रायपुर, 28 जून। Deputy CM of CG : छत्तीसगढ़ में पहली बार कोई डिप्टी सीएम बनने जा रहा है। टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये है कि डिप्टी सीएम के पास कितनी ताकत होती है। उनके पास क्या अधिकार हैं? यह पोस्ट बहुत सशक्त है, ऐसे सभी सवालों के जवाब देने में।
क्या संवैधानिक पद है डिप्टी सीएम?
उप-मुख्यमंत्री पद संवैधानिक नहीं है। इस पद पर आसीन व्यक्ति को मुख्यमंत्री (Deputy CM of CG) की शक्तियां प्राप्त नहीं होतीं और न ही वो मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में प्रदेश की अगुवाई कर सकता है। मुख्यमंत्री कई मौकों पर सूबे से बाहर यात्रा के दौरान जरूरी राजकीय कार्यों को पूर्ण करने के लिए अपने किसी वरिष्ठ मंत्री को जिसे वह उचित समझें कुछ शक्तियां दे सकते हैं। संविधान में वाकई में उप-मुख्यमंत्री जैसे किसी पद का उल्लेख नहीं है। यहां तक कि शपथ-ग्रहण समारोह के दौरान डिप्टी सीएम अलग से शपथ लें, ऐसा तक नहीं होता है।
कितनी होती है ताकत?
चूंकि डिप्टी सीएम का पद कोई संवैधानिक पद नहीं है इसलिए इन्हें अलग से भी कोई ताकत नहीं मिलती है। अगर ये पद संविधान में होता, तो कोई जानकारी या फाइल प्रॉपर चैनल से होते हुए ऊपर जाती, यानी पहले फाइल उप-मुख्यमंत्री के पास पहुंचती और वहां से मुख्यमंत्री तक जाती, लेकिन ऐसा है नहीं। उप-मुख्यमंत्री वही विभाग देख सकता है, जो उसे सौंपे जाएं। उप मुख्यमंत्री को दूसरे मंत्रियों से अलग कोई भत्ता या सुविधा भी नहीं मिलती है। वह सिर्फ अपने विभागों के लिए ही जिम्मेदार होता है।
सुप्रीम कोर्ट तक गया था मामला
उपमुख्यमंत्री की उप प्रधानमंत्री का भी पद संवैधानिक पद नहीं होता है। इसका मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। बात 1989 की है। तत्कालीन रामास्वामी वेंकटरमण तब देवीलाल चौधरी को शपथ दिला रहे थे। देवीलाल चौधरी को मंत्रीपद की शपथ लेनी थी लेकिन वह बार-बार खुद को उप प्रधानमंत्री बोल रहे थे। ऐसे में उन्हें टोकना पड़ा। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा कि भले वे खुद को उप-प्रधानमंत्री मानें लेकिन उनके अधिकार केंद्रीय मंत्री जैसे ही रहेंगे क्योंकि संविधान में ये टर्म नहीं है। यही बात डिप्टी सीएम पद (Deputy CM of CG) पर भी लागू होती है। वह संक्रमण काल था।