रायपुर/बलरामपुर, 05 जुलाई। DSP Wife Birthday Celebration : बलरामपुर जिले में पदस्थ डीएसपी तस्लीम आरिफ की पत्नी द्वारा नीली बत्ती लगी सरकारी वाहन पर स्टंट और बर्थडे सेलिब्रेशन करने के मामले में अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और मीडिया रिपोर्ट्स को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए कोर्ट ने इस पूरे प्रकरण पर स्वत: संज्ञान लिया है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस मामले में राज्य के मुख्य सचिव (Chief Secretary) को नोटिस जारी कर पूछा है कि अब तक क्या कार्रवाई की गई है, और इसका शपथपत्र सहित जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की गई है।
क्या है पूरा मामला?
बलरामपुर में 12वीं बटालियन में पदस्थ डीएसपी तस्लीम आरिफ की पत्नी फरहीन का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में फरहीन अपनी सहेलियों के साथ नीली बत्ती लगी XUV700 गाड़ी की बोनट पर बैठकर केक काटते और खतरनाक तरीके से स्टंट करते हुए दिखाई दे रही थीं।
इस बर्थडे सेलिब्रेशन का वीडियो अंबिकापुर के सरगवां पैलेस होटल में शूट किया गया था, जहां डीएसपी की निजी कार का उपयोग सार्वजनिक प्रदर्शन और स्टंट के लिए किया गया। वीडियो सामने आने के बाद मामला मीडिया में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ और कई सवाल खड़े हुए।
पुलिस ने की थी नाम मात्र की कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले में केवल कार चालक के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया था। हालांकि, किसे आरोपी बनाया गया, और डीएसपी या उनकी पत्नी पर कोई कार्रवाई हुई या नहीं, इस पर स्पष्टता नहीं दी गई। इसी लचर कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट ने अब सख्ती दिखाई है।
हाईकोर्ट की सख्ती से बढ़ी प्रशासन की चिंता
हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब यह मामला गंभीर मोड़ ले चुका है। डीएसपी स्तर के अधिकारी के वाहन का इस तरह के निजी और सार्वजनिक प्रदर्शन में इस्तेमाल होना, नियमों और कानूनों की खुली अवहेलना माना जा रहा है। कोर्ट ने पूछा है कि यदि यह सरकारी वाहन नहीं था, तो उस पर नीली बत्ती लगाने की अनुमति किस आधार पर दी गई?
न्यायालय की अगली सुनवाई (DSP Wife Birthday Celebration) अब एक सप्ताह बाद होगी, जिसमें राज्य सरकार को कार्रवाई की विस्तृत जानकारी के साथ जवाब दाखिल करना है। इस प्रकरण से साफ है कि कानून व्यवस्था की रक्षा करने वाले अधिकारियों के निजी कृत्य अब सार्वजनिक और न्यायिक जांच के दायरे में आ रहे हैं।