Chhattisgarh

Courtesy Meet: Union Tribal Affairs Minister Jual Oram made a courtesy call on Chief Minister Sai.
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Courtesy Meet : मुख्यमंत्री साय से केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर, 31 अक्टूबर।रायपुर, 31 अक्टूबर। Courtesy Meet : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने सौजन्य मुलाकात की। मुख्यमंत्री साय ने श्री जुएल ओराम का छत्तीसगढ़ में स्वागत करते हुए उन्हें बस्तर आर्ट का प्रतीक चिन्ह व शॉल भेंट किया। मुख्यमंत्री साय ने श्री जुएल ओराम का छत्तीसगढ़ में स्वागत करते हुए उन्हें बस्तर आर्ट का प्रतीक चिन्ह व शॉल भेंट किया। मुख्यमंत्री साय ने केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम से छत्तीसगढ़ में जनजातियों के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने ओराम को राज्य में आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सहित समग्र विकास के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने ओराम को बताया कि छत्तीसगढ़ की जनजातीय संस्कृति बहुत समृद्ध है, जिसके संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सरकार द्वारा सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री ओराम ने राज्य में आदिवासी उत्थान की दिशा में किये जा रहे कार्यों की सराहना की।इस अवसर पर आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप, विधायक किरण देव और पुरंदर मिश्रा उपस्थित थे।

Digital Crop Survey: Deadline for verification of mobile PV APP for Digital Crop Survey and Girdawari extended
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Digital Crop Survey : डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं गिरदावरी के मोबाइल PV APP सत्यापन की समयसीमा बढ़ी

रायपुर, 30 अक्टूबर। Digital Crop Survey : किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ शासन के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने डिजिटल क्रॉप सर्वे एवं गिरदावरी के मोबाइल PV APP सत्यापन की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। अब यह प्रक्रिया 31 अक्टूबर 2025 के स्थान पर 30 नवम्बर 2025 तक जारी रहेगी। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री श्री टंकराम वर्मा ने इस निर्णय को किसानों के हित में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों को डिजिटल प्रणाली के माध्यम से और अधिक पारदर्शिता तथा सुविधा प्रदान करने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। खाद्य विभाग के संयुक्त सचिव द्वारा जारी आदेश के अनुसार, PV APP के माध्यम से फील्ड सत्यापन उपरांत प्रविष्टियों में संशोधन की प्रक्रिया अब निर्धारित नई तिथि तक की जा सकेगी। मंत्री श्री वर्मा ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी जिलों में गिरदावरी एवं डिजिटल क्रॉप सर्वे कार्य समयसीमा के भीतर पूर्ण किए जाएं, ताकि किसानों को योजनाओं का लाभ समय पर मिल सके

CM Vishnu: On Amla Navami, the Chief Minister worshipped the Amla tree and prayed for the happiness and prosperity of the people of the state.
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CM Vishnu : आंवला नवमी पर मुख्यमंत्री ने आंवला वृक्ष की पूजा कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की

रायपुर, 31 अक्टूबर। CM Vishnu : आंवला नवमी के पावन अवसर पर आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मुख्यमंत्री निवास में धर्मपत्नी कौशल्या साय के साथ आंवला वृक्ष की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने आंवला नवमी के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में आंवला वृक्ष को दिव्य और औषधीय गुणों से युक्त माना गया है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आंवला नवमी, जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है, धन, आरोग्य और समृद्धि का संदेश देने वाला पर्व है। उन्होंने कहा कि यह मान्यता है कि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन करने और आंवला फल का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग प्राकृतिक एवं औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण के प्रति जागरूक रहें। उन्होंने कहा कि प्रकृति हमारी संस्कृति का आधार है, और वृक्ष हमारे जीवन के पोषक हैं। वृक्षों की पूजा करने के साथ ही उन्हें सुरक्षित रखना भी हमारा सामूहिक दायित्व है।

