Ex CM के बाद अब Congress प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी मारी ‘पलटी’…! सुनिए क्या कहा…? VIDEO

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बिलासपुर, 18 अप्रैल। Ex CM : पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बाद अब कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी अपने बयान से ‘पलट’ गईं। न्यायधानी से कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी देवेन्द्र यादव की नामांकन रैली में शामिल होने पहुंची एआईसीसी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने नक्सलियों को ‘शहीद’ बताने वाले बयान पर न सिर्फ जबरदस्त ‘पलटी’ मारी बल्कि बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- ‘भारतीय जनता पार्टी की फेक न्यूज़ फैक्ट्री मेरे बयान को गलत तरीके से चला रही है। साल 2013 में झीरम घाटी में हमने कांग्रेस के पूरे नेतृत्व को इन्हीं नक्सलियों के हाथ खोया था। क्या ऐसे नक्सलियों के साथ हमारी जरा सी भी सहानुभूति हो सकती है? कांग्रेस ने अपने दो-दो प्रधानमंत्री को हिंसा की बलिवेदी में चढ़ते हुए देखा है। प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी कुत्सित है, वे काट-छांट करमेरे बयान को चला रहे हैं।’

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ये है पूरा मामला

बता दें कि मंगलवार को कांकेर में पुलिस और बीएसएफ के जवानों ने मुठभेड़ में 29 नक्‍सलियों को ढेर किया। इस मुठभेड़ पर कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने विवादित बयान दिया। सुप्रिया श्रीनेत से नक्‍सली मुठभेड़ और Ex CM भूपेश बघेल के बयान के संदर्भ में सवाल किया गया। जिस पर उन्होंने कहा कि इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए…मुझे लगता है कि इसकी गहन जांच होनी चाहिए और उन सब लोग जो शहीद हुए, हमारे कुछ सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए हैं, उन सबको हमारी संवेदना है। इसमें कोई राजनीति का सवाल ही नहीं है।

नैतिक दिवालियापन : BJP

सुप्रिया श्रीनेत के इस बयान के बाद से सियासत गरमा गई है. सुप्रिया के बयान पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का ये निकृष्ट बयान लोकतंत्र पर प्रहार है, सुरक्षा बलों के मनोबल और पराक्रम पर प्रहार है, छत्तीसगढ़ और बस्तर की जनता पर प्रहार है। नक्सलियों को शहीद मानने वाली कांग्रेस ने 5 साल बस्तर में इसी मानसिकता से कार्य किया है। इसके अलावा बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने X पर वीडियो शेयर कल लिखा- छत्तीसगढ़ में हमारे सुरक्षाबलों ने 29 नक्सली, जिनमें 2 तो 25–25 लाख के इनामी थे को मार गिराया। कांग्रेस की प्रवक्ता इन नक्सलियों को शहीद बता रही हैं। इसी को मानसिक और नैतिक दिवालियापन कहते हैं।