कोलकाता, 30 अक्टूबर। Tata Motors : पश्चिम बंगाल के सिंगूर जमीन विवाद में टाटा को बड़ी जीत मिली है। टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा मोटर्स लिमिटेड को इस विवाद में 766 करोड़ रुपये मिलेंगे। बंगाल सरकार को ये राशि टाटा ग्रुप को चुकानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पंचाट न्यायाधिकरण ने मामले का निपटारा करते हुए टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है। इसमें कहा गया है कि टाटा मोटर्स अब प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (डब्ल्यूबीआइडीसी) से 11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ब्याज के साथ 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है।
नैनो कार कारखाना लगाने की मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने टाटा को सिंगूर में ‘लखटकिया’ नैनो कार कारखाना लगाने की अनुमति दी थी। तब ममता बनर्जी विपक्ष में थीं। ममता ने वाममोर्चा सरकार पर सिंगूर में टाटा के लिए जबरन जमीन अधिग्रहण का आरोप लगाते हुए आंदोलन का नेतृत्व किया था। आंदोलन के कारण टाटा को अपना कारखाना गुजरात में स्थानांतरित करना पड़ा था। टाटा मोटर्स ने साल 2011 में ममता सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके जरिए कंपनी से अधिगृहित जमीन छीन ली गई थी।
भूमि विवाद के कारण अक्तूबर 2008 में टाटा मोटर्स को छोटी कार नैनो का उत्पादन करने के लिए अपने प्लांट को पश्चिम बंगाल के सिंगुर से गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करना पड़ा। तब तक टाटा सिंगूर में 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर चुका था।
ऑटो प्रमुख ने कहा
एक नियामक फाइलिंग में, ऑटो प्रमुख ने कहा कि तीन सदस्यीय पंचाट न्यायाधिकरण ने फैसला सुनाया है कि कंपनी प्रतिवादी पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (WBIDC) (डब्ल्यूबीआईडीसी) से, 1 सितंबर 2016 से उसकी वास्तविक वसूली तक, 765.78 करोड़ रुपये की राशि 11 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ वसूलने की हकदार है।
यह मुआवजा सिंगूर में ऑटोमोबाइल विनिर्माण सुविधा के संबंध में पूंजी निवेश के नुकसान सहित विभिन्न मदों के तहत डब्ल्यूबीआईडीसी से मुआवजे के ऑटो प्रमुख के दावे के संबंध में है।
मुंबई स्थित ऑटो प्रमुख ने कहा, “यह सूचित किया जाता है कि तीन-सदस्यीय पंचाट न्यायाधिकरण के समक्ष उपरोक्त लंबित मध्यस्थता कार्यवाही को आखिरकार टाटा मोटर्स के पक्ष में 30 अक्तूबर, 2023 के सर्वसम्मत फैसले द्वारा निपटा दिया गया है।”
इसमें कहा गया है कि टाटा मोटर्स को प्रतिवादी (डब्ल्यूबीआईडीसी) से कार्यवाही की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि वसूलने का भी हकदार माना गया है।
इसमें कहा गया है, “जैसा कि ऊपर बताया गया है, अंतिम मध्यस्थता निर्णय के साथ, मध्यस्थ कार्यवाही समाप्त हो गई है।”
जून 2010 में, टाटा मोटर्स ने नैनो के उत्पादन के लिए साणंद में एक नए प्लांट का उद्घाटन किया। कंपनी ने अब नैनो की बिक्री बंद कर दी है।
भूमि विवाद के कारण प्लांट को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने के लिए मजबूर होने के लगभग दो साल बाद इसका उद्घाटन हुआ।
साणंद प्लांट का उद्घाटन तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा ने किया था।
सिर्फ 1 लाख रुपये की लागत वाली कार बनाने के रतन टाटा के सपने को कई तकनीकी और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। रतन टाटा ने साल 2003 में एक लखटकिया कार पेश करने की कल्पना की थी।
प्लांट के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बीच, टाटा ने अक्तूबर 2008 में नैनो के विनिर्माण आधार को सिंगुर से साणंद में स्थानांतरित कर दिया।
टाटा मोटर्स ने आखिरकार 2020 में नैनो की बिक्री बंद कर दी।