National Unity Day: Chief Minister administered the oath of national unity, participated in the 'Unity Run' with school children, public representatives and the general public, and garlanded the statue of Sardar Patel on National Unity Day.
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National Unity Day : मुख्यमंत्री ने दिलाई राष्ट्रीय एकता की शपथ, स्कूली बच्चों, जनप्रतिनिधियों और आमजनों के साथ ‘एकता दौड़’ में हुए शामिल, राष्ट्रीय एकता दिवस पर मुख्यमंत्री ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर किया माल्यार्पण

रायपुर, 31 अक्टूबर। National Unity Day : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर आज राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल केवल स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि वे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने वाले ऐसे युगपुरुष थे जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ निष्ठा से देश की रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत की नींव रखी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने स्कूली बच्चों, जनप्रतिनिधियों और आमजनों के साथ राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक से शारदा चौक तक आयोजित ‘एकता दौड़’ में शामिल होकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का संदेश दिया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि सरदार पटेल को उनकी दूरदृष्टि और अद्भुत नेतृत्व क्षमता के कारण ही ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाता है। राष्ट्र को एकजुट करने के उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर आज पूरे देश में ‘रन फॉर यूनिटी’ का आयोजन किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि भारत विविधताओं से परिपूर्ण देश है, और ‘विविधता में एकता’ की भावना हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिभागियों के उत्साह और अनुशासन की सराहना करते हुए कहा कि उनका यह जोश सरदार पटेल के प्रति श्रद्धा और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रतीक है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री श्री जुएल ओराम, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, विधायक श्री किरण देव, विधायक श्री पुरंदर मिश्रा तथा छत्तीसगढ़ लौह शिल्पकार विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रफुल्ल विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी, जनप्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

CG News: Deputy Chief Minister Vijay Sharma inaugurated a ready-to-eat unit in Bastar, women in Bastar were given the responsibility of manufacturing ready-to-eat nutritious food.
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CG News : उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बस्तर में किया रेडी-टू-ईट इकाई का उद्घाटन, बस्तर में महिलाओं को मिली रेडी-टू-ईट पोषण आहार निर्माण की जिम्मेदारी

रायपुर, 30 अक्टूबर। CG News : राज्य शासन द्वारा महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने पहल कर उन्हें रेडी-टू-ईट निर्माण का दायित्व सौंपा गया है। जो महिलाओं के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा प्रदान करेगी। गुरुवार को उप मुख्यमंत्री एवं बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री श्री विजय शर्मा ने तुरेनार स्थित ग्रामीण औद्योगिक पार्क परिसर में प्रगति महिला स्व सहायता समूह द्वारा संचालित रेडी-टू-ईट इकाई का फीता काटकर विधिवत उद्घाटन किया। यहां उत्पादित पौष्टिक भोजन 409 आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचेगा, जहां प्रति माह 70 से 75 टन की खपत होगी। इससे बच्चों के पोषण के साथ-साथ महिला स्व सहायता समूहों को रोजगार और आर्थिक स्वावलंबन मिलेगा। इकाई की मशीनरी की कुल लागत लगभग 55 लाख रुपये है, जिसमें 35 प्रतिशत अनुदान प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना के तहत उद्योग विभाग से प्राप्त हुआ। शेष राशि जीवन ज्योति क्लस्टर संगठन के माध्यम से बैंक लोन से जुटाई गई है। इकाई की उत्पादन क्षमता प्रति घंटे 5 क्विंटल है। उप मुख्यमंत्री श्री शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में वर्तमान शासन ने बच्चों एवं महिलाओं के सुपोषण को मद्देनजर रखते हुए फिर से महिला शक्ति के हाथों पोषण आहार तैयार करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी है। छत्तीसगढ़ सरकार महिला स्व सहायता समूहों को तकनीकी, वित्तीय और बाजार सहायता देकर रेडी-टू-ईट उद्योग से जोड़ रही है। यह बस्तर की महिलाओं को आर्थिक सक्षमता और सशक्तता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। इस उद्घाटन समारोह में पूर्व विधायक डाॅ. सुभाऊ कश्यप, जिला पंचायत सीईओ श्री प्रतीक जैन, महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्री राजकुमार देवांगन सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी और स्व सहायता समूह की महिलाएं उपस्थित रहे।

