नई दिल्ली, 22 अगस्त। Vice President Election : देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद ‘उपराष्ट्रपति‘ के लिए इस बार मुकाबला न केवल राजनीतिक, बल्कि भूगोलिक रूप से भी दिलचस्प बन गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व वाले एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और वरिष्ठ नेता सी. पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, वहीं विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है।
दोनों ही प्रत्याशी दक्षिण भारत से हैं, राधाकृष्णन तमिलनाडु से जबकि रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं। ऐसे में यह मुकाबला अब “दक्षिण बनाम दक्षिण” के रूप में देखा जा रहा है।
9 सितंबर को होगा मतदान और उसी दिन नतीजे
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के लिए 9 सितंबर को मतदान की घोषणा की है। इसी दिन वोटों की गिनती भी की जाएगी।
- नामांकन की अंतिम तारीख: 21 अगस्त
- नाम वापसी की अंतिम तिथि: 25 अगस्त
किसके पास है बहुमत का आंकड़ा?
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसद मतदान के पात्र होते हैं। जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 392 वोटों की आवश्यकता होगी।
- एनडीए के पास: लोकसभा में 293 + राज्यसभा में 133 = 426 वोट
- विपक्ष को उम्मीदें क्रॉस वोटिंग या सहयोगी दलों के समर्थन से हैं, लेकिन समीकरण स्पष्ट रूप से एनडीए के पक्ष में हैं।
इतिहास कहता है
पिछले उपराष्ट्रपति चुनावों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट है कि जिस पार्टी की सरकार केंद्र में रही है, उसी के उम्मीदवार ने भारी अंतर से जीत दर्ज की है। 2022 में जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 74.37% वोटों के साथ हराया था — यह पिछले तीन दशकों की सबसे बड़ी जीत और विपक्ष की सबसे बड़ी हार थी।
उपराष्ट्रपति चुनावों की कुछ ऐतिहासिक आंकड़े
वर्ष | विजेता | विपक्षी उम्मीदवार | वोट प्रतिशत | विशेष जानकारी |
---|---|---|---|---|
1952 | सर्वपल्ली राधाकृष्णन | निर्विरोध | – | पहले उपराष्ट्रपति |
1997 | कृष्णकांत | सुरजीत बरनाला | 61.76% | जनता दल प्रत्याशी |
2012 | हामिद अंसारी | जसवंत सिंह | 67.31% | लगातार दूसरी बार जीते |
2017 | वेंकैया नायडू | गोपालकृष्ण गांधी | 67.89% | एनडीए की जीत |
2022 | जगदीप धनखड़ | मार्गरेट अल्वा | 74.37% | अब तक की सबसे बड़ी जीत |
अब तक 4 उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने गए हैं, सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1952, 1957), गोपाल स्वरूप पाठक (1969), मोहम्मद हिदायतुल्लाह (1979) और शंकर दयाल शर्मा (1987)।
चुनावी विश्लेषण कहता है
राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस बार का उपराष्ट्रपति चुनाव भी पूर्ववत पैटर्न को दोहराता दिख रहा है। सत्ता पक्ष की संख्या बल के चलते विपक्ष के पास जीत की संभावना सीमित है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को उम्मीदवार बनाकर विपक्ष ने एक मजबूत नैतिक संदेश देने की कोशिश की है।
निर्णायक बढ़त में एनडीए
हालांकि जीत की रेखा एनडीए के पक्ष में स्पष्ट नजर आ रही है, फिर भी विपक्ष द्वारा एक प्रतिष्ठित चेहरा उतारने से यह मुकाबला सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा और विचारधारा का टकराव भी बन गया है। अब 9 सितंबर का इंतजार है, जब यह तय होगा कि देश को अगला उपराष्ट्रपति (Vice President Election) कौन मिलेगा, एक अनुभवी राजनेता या पूर्व न्यायाधीश?