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Saja BJP MLA Ishwar Sahu distributed the voluntary grant amount among his own family... Congress released the list... see here
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Saja BJP MLA ईश्वर साहू ने अपने परिवार में ही बांट दी स्वेच्छानुदान राशि…कांग्रेस ने जारी की List…यहां देखें

रायपुर, 01 अगस्त। Saja BJP MLA : साजा भाजपा विधायक ईश्वर साहू के खिलाफ स्वेच्छानुदान राशि के वितरण में कथित भेदभाव और पारिवारिक स्वार्थ से जुड़े आरोप सोशल मीडिया पर वायरल सूची के रूप में सामने आए हैं। आरोप है कि विधायक के पीएसओ ओम साहू, पीए दिग्विजय केशरी, अनुज वर्मा और ऑपरेटर धीरज पटेल ने मिलकर स्वेच्छानुदान घोटाला किया है, जिसमें अधिकांश हितग्राही इनकी रिश्तेदार और विधायक के अपने संबंधी बताए जा रहे हैं। कांग्रेस ने किया सूची पोस्ट वायरल रिपोर्ट और सूची के मुताबिक स्वेच्छानुदान की राशियाँ प्रधानता से इन तीनों कर्मचारियों के परिवार वालों को दी गई। जिन लोगों को अनुदान दिया गया, उनमें विधायक ईश्वर साहू के निकट संबंधियों के नाम भी शामिल हैं। कांग्रेस द्वारा जारी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया, “भाई का… चाचा का… मामा का… सबका पैसा ले रहा ईश्वर साहू! चिलम‑तंबाकू का डब्बा खोजने में व्यस्त विधायक ईश्वर साहू और उनके सुरक्षा में तैनात पीएसओ ओम साहू का यह कारनामा देखिए। शासन की स्वेच्छानुदान राशि, जो जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए, उसे परिवार में बांटकर खा गए।” कांग्रेस ने इसे सत्ता की अपव्यवस्था और परिवारवाद (Saja BJP MLA) बताया है। सूची सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी, इसे लेकर राजनीतिक शब्द-विनिमय शुरू हो गया है।

Zero Tolerance in Crime: Obscenity with a woman...! Former IPS and current minister got his own secretary arrested... Strictness on zero tolerance policy
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Zero Tolerance in Crime : महिला से अश्लीलता…! पूर्व IPS और मौजूदा मंत्री ने अपने ही सचिव को कराया गिरफ्तार…ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर सख्ती