Tribal Museum: Union Minister Oram reviewed the preparations for the inauguration of the Tribal Museum; Prime Minister Narendra Modi will inaugurate the museum on November 1, on the State Festival.
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Tribal Museum : केन्द्रीय मंत्री ओराम ने जनजातीय संग्रहालय के लोकार्पण की तैयारियों का लिया जायजा, राज्योत्सव पर 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे संग्रहालय का उद्घाटन

रायपुर, 30 अक्टूबर। Tribal Museum : केन्द्रीय जनजातीय मामले के मंत्री जोएल ओराम ने आज शाम निर्माण स्थल पहुंच कर नवा रायपुर, अटल नगर मे छत्तीसगढ़ के जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेननियों के शौर्य गाथा की स्मृति में तैयार भव्य एवं आकर्षक शहीद वीरनारायण सिंह स्मारक सह-संग्रहालय के लोकार्पण की तैयारियों का जायजा लिया। गौरतलब है कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी राजयोत्सव के मौके पर 01 नवंबर को शहीद वीर नारायण सिंह जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय का उदघाटन करेंगे। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम ने इस दृष्टिकोण से सुरक्षा सहित अन्य अवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। छत्तीसगढ़ सरकार में आदिम जाति विकास मंत्री श्री रामविचार नेताम और विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने इस दौरान केन्द्रीय मंत्री श्री जोएल ओराम को छत्तीसगढ़ मे हुए जनजातीय विद्रोहों और स्थापित गैलरियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। मंत्री श्री ओराम ने जनजातीय संस्कृति एवं परंपराओं पर बने संग्रहालय का भी निरीक्षण किया । मंत्री श्री नेताम ने श्री ओराम को बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में जनजाति के वर्ग के ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं के संरक्षण व संर्वधन के उद्देश्य से इन संग्रहालय के निर्माण का बिडा उठाया है, जो बनकर तैयार है। छत्तीसगढ़ रजत जंयती वर्ष, राज्योत्सव के मौके पर 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री श्री मोदी के करकमलों से इस संग्रहालय का लोकार्पण होगा। केन्द्रीय मंत्री श्री ओराम ने जनजाति नायक-नायिकाओं के वीरगाथाओं पर तैयार इस जीवंत संग्रहालय की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जनजातीय वर्गों के ऐतिहासिक गौरव गाथा, शौर्य और बलिदान का प्रतीक यह स्मारक सह-संग्रहालय लोगों के समर्पित होगा है और यह संग्रहालय नई पीढ़ियों को पुरखों की वीर गाथाओं को अवस्मरणीय बनाएगा।  उल्लेखनीय है कि शहीद वीर नारायण सिंह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक सह-संग्रहालय 50 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया जा रहा है। यहां 16 गैलरियों में अंग्रेजी हुकूमत काल में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियां लगाई गई है। जनजातीय विद्रोहों के बारे में लोग आसानी से समझ सके इस लिहाज से डिजीटली व्यवस्था भी की गई है। इस अवसर पर उनके साथ विधायक श्री किरण सिंह देव, आदिम जाति विकास विभाग के आयुक्त डॉ. सारांश मित्तर, टीआरटीआई संचालक श्रीमती हिना अनिमेष नेताम सहित निर्माण कार्य में लगे अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

Bastar: Significant development of health facilities in Bastar district in 25 years, health revolution has saved millions of lives
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Bastar : बस्तर जिले में 25 वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेखनीय विकास, स्वास्थ्य क्रांति से लाखों जीवन हुए सुरक्षित

