी तरह का सपोर्ट न मिलने के कारण MSME सबसे ख़राब दौर में हैं। एक्सपोर्ट मार्केट सिकुड़ गया है और निर्यात में गिरावट आई है। निवेश और उपभोग का इंजन मंद पड़ा हुआ है। सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में विफल रही है। आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक बना हुआ है। ऐसा लगता है कि इस सरकार की एकमात्र चिंता सिर्फ़ हेडलाइन मैनेजमेंट है। CWC बढ़ती बेरोज़गारी और विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों में लगातार वृद्धि पर गंभीर चिंता व्यक्त करती है। वादे के अनूरूप हर साल दो करोड़ नौकरी देने में विफल रहने के बाद प्रधानमंत्री का तथाकथित रोज़गार मेला तमाशा के अलावा कुछ नहीं है। यह पूरी प्रक्रिया सिर्फ़ और सिर्फ़ धोखा है. 2021 में होने वाली दशकीय जनगणना करवाने में विफल होना शर्म की बात है। इसके कारण अनुमानित रूप से 14 करोड़ भारतीयों को अपने भोजन के अधिकार से वंचित होना पड़ रहा है। क्योंकि 2011 की जनगणना के हिसाब से जारी राशनकार्ड पर ही अभी लोग राशन ले पा रहे हैं। CWC जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार के इंकार को भी रेखांकित करती है।