चंडीगढ़, 23 सितंबर। HSPCB Instructions : एक नवंबर से 31 जनवरी तक सिर्फ ग्रीन पटाखे ही चलाए जा सकेंगे। यह निर्देश एनसीआर समेत राज्य के सभी जिलों में लागू रहेगा। बोर्ड के चेयरमैन पी राघवेंद्र राव ने बताया कि पटाखों पर प्रतिबंध विशेषज्ञों की रिपोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के फैसलों के आधार पर लगाया गया है।
वायु प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर
एचएसपीसीबी की ओर से भेजे गए पत्र में बताया गया कि हरियाणा में अक्तूबर से जनवरी में वायु प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर रहता है। वायु प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में कई कारक शामिल होते हैं। इनमें पटाखों का भी अहम रोल होता है। पटाखों से धातु के कण, खतरनाक विषाक्त पदार्थ, हानिकारक रसायन और हानिकारक गैसें निकलती हैं, जो न सिर्फ हवा पर प्रभाव डालते हैं बल्कि स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इस वजह से इन पटाखों पर रोक लगाना जरूरी है।
उपायुक्तों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वह इन निर्देशों का सख्ती से पालन करवाएं और लोगों के बीच जागरूकता फैलाएं। वहीं, बोर्ड के एक मेंबर सेक्रेटरी ने बताया कि शुक्रवार को सभी उपायुक्तों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी फैसले की कॉपी देखने के बाद दिशा-निर्देश बदले भी जा सकते हैं।
हरियाणा में 500 करोड़ रुपये का कारोबार
राज्य के करनाल, यमुनानगर, फरीदाबाद, पलवल, महेंद्रगढ़, हिसार और रोहतक समेत अन्य जिलों में पटाखे बनाने की फैक्ट्रियां हैं। हरियाणा में थोक पटाखा कारोबार करीब 500 करोड़ रुपये का है। साल 2021 में एनसीआर को छोड़कर बाकी शहरों में दिवाली के दिन कुछ घंटे के लिए पटाखे चलाने की अनुमति दी गई थी। सूत्रों ने बताया कि इस बार सख्ती ज्यादा है, इसलिए पटाखे संबंधी आदेश भी जल्दी जारी कर दिए गए हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की ओर से जारी ग्रेप के दिशा-निर्देश भी एक अक्तूबर से लागू हो जाएंगे।
तीन जिलों में पहुंचा मध्यम स्तर का प्रदूषण
अक्तूबर की शुरुआत से पहले ही एनसीआर में शामिल हरियाणा के तीन जिलों में प्रदूषण का स्तर मध्यम पहुंच गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) फरीदाबाद में 110, गुरुग्राम में 138 और महेंद्रगढ़ में 139 दर्ज किया गया है।
वहीं, 21 सितंबर तक हरियाणा में पराली के अवशेष जलाए जाने की 19 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। 22 सितंबर को कुरुक्षेत्र और यमुनानगर में एक-एक पराली जलाए जाने की घटना दर्ज की गई है।
दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम का उपयोग करके पटाखों के निर्माण और उपयोग की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली त्योहार से पहले दिल्ली में पटाखों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
जस्टिस एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कोर्ट ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पारंपरिक पटाखे जलाने को लेकर अपने 2018 के प्रतिबंध और निर्देशों को दोहराया है। हम पटाखों की लड़ियों और बेरियम युक्त पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति दिए जाने की मांग करने वाली दो याचिकाएं खारिज कर रहे हैं। हमने 2018 के निर्देशों में हस्तक्षेप नहीं किया है। संबंधित प्राधिकारियों को निर्देशों का पालन करना होगा।
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
कोर्ट ने 14 सितंबर को दिल्ली पुलिस को किसी भी प्रकार के पटाखों की बिक्री और भंडारण के लिए अस्थायी लाइसेंस जारी न करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था
कोर्ट ने कहा था कि जब दिल्ली सकरार ने सभी पटाखों को प्रतिबंधित कर दिया है, तो उनके हरित होने या नहीं होने के आधार पर उनमें कोई भेद नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में 2018 में पारंपरिक पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था और केवल हरित पटाखे जलाने की अनुमति (HSPCB Instructions) दी थी।