रायपुर, 30 अक्टूबर। Bastar : राज्य गठन के बाद बीते 25 वर्षों में बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं में व्यापक परिवर्तन और उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले हैं। पहले जहां ग्रामीण और अंदरूनी इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित थीं, वहीं अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक आधुनिक संसाधनों और विशेषज्ञ डॉक्टरों से सुसज्जित हो चुके हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर बस्तर जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में आई क्रांतिकारी बदलाव की कहानी प्रेरणादायक है। दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में जहां कभी बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं भी दुर्लभ थीं, वहां आज आधुनिक मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और मजबूत ग्रामीण स्वास्थ्य नेटवर्क खड़े हो चुके हैं। यह प्रगति न केवल लाखों लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ा रही है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक उन्नति का आधार भी बन रही है।   स्व. बलीराम कश्यप स्मृति शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय: बस्तर का स्वास्थ्य गढ़ वर्ष 2006 में स्थापित यह मेडिकल कॉलेज बस्तर की स्वास्थ्य क्रांति का प्रतीक है। शुरुआत में प्रतिवर्ष 50 सीटों पर प्रवेश के साथ शुरू हुए इस कॉलेज का भूमि पूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा 9 अगस्त 2006 को किया गया। निर्माण कार्य 2010 में शुरू होकर फरवरी 2013 में पूरा हुआ, और 3 अक्टूबर 2013 को मुख्यमंत्री द्वारा इसका लोकार्पण किया गया। मार्च 2014 में जगदलपुर से डिमरापाल में स्थानांतरित होने के बाद, यह कॉलेज प्रदेश का एकमात्र वायरोलॉजी लैब संचालित कर रहा है, जो माइक्रोबायोलॉजी विभाग में स्थित है। भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) से मान्यता प्राप्त इस संस्थान में एमसीआई मानकों के अनुरूप सभी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं। अस्पताल का स्थानांतरण 6 जुलाई 2018 को नए भवन में हो चुका है, जिससे विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं और मजबूत हुई हैं। यह कॉलेज न केवल डॉक्टर तैयार कर रहा है, बल्कि महामारी जैसी चुनौतियों से निपटने में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल: बस्तर को मिला विश्व स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र संभाग मुख्यालय जगदलपुर में डिमरापाल स्थित सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल अब बनकर तैयार है और जल्द ही सेवाएं शुरू होने वाली हैं। यह अस्पताल जटिल रोगों के इलाज में क्रांति लाएगा, जहां हृदय, किडनी और न्यूरो जैसी स्पेशलिटी सेवाएं उपलब्ध होंगी। बस्तर जैसे सुदूर क्षेत्र में यह अस्पताल स्थानीय लोगों को बड़े शहरों की यात्रा से मुक्ति दिलाएगा, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होगी। महारानी अस्पताल: 1937 से जारी सेवा का आधुनिकीकरण 1937 से बस्तर संभाग का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल महारानी अस्पताल आज भी स्वास्थ्य सेवाओं का मजबूत स्तंभ है। अगस्त 2006 से यह स्व. बलीराम कश्यप चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के रूप में जाना जाता था, जहां 500 बिस्तर सक्रिय थे। 6 जुलाई 2018 से मेडिकल कॉलेज के अलग होने के बाद इसे पुनः महारानी अस्पताल के रूप में स्थापित किया गया। अस्पताल के जीर्णोद्धार के तीन चरणों में धन्वंतरी ओपीडी, सुश्रुत अस्थि रोग शल्य चिकित्सा कॉम्प्लेक्स, डिजिटल एक्स-रे, आईसीयू, मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर जैसी सुविधाएं शुरू की गईं। दूसरे चरण में फिजियोथेरेपी, आयुष विभाग और ऑडिटोरियम जोड़े गए, जबकि तीसरे चरण में कादम्बिनी मातृ-शिशु स्वास्थ्य संस्थान ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए टीकाकरण, सोनोग्राफी, प्रसव पूर्व-पश्चात जांच, सामान्य-सिजेरियन डिलीवरी, परिवार नियोजन और सीटी स्कैन जैसी सेवाएं शुरू कीं। वर्तमान में 200 बिस्तरों वाला यह अस्पताल दैनिक 700-800 ओपीडी, 40-45 आईपीडी, 8 प्रसव, 2200-2500 पैथोलॉजी टेस्ट और 65 एक्स-रे संचालित कर रहा है। प्रमुख विभागों में हमर लैब पैथोलॉजी, सर्जरी, मेजर सर्जरी, स्त्री रोग/प्रसूति, नेत्र चिकित्सा, कैंसर, इमरजेंसी, रेडियोलॉजी, शिशु रोग, अस्थि रोग और डायलिसिस शामिल हैं। भविष्य में 12 बिस्तर शिशु आईसीयू, जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र और 30 बिस्तर डेडिकेटेड शिशु वार्ड शुरू होने वाले हैं। महारानी अस्पताल की उत्कृष्टता को कई पुरस्कारों से नवाजा गया है- 2023 में सर्वश्रेष्ठ सिविल सर्जन पुरस्कार, एनक्यूएएस सर्टिफिकेशन से 17 विभागों को राष्ट्रीय प्रमाणन, 2022-23 में कायाकल्प पुरस्कार में राज्य स्तर पर प्रथम स्थान। 2023-24 में कायाकल्प पुरस्कार की कंसिस्टेंसी श्रेणी में सम्मान। अस्थि रोग विभाग में पहली बार हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू, जिसमें एक महिला का सफल ऑपरेशन। ग्रामीण स्वास्थ्य का विस्तार: हर गांव तक पहुंचपिछले 25 वर्षों में बस्तर जिले में 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 7 से 8 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 3 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बढ़े हैं, जिससे 20-30 हजार जनसंख्या पर एक केंद्र उपलब्ध हो गया है। साथ ही, 50 से 60 उप स्वास्थ्य केंद्रों की वृद्धि से 3-5 हजार जनसंख्या और 3-5 किमी दायरे में प्राथमिक सेवाएं पहुंच रही हैं। अधोसंरचना के साथ मानव संसाधन, लैब जांच, ओपीडी/आईपीडी सुविधाओं में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। ये उपलब्धियां छत्तीसगढ़ सरकार की दूरदर्शिता का प्रमाण हैं, जो बस्तर जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में स्वास्थ्य को प्राथमिकता दे रही हैं।राज्य सरकार की प्राथमिकता सूची में स्वास्थ्य क्षेत्र को शीर्ष स्थान देने के परिणामस्वरूप बस्तर में नए स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान कार्ड, मातृ एवं शिशु देखभाल सेवाएं, एम्बुलेंस सुविधा और टेलीमेडिसिन सेवा जैसी पहलें सफलतापूर्वक लागू की गई हैं।कोविड-19 महामारी के दौरान बस्तर की स्वास्थ्य व्यवस्था ने मजबूती का परिचय दिया — ऑक्सीजन प्लांट, कोविड अस्पताल और टीकाकरण अभियान ने नए आयाम स्थापित किए। वर्तमान में बस्तर जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और ब्लॉक स्तर के स्वास्थ्य संस्थान आधुनिक उपकरणों, लैब सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम से सुसज्जित हैं। आने वाले वर्षों में सरकार का लक्ष्य है कि बस्तर के हर नागरिक को “गांव के पास ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा” मिले।

