प्रयागराज, 10 अक्टूबर। Atiq Ahmed’s Son : प्रयागराज के राजरूपपुर स्थित बालगृह में 221 दिन से निरुद्ध अतीक अहमद के बेटे एहजम (18) और अबान (15) सोमवार को छोड़ दिए गए। बाल कल्याण समिति ने दोनों को उनकी बुआ परवीन कुरैशी के सुपुर्द किया है। फिलहाल, दोनों को हटवा स्थित रिश्तेदार के घर में रखा गया है।
जिला अदालत से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की गुहार
रात करीब नौ बजे दोनों कसारी-मसारी कब्रिस्तान पहुंचकर पिता व चाचा की कब्र से लिपटकर फूट-फूटकर रोए। इस दौरान लोगों ने उन्हें अतीक और अशरफ की हत्या का वीडियो भी दिखाया। 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद दो मार्च को अतीक के पांच में से दोनों नाबालिग बेटों को बाल गृह में आवासित किया गया था। हालांकि, इन्हें पुलिस कहां ले गई है, इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। इसके लिए अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने जिला अदालत से दोनों बच्चों का पता लगाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की गुहार लगाई थी।
जवाब में धूमनगंज पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि दोनों चकिया में लावारिस हाल में घूमते मिले थे, जिन्हें बालगृह में रखा गया है। नाबालिग एहजम चार अक्तूबर को 18 साल का होते ही बालिग हो गया। इस बीच, इनकी रिहाई का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
सुप्रीम कोर्ट से रिपोर्ट मांगे जाने के बाद सोमवार को सुबह बाल कल्याण समिति की बैठक हुई, जिसमें दोनों को छोड़े जाने का निर्णय लिया गया। शाम करीब 5:30 बजे अतीक की दूसरी नंबर की बहन परवीन कुरैशी अपने अधिवक्ता व परिवार के तीन लोगों के साथ राजरूपपुर में 60 फीट रोड स्थित राजकीय बाल गृह पहुंचीं। करीब आधे घंटे में औपचारिकताएं पूरी होेते ही दोनों उनके सुपुर्द कर दिए गए।
बुआ से लिया गया हलफनामा
सफेद रंग की कार में भतीजों को लेकर निकलीं परवीन ने हलफनामा देकर बाल कल्याण समिति को बताया है कि दोनों बच्चे पूरामुफ्ती के हटवा गांव में रह रहे रिश्तेदार अंसार अहमद के मकान में रखे जाएंगे। समिति ने उस मकान का सत्यापन भी कराया है। परवीन ने बच्चों के खानपान और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखने की शपथ भी ली है। वह समिति के बुलाने पर उपस्थित होंगी और बच्चों के बारे में पूरी जानकारी भी देंगी।
सेंट जोसेफ कॉलेज में एहजम का कक्षा 12, जबकि अबान का दाखिला कक्षा 10 में कराया गया है। सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए सहायक केसी जार्ज (पूर्व संयुक्त निदेशक, राष्ट्रीय लोक कल्याण व बाल विकास संस्थान) जब राजरूपपुर बालगृह में आए थे, तभी दोनों का दाखिला करा दिया गया था। सहायक ने दोनों से बातचीत के बाद 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें दोनों ने कहा था कि वह बालगृह में नहीं रहना चाहते।
भावशून्य थे दोनों के चेहरे
बालगृह से निकलते वक्त एहजम व अबान के चेहरे भावशून्य थे। बालगृह से बाहर आते ही दोनों कार की पिछली सीट पर बैठ गए। उनके साथ एक सिपाही भी बैठा। अगली सीट पर उनकी बुआ परवीन बैठीं और फिर कार कालिंदीपुरम की ओर चली गई। इससे पहले बालगृह के बाहर कड़ा पहरा था। धूमनगंज पुलिस के साथ पीएसी भी लगाई गई थी। मीडिया को भी दाेनों से बात करने की अनुमति नहीं दी गई।
अतीक के दोनों बेटों ने छह रिश्तेदारों के नाम बताए थे, जिनके साथ वह जाने को तैयार थे। इनमें करेली निवासी बुआ परवीन अहमद कुरैशी, दो अन्य बुआ सीमा परवीन (अलीगढ़) और शाहीन निवासी पूरामुफ्ती (प्रयागराज), दो मौसी तौकीर फातिमा निवासी वाराणसी और रईस फातिमा निवासी प्रयागराज का नाम शामिल था। छठा नाम मामा शबी निवासी प्रयागराज का था।
तमाशबीनों की जुटी भीड़
अतीक के दोनों बेटों की रिहाई से पहले ही बालगृह के आसपास तमाशबीनों की भीड़ जमा हो गई। पुलिसकर्मी उन्हें लाठी पटककर खदेड़ते रहे। पुलिस की ओर से वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई जाती रही।
सोमवार को बालगृह से छोड़े गए अतीक के चौथे नंबर के बेटे एहजम की उमेश पाल हत्याकांड में भूमिका को लेकर अफसर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। दरअसल, अतीक के वकील रहे खान सौलत हनीफ ने अपने बयान में बताया था कि अतीक, अशरफ, शाइस्ता व अन्य लाेग आईफोन पर जिन फेसटाइम एप आईडी के जरिए बात करते थे, उसे एहजम ने ही बनाया था।
फिलहाल इस मामले में अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। अतीक के पांच बेटों में से दो उमर और अली जेल में हैं, जबकि उमेश पाल हत्याकांड में शामिल तीसरे नंबर के बेटे असद को पुलिस मुठभेड़ में ढेर किया जा चुका है।