Fire in Vishal Mega Mart : ‘भइया’ आग लगी…UPSC की तैयारी कर रहे छात्र लिफ्ट में फंसे…बेहद दर्दनाक आखिरी मैसेज…लिफ्ट में फंसकर तोड़ा दम

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दिल्ली, 05 जुलाई। Fire in Vishal Mega Mart : राजधानी दिल्ली के करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में शुक्रवार को लगी भीषण आग ने एक होनहार छात्र की जिंदगी लील ली। हादसे में 25 वर्षीय धीरेंद्र, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, की लिफ्ट में फंसकर दम घुटने से मौत हो गई। इस घटना से जहां परिवार में मातम पसरा है, वहीं परिजनों ने मेगा मार्ट प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।

हादसे की पृष्ठभूमि

शुक्रवार शाम करोल बाग स्थित विशाल मेगा मार्ट में आग लग गई। इसी दौरान धीरेंद्र शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की लिफ्ट में फंस गया, और बाहर निकल नहीं पाया। दम घुटने की हालत में उसने अपने बड़े भाई को लगातार वॉट्सऐप मैसेज भेजे, लेकिन समय पर मदद नहीं पहुंच पाई, और अंततः उसकी मौत हो गई।

धीरेंद्र के आखिरी मैसेज

धीरेंद्र ने शाम 6:51 बजे अपने भाई को पहला मैसेज भेजा: “भइया”

इसके कुछ सेकंड बाद अगला मैसेज आया: “मैं लिफ्ट में हूं… गैस गए है करोल बाग मेगा मार्ट” (यहाँ “फंस गए हैं” टाइप करने की कोशिश थी, लेकिन घबराहट में “गैस गए हैं” लिखा गया)

अंतिम मैसेज में लिखा “अब सांस फूल रही… कुछ करो”

ये मैसेज धीरेंद्र की घबराहट, संघर्ष और उम्मीद को दर्शाते हैं, लेकिन अफसोस कि मदद समय पर नहीं पहुंच सकी।

परिवार का आरोप

धीरेंद्र के बड़े भाई और बहन, जो हादसे के समय सोनभद्र में थे, अब दिल्ली के करोल बाग थाने पहुंच चुके हैं।
बड़ी बहन ने रोते हुए कहा, “अगर समय पर उसे लिफ्ट से निकाल लिया जाता, तो मेरी भाई की जान बच सकती थी।”

बड़े भाई का आरोप है, “वो लगातार मैसेज कर रहा था… मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया।”

धीरेंद्र था यूपीएससी का अभ्यर्थी

धीरेंद्र पिछले 5 वर्षों से दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। वह करोल बाग स्थित एक पीजी में रहता था और गुरुवार को ही सोनभद्र से लौटा था। लेकिन शुक्रवार को ही यह दर्दनाक हादसा हो गया।

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

अब सवाल उठ रहे हैं कि, आग बुझाने के इंतजाम (Fire in Vishal Mega Mart) क्यों नाकाफी थे? लिफ्ट जैसी जगहों पर अलर्ट सिस्टम क्यों नहीं था?आपातकालीन निकासी की व्यवस्था कितनी प्रभावी थी? अब परिजन न्याय और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।धीरेंद्र की मौत न सिर्फ एक निजी त्रासदी, बल्कि सिस्टम की असंवेदनशीलता और आपातकालीन तैयारी की पोल खोलती है। इस मामले में अब प्रशासन से जवाबदेही की मांग उठ रही है, ताकि आगे किसी और होनहार जिंदगी को ऐसी लापरवाही निगल न पाए।