लखनऊ, 31 जुलाई। Zero Tolerance in Crime : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ‘ज़ीरो टॉलरेंस ऑन क्राइम’ की नीति को एक बार फिर राजनीतिक कार्यवाही में अनुकरणीय रूप में देखा गया। गुरुवार को लखनऊ में राज्य सरकार के मंत्री और पूर्व IPS अधिकारी असीम अरुण ने अपने ही निजी सचिव जय किशन सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। सचिव पर समाज कल्याण विभाग की महिला कर्मचारी से अश्लील हरकत करने का आरोप है। मंत्री ने खुद पुलिस को बुलाया घटना तब हुई जब पीड़िता महिला कर्मचारी मंत्री असीम अरुण से मिलने उनके कार्यालय पहुंची और फूट-फूटकर रोते हुए अपना दर्द बयां किया। उसने आरोप लगाया कि सचिव जय किशन सिंह लगातार अभद्र टिप्पणियां और अश्लील हरकतें कर रहा था। मामला सुनते ही मंत्री ने बिना किसी देरी के सचिव को तलब किया और सामने ही पूछताछ की। जब सचिव बहाने बनाने लगा, तो असीम अरुण ने स्वयं पुलिस को कॉल कर मौके पर बुलाया। मंत्री की मौजूदगी में दर्ज हुई FIR गोमती नगर थाना प्रभारी बृजेंद्र चंद्र त्रिपाठी अपनी टीम के साथ कार्यालय पहुंचे। पीड़िता की तहरीर मंत्री की उपस्थिति में ली गई, जिसके आधार पर सचिव जय किशन सिंह को गिरफ्तार कर थाने ले जाया गया। पुलिस ने संबंधित IPC की धाराओं में केस दर्ज कर आगे की पूछताछ शुरू कर दी है। आरोपी को शीघ्र कोर्ट में पेश किया जाएगा। कौन है आरोपी जय किशन सिंह? जय किशन सिंह समाज कल्याण विभाग में समीक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। वह मूल रूप से प्रयागराज के बमरौली क्षेत्र के रहने वाले हैं और वर्तमान में लखनऊ के चिनहट स्थित विक्रांत खंड में अपने परिवार के साथ रहते हैं। सूत्रों के अनुसार, सचिव का व्यवहार पूर्व में भी संदिग्ध रहा है, लेकिन यह पहला मौका है जब किसी महिला कर्मचारी ने खुलकर शिकायत दर्ज कराई है। मंत्री असीम अरुण की कार्यशैली की सराहना पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे असीम अरुण ने राजनीति में आने से पहले भी प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई के लिए पहचान बनाई थी। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर साबित किया कि वह अब मंत्री पद पर रहते हुए भी ‘न्याय पहले’ की नीति पर अमल कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर हो रही सराहना असीम अरुण की इस निडर और निष्पक्ष (Zero Tolerance in Crime) कार्रवाई की सोशल मीडिया पर व्यापक सराहना हो रही है। आम जनता से लेकर अफसरशाही तक, मंत्री के इस कदम को एक नई राजनीतिक परंपरा की शुरुआत बताया जा रहा है, जहां कानून सबके लिए समान है, चाहे वह कोई मंत्री का सचिव ही क्यों न हो।

Ex MLA's brother Jaipal Sidar's murder revealed...! Conspiracy hatched from jail...contract was given for Rs 1 lakh
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Ex MLA के भाई जयपाल सिदार की हत्या का खुलासा…! जेल से रची गई साजिश…1 लाख में दी गई थी सुपारी

रायगढ़, 31 जुलाई। Ex MLA : जिले के लैलूंगा थाना क्षेत्र में पूर्व विधायक के भाई जयपाल सिदार की हत्या की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है। पुलिस जांच में सामने आया है कि यह हत्या किसी आपसी विवाद या आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जिसे जेल में बंद एक पुराने आरोपी शिव साहू ने रचाया था। हत्या की सुपारी 1 लाख रुपये में दी गई थी। घटना का पूरा घटनाक्रम जयपाल सिदार 7 जुलाई को अपनी स्विफ्ट डिजायर कार (क्रमांक CG12 BA 6453) से बच्चों को स्कूल छोड़ने के बाद लापता हो गए थे। अगले दिन 8 जुलाई को परिजनों ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट थाना लैलूंगा में दर्ज कराई। पुलिस अधीक्षक दिव्यांग कुमार पटेल ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष जांच टीम गठित की, जिसमें सीएसपी अनिल विश्वकर्मा, साइबर सेल, एडिशनल एसपी आकाश मरकाम और एसडीओपी सिद्धांत तिवारी शामिल थे। मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी से खुला राज पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के विश्लेषण के बाद तीन संदिग्धों—शुभम गुप्ता, कमलेश यादव और मदन गोपाल सिदार—को हिरासत में लेकर पूछताछ की। पूछताछ में शुभम गुप्ता ने खुलासा किया कि जेल में बंद शिव साहू ने जयपाल की हत्या के लिए 1 लाख की सुपारी दी थी। शिव साहू ने पेरोल पर बाहर आकर शुभम से मुलाकात की थी और जून में हत्या की योजना बनाई गई थी। चलती कार में गला घोंटकर की हत्या 7 जुलाई को तीनों आरोपी जयपाल सिदार को कोतबा जाने के बहाने कार में बैठाकर जशपुर रोड की ओर ले गए। रास्ते में चलती कार में गमछा से गला कसकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद शव को कार में छिपाकर आरोपी कई स्थानों पर घूमते रहे और अंततः सिसरिंगा घाटी (थाना धरमजयगढ़ क्षेत्र) में फेंक दिया। मोबाइल को मैनपाट जंगल में फेंका गया और कार का नंबर प्लेट हटाकर लाखा के पास सड़क किनारे छोड़ दिया गया। हत्या में प्रयुक्त गमछा को जला दिया गया। पुलिस ने किया आरोपियों को गिरफ्तार पुलिस ने शव (Ex MLA) बरामद कर पोस्टमार्टम कराया और हत्या की पुष्टि के बाद मामला दर्ज किया। थाना धरमजयगढ़ में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 103(1), 238, 61(2), और 3(5) BNS के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। जांच लैलूंगा थाने द्वारा जारी है। गिरफ्तार आरोपी जांच दल में शामिल अधिकारी पुलिस की तत्परता और टीम वर्क से इस जघन्य हत्या की गुत्थी सुलझ सकी है। अब आगे आरोपियों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जा रही है

