Twitter Attacks of Leaders: Oh my God…! Bhupesh and Raman's Twitter war on Naxalism is not stopping...see hereTwitter Attacks of Leaders
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रायपुर, 26 जनवरी। Twitter Attacks of Leaders : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह नक्सलवाद के मुद्दे पर सोशल मीडिया में भिड़ गए। नक्सलवाद को लेकर पहला पोस्ट रमन सिंह ने किया। विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस पर नक्सलियों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए लिखा कि “नक्सलियों की ‘मदद’ करना और ‘वोट’ के लिए उनका इस्तेमाल करना हमेशा से कांग्रेस की नीति रही है। आज जब डबल इंजन की सरकार में नक्सलवाद खात्मे की ओर जा रहा है, तब कांग्रेस के पेट में दर्द उठ रहा है।”

आज जब डबल इंजन की सरकार में नक्सलवाद खात्मे की ओर जा रहा है, तब कांग्रेस के पेट में दर्द उठ रहा है। बघेल ने दलगत राजनीति का आरोप लगाया।

बघेल ने दलगत राजनीति का आरोप लगाया

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस पर पलटवार करते हुए लिखा, “बस याद दिलाना चाहता हूं डॉक्टर साहब कि अब आप मुख्यमंत्री नहीं हैं न ही पार्टी के प्रवक्ता हैं। अब आप विधानसभा अध्यक्ष हैं। अन्यथा न लें पर आपका ये हाल आपकी पार्टी भाजपा ने ही किया है।

बहरहाल, आपका दायित्व है कि अब दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी को संरक्षण दें। इस पर रमन सिंह ने जवाब देते हुए कहा, “विधायक जी, (पाटन) जब भी विषय मेरे छत्तीसगढ़ की सुरक्षा या नक्सल का होगा, तब अंतिम सांस तक मैं छत्तीसगढ़ महतारी के पक्ष में खड़ा रहूंगा। पद चाहे मुख्यमंत्री का हो या विधानसभा अध्यक्ष का, लेकिन मैं हमेशा ‘छत्तीसगढ़ महतारी के सेवक’ के रूप में प्रदेश के हित में अपनी आवाज़ उठाता रहूंगा।

इसके बाद भूपेश बघेल ने एक फिर पोस्ट लिखा माननीय पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर साहब, हम सब चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक नागरिक की तरह आप भी “नक्सलवाद” के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहें। छत्तीसगढ़ महतारी ने आपको पंद्रह साल सेवा का अवसर दिया, तब यदि सुरक्षा सलाहकार से “वेतन लो, मौज करो” कहने की बजाय नक्सल नीति पर काम किया होता तो आज हम बहुत आगे खड़े होते।

रमन बोले- मैं अपनी आवाज उठाता रहूंगा

इस पर रमन सिंह ने जवाब देते हुए कहा, “विधायक जी, (पाटन) जब भी विषय मेरे छत्तीसगढ़ की सुरक्षा या नक्सल का होगा, तब अंतिम सांस तक मैं छत्तीसगढ़ महतारी के पक्ष में खड़ा रहूंगा। पद चाहे मुख्यमंत्री का हो या विधानसभा अध्यक्ष का, लेकिन मैं हमेशा ‘छत्तीसगढ़ महतारी के सेवक’ के रूप में प्रदेश के हित में अपनी आवाज़ उठाता रहूंगा।”

दोनों नेताओं की बहस यहीं नहीं थमी। इसके बाद भूपेश बघेल ने एक फिर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा।

इस पोस्ट में रमन सिंह ने लिखा, माननीय पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर साहब, हम सब चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक नागरिक की तरह आप भी “नक्सलवाद” के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहें। छत्तीसगढ़ महतारी ने आपको पंद्रह साल सेवा का अवसर दिया, तब यदि सुरक्षा सलाहकार से “वेतन लो, मौज करो” कहने की बजाय नक्सल नीति पर काम किया होता तो आज हम बहुत आगे खड़े होते।

माफ़ कीजिएगा पर 76 सीआरपीएफ़ जवानों की शहादत और राजनेताओं पर नक्सलियों का सबसे बड़ा हमला आपके ही कार्यकाल के “काला अध्याय” हैं। हम सबका बस इतना कहना है कि अब आप “विधानसभा अध्यक्ष” की कुर्सी पर हैं तो “राजनैतिक” चश्मा उतार दीजिए. सरकार की तारीफ़ करनी है तो कीजिए।। इसके लिए राजनीतिक बयान की बाध्यता नहीं है।अपने पद की गरिमा रखना ही छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा होगी।