Special Article: The efforts of the state government are bringing about a change in the lives of workers, 25 years of departmental achievements under the Labour Department
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Special Article : राज्य सरकार के प्रयासों से श्रमिकों के जीवन में आ रहा है बदलाव, श्रम विभाग अंतर्गत 25 वर्षों की विभागीय उपलब्धियां

रायपुर, 30 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ राज्य स्थापना के समय 16 जिलों में से 09 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 04 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय संचालित है। वर्तमान में राज्य के समस्त 33 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 10 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा वर्ष 2008 से रायपुर में इंडस्ट्रीयल हाईजिन लैब का राज्य स्तरीय कार्यालय प्रारंभ किया गया है। राज्य स्थापना के बाद से वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल तथा वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल का गठन किया गया है। उक्त मण्डलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण तथा विभिन्न योजनाओं में आवेदन विभागीय पोर्टल/श्रमेव जयते मोबाईल ऐप के माध्यम से ऑनलाईन करने की सुविधा दी गयी है तथा विभिन्न योजनाओं में डी०बी०टी के माध्यम से श्रमिकों को लाभान्वित किया जा रहा है। 52 लाख 75 हजार 618 संगठित/निर्माण/असंगठित श्रमिक पंजीकृत 31 जुलाई, 2025 तक छ0ग0 श्रम कल्याण मंडल अंतर्गत 5लाख 41 हजार 920 संगठित श्रमिक, छ0ग0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल अंतर्गत 30 लाख 21 हजार 624 निर्माण श्रमिक तथा छ०ग० असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल अंतर्गत 17 लाख 12 हजार 074 असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं। इस प्रकार विभाग अंतर्गत संचालित मंडलों में कुल 52 लाख 75 हजार 618 संगठित, निर्माण, असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं। राज्य स्थापना के बाद से 57 लाख 24 हजार 745 श्रमिकों को 23 अरब 70 करेाड 24 लाख 56 हजार 757  रूपये से लाभांवित किया गया।  छ0ग0 श्रम कल्याण मंडल में 80 लाख 713 संगठित श्रमिक को 31 जुलाई, 2025 तक राशि रूपये 26 करोड 56 लाख 2 हजार 131 से, छ०ग० भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल में 51 लाख 72, हजार 579 निर्माण श्रमिकों को राशि रूपये 19 करोड 82 लाख 69 लाख 48 हजार 448 तथा छ०ग० असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल में 4 लाख 71 हजार 453 अंगठित कर्मकारों को राशि रूपये 3अरब 60 करोड 99 लाख 06 हजार 178 से इस प्रकार राज्य स्थापना के बाद से कुल 57 लाख 24 हजार 745 श्रमिकों को राशि रूपये 23 अरब 70 करोड़ 24 लाख 56 हजार 757 (तेईस अरब सत्तर करोड़ चौबीस लाख छप्पन हजार सात सौ सात रूपये) से लाभांवित किया गया है। श्रमिक सहायता केन्द्र 24×7 संचालित  श्रमिकों के हितलाभ संरक्षण, सहायता एवं उनके शिकायतों के निराकरण करने के लिए राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री  श्रमिक सहायता केन्द्र (Helpline Center) रायपुर में 24×7 संचालित है। प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय तथा समस्त विकासखंडों में मुख्यमंत्री श्रम संसाधन केन्द्र संचालित किया जा रहा है, जिसके माध्यम से 31 जुलाई 2025 तक 84 हजार 810 निर्माण श्रमिकों को पंजीयन एवं योजनाओं के आवेदन में सहयोग प्रदान किया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत विभिन्न श्रम कानूनों के अंतर्गत कारखानों, दुकान व स्थापनाओं, ठेकेदारों आदि का पंजीयन, नवीनीकरण, संशोधन तथा विभाग अंतर्गत गठित मंडलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण, संशोधन तथा योजनाओं हेतु आवेदन/स्वीकृति