CG BJP Breaking: New faces with responsibilities...! BJP announces executive committee of 3 districts...see the list here
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CG BJP Breaking : जिम्मेदारियों के साथ नए चेहरे…! भाजपा ने की 3 जिलों की कार्यकारिणी की घोषणा…यहां देखिए List

रायपुर, 29 जुलाई। CG BJP Breaking : छत्तीसगढ़ भाजपा ने 3 जिलों में नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया है। जिन जिलों की कार्यकारिणी गठित की गयी है, उसमें बालोद, दंतेवाड़ा और गरियाबंद जिला शामिल हैं। देखिये पूरी लिस्ट

BJYM President: Ravi Bhagat controversy…! Former CM Bhupesh Baghel came out in support…told the discord within BJP as 'Adani connection'
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BJYM President : रवि भगत विवाद…! समर्थन में उतरे पूर्व CM भूपेश बघेल…भाजपा के भीतर की कलह को बताया ‘अडानी कनेक्शन’…यहां देखें उनका Tweet

रायपुर, 28 जुलाई। BJYM President : छत्तीसगढ़ की सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और भाजपा के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ गई है। जहां बघेल ने रवि भगत का खुलकर समर्थन किया है, वहीं भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस और भूपेश बघेल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। भूपेश बघेल का बड़ा बयान- अडानी के प्रवक्ता से सवाल पूछना बना ‘अपराध’ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फेसबुक पोस्ट और ट्वीट के जरिए भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा: “रवि भगत, जो कि छत्तीसगढ़ भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष हैं, उन्हें पार्टी से निष्कासित करने की धमकी सिर्फ इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्होंने ‘अडानी संचार विभाग’ के एक मंत्री से लगातार DMF और CSR फंड में हो रहे भ्रष्टाचार पर सवाल पूछे।” बघेल ने यह भी कहा कि रवि भगत की विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन एक मेहनती आदिवासी युवा को धमकाकर भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि “कोई भी न अडानी के लोगों से सवाल करेगा, न भ्रष्टाचार से पर्दा हटाएगा।” भाजपा का पलटवार इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रदेश भाजपा सह मीडिया प्रभारी अनुराग अग्रवाल ने बघेल पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा: “आपने अपने बेटे की गिरफ्तारी के विरोध में पूरी कांग्रेस को लगा दिया, लेकिन जब बात आदिवासी नेता कवासी लखमा की आती है, जिनके नाम पर आपने करोड़ों बनाए, तो आप चुप रहते हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेश बघेल ने आदिवासी नेता मोहन मरकाम को DMF फंड पर सवाल उठाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष पद से हटवा दिया था। साथ ही, जब कोरबा कलेक्टर रानू साहू ने DMF फंड के दुरुपयोग की बात उठाई, तो उन्हें सजा देने की बजाय प्रमोशन दिया गया। डीएमएफ पर गीत बना विवाद का कारण दरअसल, विवाद की शुरुआत तब हुई जब भाजयुमो अध्यक्ष रवि भगत ने सोशल मीडिया पर एक गीत पोस्ट किया, जिसमें DMF फंड में कथित भ्रष्टाचार पर सवाल उठाए गए। गीत में अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकार और संबंधित मंत्री पर कटाक्ष किया गया था। इसके बाद भाजपा ने रवि भगत को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। राजनीतिक समीकरणों में हलचल भूपेश बघेल का इस तरह खुलकर भगत (BJYM President) का समर्थन करना राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम माना जा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे भाजपा के अंदरूनी मतभेद सामने आ रहे हैं और कांग्रेस इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में है।

