उज्जैन, 13 नवंबर। Village Tradition : उज्जैन के भीड़ावद गांव ऐसी परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, जिसे सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। चार हज़ार की आबादी वाले इस गांव में दीपावली के दूसरे दिन दर्जनों लोग मन्नत लेकर आते हैं और जमीन पर लेट जाते हैं, फिर उनके ऊपर गाय छोड़ दी जाती हैं। दर्जनों गाय जमीन पर लेटे लोगों के ऊपर से गुजर जाती हैं। इस मंज़र को देखने के लिए हर साल इस गांव में हजारो लोग जमा होते हैं।
मन्नतियों का जुलूस
गांव में ये परंपरा कब शुरू हुई किसी को याद नहीं। लेकिन यहां के बुजुर्ग हों या जवान सभी इसे देखते हुए बड़े हुए। इस गांव और आसपास के इलाकों के वो लोग यहां आते हैं जिन्हें मन्नत मांगनी होती है या जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है। वो दीपावली के पांच दिन पहले ग्यारस के दिन अपना घर छोड़ देते हैं और यहां माता भवानी के मंदिर में आकर रहने लगते हैं। दिवाली के अगले दिन फिर ये मेला लगता है। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वो गायों के सामने जमीन पर लेट जाते हैं।
दीपावली के अगले दिन इन लोगों को मंदिर में पूजा के बाद जूलूस के रूप में गांव में घुमाया जाता है, फिर ये जमीन पर लेट जाते हैं। पूरे गांव की गाय इन पर छोड़ दी जाती हैं। गायें इन्हें रौंधती हुई निकल जाती हैं। मन्नत मांगने वाले लोगों को पूरा भरोसा रहता है कि पुरखों के समय से चली आ रही इस परंपरा को निभाने (Village Tradition) से उनकी मुराद पूरी होती है।