विभागीय वेब पोर्टल एवं श्रमेव जयते मोबाईल एप के माध्यम से ऑनलाईन की जा रही है। साथ ही विभिन्न श्रम अधिनियमों के अंतर्गत पंजियों/अभिलेखों को ऑनलाईन डिजिटल रूप में संधारित करने तथा एकीकृत वार्षिक विवरणी ऑनलाईन प्रस्तुत करने की सुविधा नियोजकों को प्रदान की गई है। ई-गवर्नेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार      भारत सरकार कार्मिक, लोक शिकायत मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा छ०ग० शासन श्रम विभाग को 2020-21 हेतु ‘ई-श्रमिक सेवा‘ सहित सार्वभौमिक पहुंच हेतु ‘ई-गवर्नेस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार‘ रूपये 02 लाख पुरस्कार राशि के साथ गोल्ड पुरस्कार प्रदान किया गया। प्रवासी श्रमिकों के हित संरक्षण, कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विभागों के समन्वय से दिनांक 19 जुलाई 2021 से छ०ग० राज्य प्रवासी श्रमिक नीति, 2020 लागू किया गया है, जिसमें पलायन पंजी के ऑनलाईन संधारण की व्यवस्था की गई है। श्रमिक परिवारों के बच्चों के लिये अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना      मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा एवं श्रम मंत्री के निर्देशानुसार पंजीकृत निर्माण श्रमिक परिवारों के बच्चों को उत्कृष्ट निजी शालाओं में निःशुल्क अध्ययन कराये जाने हेतु छ०ग० भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा ‘अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना‘ 08.जनवरी 2025 से प्रारंभ की गई है। योजना के तहत मंडल में 01 वर्ष पूर्व पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के प्रथम 02 बच्चों को कक्षा 6 वीं में प्रवेश दिया जाकर कक्षा 12 वीं तक आवासीय विद्यालयों में वर्तमान में 100 श्रमिकों के बच्चों को विभिन्न विद्यालयों में प्रवेश दिया जाकर गुणवत्तायुक्त निःशुल्क शिक्षा प्रदान किया जा रहा है। निर्माण श्रमिकों के स्वयं के आवास क्रय एवं आवास निर्माण हेतु एक लाख रूपये एकमुश्त अनुदान सहायता राशि प्रदाय किया जा रहा है। 31 जुलाई 2025 तक 2 हजार 278 निर्माण श्रमिकों को नवीन आवास क्रय/आवास निर्माण हेतु अनुदान सहायता राशि प्रदाय किया जा चुका है। निर्माण श्रमिकों के लिये पेंशन योजना 60 वर्ष आयु पूर्ण कर चुके पंजीकृत निर्माण श्रमिक, जिनका मंडल में 10 वर्ष पूर्व का पंजीयन हो, ऐसे 37 निर्माण श्रमिकों को प्रतिमाह रूपये 1500/- पेंशन योजना से लाभांवित किया जा रहा है। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना इस योजना अंतर्गत पंजीकृत निर्माण, असंगठित एवं संगठित श्रमिकों को रूपये 05 में गरम एवं पौष्टिक भोजन प्रदाय किया जा रहा है। प्रदेश के 17 जिलों में 37 श्रम अन्न योजना केन्द्र संचालित है, जिसमें प्रतिदिन लगभग 8 हजार श्रमिक गरम भोजन प्राप्त करे रहें है। संचालनालय, कर्मचारी राज्य बीमा सेवायें कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा योजना, राज्य निर्माण के समय श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदाय करने वाली यह योजना केवल कारखानों, सिनेमाघरों, ट्रांसपोर्ट, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू थी। राज्य निर्माण के पश्चात इस योजना में निजी सहायता प्राप्त शैक्षणिक एवं निजि चिकित्सा संस्थाओं तथा राज्य सरकार द्वारा संचालित नगर निगमों, नगर पालिकाएं, नगर परिषद् एवं अन्य स्थानीय निकाय पर भी लागू की गई है। निःशुल्क चिकित्सा हित लाभ        छ.ग. राज्य गठन के उपरांत कर्मचारी राज्य बीमा योजना का विस्तार छ.ग. राज्य के 15 जिलों के सम्पूर्ण क्षेत्र तथा 17 जिलों के नगरीय निकाय क्षेत्रों में किया गया है। कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के अंतर्गत छ.ग. राज्य निर्माण के पूर्व लगभग 30 हजार कामगार बीमित होकर राज्य के संचालनालय, कर्मचारी राज्य बीमा सेवायें के अंतर्गत