Bihar Elections: Entry of officers in politics has increased the stir...! Many former IAS-IPS are ready to enter the electoral fray...see the jumbo list here
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Bihar Elections : राजनीति में अफसरों की एंट्री ने बढ़ाई हलचल…! कई पूर्व IAS-IPS चुनावी मैदान में उतरने को तैयार…यहां देखें जंबो List

पटना, 28 जुलाई। Bihar Elections : बिहार की राजनीति एक नई करवट ले रही है। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव 2025 करीब आ रहे हैं, पूर्व IAS और IPS अधिकारियों की सियासी एंट्री ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कई रिटायर्ड नौकरशाहों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) लेकर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। इनमें कुछ ऐसे चेहरे भी हैं, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी रहे हैं, जबकि कुछ प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू कर रहे हैं। नीतीश कुमार के पूर्व सचिव दिनेश कुमार राय मैदान में पूर्व आईएएस अधिकारी और नीतीश कुमार के राजनीतिक सचिव रह चुके दिनेश कुमार राय ने करगहर विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। कुर्मी समुदाय से आने वाले राय स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं। VRS लेने के बाद वे जमीनी राजनीति में पूरी तैयारी से उतर चुके हैं। ADG रहे IPS जय प्रकाश सिंह जन सुराज में शामिल 2000 बैच के पूर्व आईपीएस जय प्रकाश सिंह, जो हिमाचल प्रदेश में ADG पद पर थे, ने VRS लेकर जन सुराज पार्टी का दामन थाम लिया है। वे सारण जिले की छपरा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनकी एंट्री से जन सुराज को नई धार मिली है। ‘सिंघम’ शिवदीप लांडे ने बनाई अपनी पार्टी बिहार के चर्चित ‘सिंघम’ आईपीएस शिवदीप लांडे ने ‘हिंद सेना पार्टी’ का गठन कर राजनीति में उतरने का ऐलान किया है। उनका दावा है कि उनकी पार्टी राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। IPS आनंद मिश्रा का उतार-चढ़ाव भरा राजनीतिक सफर पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने बक्सर से बीजेपी टिकट की उम्मीद में VRS लिया, लेकिन टिकट न मिलने पर जन सुराज पार्टी में शामिल हुए। बाद में उन्होंने वह पार्टी भी छोड़ दी। फिलहाल वे सियासी असमंजस में हैं। अन्य पूर्व अफसर भी सियासी मैदान में तैयार पूर्व डीएम अरविंद कुमार सिंह, पूर्व संयुक्त सचिव गोपाल नारायण सिंह, नवादा के पूर्व डीएम लल्लन यादव – इन सभी ने जन सुराज से जुड़कर चुनावी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। वहीं, ओडिशा कैडर के पूर्व IAS मनीष वर्मा ने जेडीयू में शामिल होकर महासचिव का पद संभाल लिया है और संभावना है कि वे नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं। बिहार में अफसरों की सियासी मौजूदगी: परंपरा और प्रयोग बिहार में अफसरों का राजनीति में आना कोई नई बात नहीं। पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा, ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह, एन.के. सिंह और पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह इसके सफल उदाहरण हैं। हालांकि कुछ अफसर, जैसे गुप्तेश्वर पांडेय, टिकट न मिलने के बाद हाशिए पर चले गए। MLC सर्वेश कुमार कहते हैं: “अगर अफसर राजनीति में भी ‘बाबू’ बने रहेंगे तो असफल होंगे, लेकिन जिन्हें जनसंपर्क और जमीन का अनुभव है, उनके लिए राजनीति में बेहतर संभावनाएं हैं।” नीतीश और मोदी दोनों को अफसरों पर भरोसा प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश दोनों प्रशासकीय अनुभव रखने वालों को राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपने में विश्वास रखते हैं। मोदी सरकार में एस. जयशंकर, आर.के. सिंह और अश्विनी वैष्णव जैसे अफसर मंत्री पदों पर हैं। वहीं नीतीश ने दीपक कुमार, चंचल कुमार और अतुल प्रसाद जैसे अफसरों को पद से रिटायर होने के बाद भी रणनीतिक जिम्मेदारी सौंपी है। बदलते चुनाव की तस्वीर बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Elections) पारंपरिक राजनीति से हटकर ‘ब्यूरोक्रेसी बनाम पॉलिटिक्स’ की नई लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा है। राजनीतिक दल भी अब ग्राउंड कनेक्ट वाले अफसरों को टिकट देने में रुचि दिखा रहे हैं। ऐसे में VRS लेने वाले अफसरों की बढ़ती संख्या चुनाव 2025 की तस्वीर को नया मोड़ दे सकती है।

