NETA KI HATYA: Dead body of the veteran leader found cut into pieces on the railway track...! created a stirNETA KI HATYA
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मुंबई, 01 सितंबर। NETA KI HATYA : मुंबई में शिवसेना उद्धव गुट के नेता सुधीर मोरे का शव संदिग्ध हालत में मिला है। सुधीर मोरे का शव घाटकोपर रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे ट्रैक पर कई टुकड़ों में कटा हुआ मिला। उनका शव गुरुवार की रात को रेलवे ट्रैक पर पड़ा हुआ था।

प्राइवेट मीटिंग बताकर बॉडीगार्ड को नहीं ले गए थे साथ

मुंबई में शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे की पार्टी के नेता सुधीर सयाजी मोरे की लाश रेलवे ट्रैक पर मिलने से हड़कंप मच गया। पुलिस सूत्रों की मानें तो सुधीर ने ट्रेन से कटकर खुदकुशी की है। पुलिस ने बताया कि उनका शव घाटकोपर विद्याविहार रेलवे स्टेशन के बीच मे मिला है। कुर्ला GRP मामले की जांच कर रही है।

जानकारी के मुताबिक सुधीर मोरे बीती रात (गुरुवार रात) को प्राइवेट मीटिंग बताकर बिना बॉडी गॉर्ड के साथ निकले थे। पुलिस ने बताया कि उनकी बॉडी कई टुकड़ों में मिली है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया, जिसके बाद राजावाड़ी अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।

बताया गया है कि मुंबई के विक्रोली पार्क साइट से उन्होंने अपने सियासी करियर की शुरुआत की थी। साल 2002 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और पहली बार पार्षद बने। चुनाव में मिली जीत के बाद वे शिवसेना में शामिल हुए। उसके बाद पार्टी ने संगठन में कई पद की जिम्मेदारी मिली। मौजूदा समय मे पार्टी ने उन्हें रत्नागिरी जिला संपर्क प्रमुख की जिम्मेदारी दे रखी थी। उधर, शिवसेना टूटने के बाद वो उद्धव ठाकरे गुट के साथ ही बने रहे।

साल 2002 में की थी राजनीतिक करियर की शुरुआत

साल 2002 में पहली बार अरुण गवली के पार्टी से चुनाव लड़े। जीत के बाद शिवसेना में शामिल हो गए थे। आगे चल कर जब पार्क साईट वॉर्ड क्रमांक 123 रिजर्व सीट हुईं तो कुनबी समाज के काशीनाथ थार्ली को चुनाव मैदान में उतारा। भारी मतों से जीत हासिल हुईं। थारली के बाद आगे जब महिला सीट हुई, तब सुधीर मोरे ने डॉ सुबोध बावधाने की पत्नी भारती बावधाने को टिकट दिलाकर जीत सुनिश्चित कराई थी।

साल 2017 में की थी पार्टी से बगावत

साल 2017 में एक बार फिर महिला सीट आरक्षित हुईं। तब सुधीर मोरे ने अपने छोटे भाई सुनील मोरे की पत्नि स्नेहल मोरे के लिए मातोश्री में टिकट मांगा, लेकिन मातोश्री ने सुधीर मोरे की छोटी बहू को टिकट नहीं देकर सिटिंग नगरसेवक डॉ भारती बावधाने को टिकट दिया। तब सुधीर मोरे ने शिवसेना से बगावत कर दी। अपने भाई की पत्नि को स्नेहल को निर्दलीय चुनाव लड़ाकर जीत दर्ज कराई। कुछ दिनों के बाद मातोश्री से बुलावा आया और सुधीर मोरे फिर नाराजगी भुलाते हुए शिवसेना में आ गए। वर्तमान में उन्हें रत्नागिरी के संपर्क प्रमुख की जिम्मेदारी (NETA KI HATYA) सौंपी गई थी।