Jashpur: Jashpur's voice echoes in the Himalayas, tribal youth open a new route to Jagatsukh Peak, named Vishnu Dev Route in honor of Chhattisgarh Chief Minister Vishnu Dev Sai's initiative.
Chhattisgarh

Jashpur : हिमालय में गूँजी जशपुर की गूंज, आदिवासी युवाओं ने जगतसुख पीक पर खोला नया मार्ग, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में दिया गया विष्णु देव रूट नाम

रायपुर, 30 अक्टूबर। Jashpur : छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है। यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की। अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहाँ पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की। अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।” “विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है। अभियान का नेतृत्व स्वप्निल राचेलवार ने किया, उनके साथ राहुल ओगरा और हर्ष ठाकुर सह-नेता रहे। जशपुर के पर्वतारोही दल में रवि सिंह, तेजल भगत, रुसनाथ भगत, सचिन कुजुर और प्रतीक नायक शामिल थे। अभियान को प्रशासनिक सहयोग डॉ. रवि मित्तल (IAS), रोहित व्यास (IAS), शशि कुमार (IFS) और अभिषेक कुमार (IAS) से मिला। तकनीकी सहायता डेव गेट्स, अर्नेस्ट वेंटुरिनी, मार्टा पेड्रो (स्पेन), केल्सी (USA) और ओयविंड वाई. बो (नॉर्वे) ने दी। पूरे अभियान का डॉक्यूमेंटेशन और फोटोग्राफी ईशान गुप्ता की कॉफी मीडिया टीम ने किया। प्रमुख सहयोगी और प्रायोजक संस्थानों में पेट्ज़ल, एलाइड सेफ्टी इक्विपमेंट, रेड पांडा आउटडोर्स, रेक्की आउटडोर्स, अडवेनम एडवेंचर्स, जय जंगल प्राइवेट लिमिटेड, आदि कैलाश होलिस्टिक सेंटर, गोल्डन बोल्डर, क्रैग डेवलपमेंट इनिशिएटिव और मिस्टिक हिमालयन ट्रेल शामिल रहे।