Party Sought Clarification: Stir in BJP...! Show cause notice issued to Yuva Morcha president Ravi Bhagat... Social media post on DMF fund became the reason
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Party Sought Clarification : भाजपा में हलचल…! युवा मोर्चा अध्यक्ष रवि भगत को कारण बताओ नोटिस जारी…DMF फंड पर सोशल मीडिया पोस्ट बनी वजह

रायपुर, 27 जुलाई। Party Sought Clarification : छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के भीतर ही बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत को पार्टी लाइन के खिलाफ सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। रवि भगत ने हाल के दिनों में जिला खनिज न्यास (DMF) फंड के उपयोग और रायगढ़ क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर लगातार सवाल खड़े किए थे। उनके इन बयानों ने पार्टी के अंदर ही असहजता की स्थिति पैदा कर दी थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष किरण सिंह देव के निर्देश पर रवि भगत को यह नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उन्होंने पार्टी मंच के बाहर सार्वजनिक तौर पर इस तरह की टिप्पणियां क्यों कीं। पार्टी ने इसे “अनुशासनहीनता” करार देते हुए रवि भगत से सात दिन के भीतर लिखित जवाब मांगा है। पार्टी छवि को नुकसान की आशंका भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि रवि भगत के सोशल मीडिया पोस्ट से संगठन की सार्वजनिक छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसे सार्वजनिक मंच पर पार्टी की नीतियों और कामकाज को चुनौती देने वाला कदम बताया है। क्या पद पर आ सकता है असर? अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि रवि भगत इस नोटिस का क्या जवाब देते हैं और क्या पार्टी उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट होती है। यदि जवाब असंतोषजनक पाया गया, तो उनके खिलाफ संगठनात्मक कार्रवाई संभव मानी जा रही है, जिसमें पद से हटाए जाने की संभावना भी शामिल है। यह घटनाक्रम राज्य की राजनीति और भाजपा के आंतरिक समीकरणों के लिहाज से अहम माना जा रहा है, खासकर तब जब पार्टी संगठनात्मक अनुशासन पर विशेष जोर दे रही है। यह मामला आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति (Party Sought Clarification) में और भी गहराई से असर डाल सकता है। वहीं पार्टी की आगे की कार्रवाई पर सभी की नजर बनी हुई है।