Special Article: After the formation of Chhattisgarh state, 54 irrigation schemes were constructed in Bastar, increasing the irrigated area in Bastar district by more than 23,500 hectares.
Chhattisgarh

Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य गठन पश्चात बस्तर में 54 सिंचाई योजनाओं का हुआ निर्माण, बस्तर जिले में साढ़े 23 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचित रकबे में हुई वृद्धि

रायपुर, 29 अक्टूबर। Special Article : छत्तीसगढ़ राज्य को उदित हुए 25 वर्ष की अवधि में बस्तर जिले के अंतर्गत किसानों को सिंचाई संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए सकारात्मक प्रयास किया गया है। जिसके फलस्वरूप अब तक कुल 92 सिंचाई योजनाओं के माध्यम से 32 हजार 656 हेक्टेयर सिंचित रकबे का सृजन किया गया है। बस्तर जिले में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के पूर्व 38 लघु सिंचाई योजनाओं से 7521 हेक्टेयर खरीफ एवं 1386 हेक्टेयर रबी कुल 8907 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई हो रही थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद किसानों को खेती-किसानी के लिए ज्यादा से ज्यादा सिंचाई साधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से जिले में 54 सिंचाई योजनाओं का निर्माण कर 23 हजार 749 हेक्टेयर सिंचित रकबा का सृजन किया गया है। जिसमें 18 हजार 129 हेक्टेयर खरीफ और 5620 हेक्टेयर रबी फसल हेतु सिंचाई क्षेत्र विकसित किया गया है। इन सभी सिंचाई संसाधनों के माध्यम से क्षेत्र के किसानों द्वारा द्विफसलीय खेती-किसानी को बढ़ावा देकर आय संवृद्धि किया जा रहा है। कोसारटेडा, बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा जैसी परियोजनाओं से नगदी फसल के रकबे में हुई वृद्धि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद जल संसाधन विभाग के द्वारा बस्तर जिले में कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना सहित बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा लघु सिंचाई तालाब, कुम्हरावण्ड, बनियागांव एवं भालूगुड़ा उदवहन सिंचाई योजना, मूली एवं कावारास व्यपवर्तन योजना और 46 एनीकट एवं स्टॉपडेम निर्मित किया गया है। इन सिंचाई साधनों के निर्माण एवं सिंचित रकबा में वृद्धि के फलस्वरूप अब किसानों में नकदी फसलों की ओर रुझान बढ़ रहा है। जिससे बस्तर जिले के किसान आवश्यकता के अनुरूप खरीफ फसल में सिंचाई करते हैं और रबी सीजन में मक्का, उड़द-मूंग एवं साग-सब्जी की भरपूर पैदावार लेकर अतिरिक्त आमदनी अर्जित कर रहे हैं।  कोसाटेडा बनने से डमरूधर और पीलूराम की आमदनी में हुआ इजाफा कोसाटेडा जलाशय से लाभन्वित होने वाले केशरपाल निवासी कृषक डमरूधर कश्यप और पीलूराम बघेल बताते है कि रबी में मक्का सहित साग-सब्जी की खेती कर आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। कार्यपालन अभियंता टीडीपीपी जल संसाधन संभाग जगदलपुर से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान में जिले के अन्तर्गत 195 करोड़ 36 लाख रूपए लागत की 42 सिंचाई योजनाओं का निर्माण प्रगति पर है, इन योजनाओं के पूर्ण होने पर 6790 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता निर्मित होगी। जिससे किसानों को खेती-किसानी को बढ़ावा देने में सहूलियत होगी।