Congress in Turmoil: Political uproar in Congress over suggesting Ramesh Bais' name for the post of Vice President...! Deepak Baij's letter created a stir within the party, leaders maintained silence
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Congress in Turmoil : उपराष्ट्रपति पद के लिए रमेश बैस का नाम सुझाने पर कांग्रेस में मचा सियासी बवाल…! दीपक बैज की चिट्ठी से पार्टी के अंदरखाने में हलचल, नेताओं ने साधी चुप्पी

रायपुर, 25 जुलाई। Congress in Turmoil : भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाए जाने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी माहौल गर्मा गया है। यह मांग प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा की गई है, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर रमेश बैस का नाम सुझाया है। बैज ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि रमेश बैस सात बार सांसद रहे हैं और तीन राज्यों के राज्यपाल के तौर पर कार्य कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया है कि यदि बैस को उम्मीदवार नहीं बनाया जाता तो छत्तीसगढ़ के किसी अन्य नेता को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। पार्टी में असहजता, नेता बोले- “कोई टिप्पणी नहीं” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की इस चिट्ठी ने पार्टी के भीतर असहजता पैदा कर दी है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस विषय पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे इस पर हैरान हैं, लेकिन फिलहाल कुछ नहीं कहना चाहते। चिट्ठी हाईकमान की सहमति से या निजी राय? यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि दीपक बैज ने यह पत्र पार्टी हाईकमान के निर्देश पर लिखा है या यह उनकी व्यक्तिगत पहल है। इस अस्पष्टता ने कांग्रेस के भीतर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है, क्योंकि आमतौर पर इस तरह के मुद्दों पर पार्टी की राय एकसमान होती है। भाजपा की प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर कृषि मंत्री और भाजपा नेता रामविचार नेताम ने तंज कसते हुए कहा कि, “बैज के पत्र से ऐसा लगता है कि कांग्रेस के पास उपराष्ट्रपति पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं बचा है। कांग्रेस ने अब पूरी तरह सरेंडर कर दिया है।” बहरहाल, दीपक बैज की (Congress in Turmoil) इस चिट्ठी ने एक ओर जहां राजनीतिक हलचल को जन्म दिया है, वहीं कांग्रेस पार्टी के भीतर एक अंतर्विरोध को भी उजागर कर दिया है। अब सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि पार्टी हाईकमान इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है, और क्या दीपक बैज को इस कदम के लिए समर्थन मिलेगा या फटकार।

Youth Congress President: Youth Congress President Election…! Triangular competition heats up… Competition for the post of General Secretary is even tougher
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Youth Congress President : युवा कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव…! गरमाया त्रिकोणीय स्पर्धा…महासचिव पद के लिए मुकाबला और भी तगड़ा

भोपाल, 25 जुलाई। Youth Congress President : मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला अब सबसे ज्यादा चर्चा में है। जहां पहले 19 उम्मीदवार थे, अब मुख्य रूप से तीन युवा नेता, यश घनघोरिया, शिवराज यादव, और अभिषेक परमार के बीच चुनावी टक्कर हो रही है। इन तीनों का क्षेत्रीय आधार भी मजबूत है, जिससे चुनाव में इनकी पकड़ और दिलचस्प हो जाती है। खासकर जबलपुर, भोपाल और ग्वालियर जैसे बड़े जिलों में इन तीनों की लीडरशिप को लेकर माहौल गरम है। सदस्यता अभियान ने तोड़ा रिकॉर्ड युवा कांग्रेस के सदस्यता अभियान ने भी रिकॉर्ड तोड़ा है। पहली बार 15 लाख से ज्यादा सदस्य बने हैं, जो इस चुनावी प्रक्रिया को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। अब, जैसे ही सदस्यता प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, मतदान की प्रक्रिया भी शुरू होने वाली है, जिसमें ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक के चुनाव होंगे। फिलहाल, चुनाव की प्रक्रिया और स्क्रूटनी का दौर चल रहा है, जिससे यह तय किया जाएगा कि किन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति मिलेगी और किसे दस्तावेज़ों के आधार पर बाहर किया जाएगा। इसके अलावा, महासचिव पदों पर भी काफी रुचि देखने को मिल रही है। प्रदेश महासचिव के चुनाव में 182 उम्मीदवारों की मौजूदगी यह दर्शाती है कि प्रतिस्पर्धा कितनी तगड़ी है। इसमें भी कई आरक्षित श्रेणियों के लिए पद आरक्षित किए गए हैं, जैसे महिला, ओबीसी, अल्पसंख्यक, दिव्यांग और ट्रांसजेंडर। उमंग सिंघार के जिले में सबसे ज्यादा दावेदार युवा कांग्रेस जिलाध्यक्ष के चुनाव में भी गर्मी है, खासकर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के जिले धार में, जहां 15 उम्मीदवारों ने जिलाध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की है। वहीं, पूर्व सीएम कमलनाथ के जिले छिंदवाड़ा और पांढुर्णा में स्थिति शांत है, क्योंकि वहां एक-एक उम्मीदवार हैं, जो निर्विरोध चुने जाएंगे। यह चुनाव न केवल युवा कांग्रेस के भविष्य (Youth Congress President) के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि मध्य प्रदेश की राजनीति में युवा नेतृत्व का आना और इस चुनावी प्रक्रिया से गहरे असर डालने का भी संकेत है।

Vice President: Demand for making Vice President from Chhattisgarh intensifies...! Congress writes letter to PM Modi...see here
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Vice President : छत्तीसगढ़ से उपराष्ट्रपति बनाए जाने की मांग तेज…! कांग्रेस ने PM मोदी को लिखा पत्र…यहां देखें

रायपुर, 25 जुलाई। Vice President : उपराष्ट्रपति पद को लेकर सियासत गरमा गई है। छत्तीसगढ़ से सीनियर भाजपा नेता को देश का अगला उपराष्ट्रपति बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस संबंध में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ को उपराष्ट्रपति पद में वरीयता देने की अपील की है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने अपने पत्र में कहा है कि छत्तीसगढ़ ने वर्ष 2000 से अब तक भारतीय जनता पार्टी को लगातार मजबूत समर्थन दिया है। 2014 में प्रदेश की 11 में से 10 लोकसभा सीटें भाजपा को मिलीं, 2019 में 9 और 2024 के आम चुनाव में फिर से 10 सीटें भाजपा की झोली में गईं। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ को केंद्र में सिर्फ एक राज्यमंत्री स्तर का प्रतिनिधित्व मिला है। रमेश बैस को उपराष्ट्रपति बनाने की मांग तेज दीपक बैज ने कहा है कि छत्तीसगढ़ भाजपा में रमेश बैस जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं, जो सात बार सांसद रहे हैं और झारखंड, महाराष्ट्र और त्रिपुरा जैसे राज्यों में राज्यपाल की भूमिका निभा चुके हैं। ऐसे में पार्टी को चाहिए कि वह रमेश बैस जैसे नेता को देश के उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित करे। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ के 10 सांसदों में से किसी को भी अब तक कोई बड़ा या प्रभावशाली पद नहीं मिला है, जिससे प्रदेश की उपेक्षा का भाव स्पष्ट होता है। इस बीच उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। भारत निर्वाचन आयोग शीघ्र ही इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा। लोकसभा और राज्यसभा के कुल 786 सदस्य इस चुनाव में भाग लेंगे। उपराष्ट्रपति बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 394 मतों की आवश्यकता होगी। विधानसभा के सदस्य इस चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होते। अब देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व कांग्रेस (Vice President) की इस मांग पर क्या रुख अपनाता है और क्या छत्तीसगढ़ को इस बार राष्ट्रीय राजनीति में कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलती है।