Fire Free & Pubg Game : Keep an eye on the children...! Nothing will speak...watch the VIDEO and decideFire Free & Pubg Game
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अलवर, 13 जुलाई। Fire Free & Pubg Game : मोबाइल पर फायर फ्री और पबजी जैसे ऑनलाइन गेम खेलने से एक 14 साल के बच्चे का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। वो 15 घंटे से अधिक गेम खेलता था। मामला राजस्थान के अलवर का है। ये बच्चा अभी महज 7वीं कक्षा में है और 7 महीने से लगी मोबाइल की लत ने इसे पढ़ाई से दूर कर दिया। अब हालत इतनी बिगड़ गई है कि परिवार को दिव्यांग संस्थान में उसका इलाज करावाना पड़ रहा है।

मानसिक संतुलन खो दिया

अलवर शहर के मूंगस्का कॉलोनी में रहने वाले इस लड़के को मोबाइल की लत थी। वो लगातार मोबाइल पर फ्री फायर और पब्जी जैसे ऑनलाइन गेम खेलता रहता था। जिससे उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। इस वजह से अब उसका दिव्यांग संस्थान के हॉस्टल में भर्ती करवाकर इलाज करवाया जा रहा है। उसे कई बार मजबूरी में बांधकर रखना पड़ता है क्योंकि वो बार बार मोबाइल पर पब्जी गेम खेलने के लिए जिद करता है। 

फिलहाल परिवार ने उसे 15 दिन के लिए स्पेशल बच्चों के हॉस्टल में स्कीम नंबर 8 में भर्ती कराया है, जहां काउंसलर उसकी मदद कर रहे हैं। मनोरोग चिकित्सक और अन्य डाक्टरों की टीम भी उस पर काम कर रही है।

सुबह घर से निकल जाते हैं पैरेंट्स

इस बच्चे की मां आसपास के घरों में झाड़ू पोछा लगाने का काम करती है, जबकि पिता रिक्शा चलाते हैं। उसे सात महीने पहले पिता ने एक एंड्राइड मोबाइल फोन दिलाया था। जनवरी 2023 से फोन लेकर वो घर में ही रहता। माता पिता सुबह के वक्त अपने अपने काम पर चले जाते थे। उसके बाद घर में 14 साल का बच्चा अकेला रहता और मोबाइल पर लगातार 14 से 15 घंटे तक मोबाइल गेम फायर फ्री खेलता था।

रात के वक्त भी रजाई या चादर ओढ़कर मोबाइल पर गेम खेलता। परिवार ने सोचा था कि मोबाइल फोन लेने के बाद बच्चा ऑनलाइन क्लास लेगा और अपना भविष्य बनाएगा, लेकिन बच्चे ने ऑनलाइन गेम खेलकर अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया। हाथ में अगर फोन न भी हो, तो भी बच्चा खाना पीना छोड़कर फायर फायर बड़बड़ाता है और उसके हाथ भी बिलकुल वैसे ही हिलते डुलते हैं, जैसे मोबाइल स्क्रीन पर चलते हैं।

उसकी बड़ी बहन ने इस बारे में जब परिवार को बताया तो शुरुआत में उसे डांट फटकार लगाई गई, जिससे वो नाराज हो गया। तब उसे मनाने के लिए घर वाले फोन दे दिया करते थे। उसकी जिद के आगे सभी झुक जाते।

गुस्से में घर छोड़कर गया था

जब घर वाले उसे टोकते तो वो चिल्लाने लग जाता था। दो बार गुस्से में अलवर से रेवाड़ी भी जा चुका है, जिसके बाद परिवार उसे वापस घर लेकर आया। इसके बाद 2 महीने तक यानी अप्रैल से मई तक उसे घर में बांधकर रखा गया। तब उसकी हालत और बिगड़ने लगी, फिर उसे जयपुर अस्पताल ले जाया गया।

अब उसे अलवर के स्कीम नंबर 8 में स्थित एक हॉस्टल में रखा गया है। यहां उस पर स्पेशल काउंसलर नजर बनाए हुए हैं और उसकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। परिवार का कहना है कि कई डाक्टरों को दिखाया गया, लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ। अब उसे आखिरकार दिव्यांग आवास गृह में भेजा गया है, जहां साइकेट्रिस्ट से उसका इलाज कराया जा रहा है। स्पेशल काउंसलर उसका इलाज कर रहे हैं, फिलहाल उसकी स्थिति में सुधार (Fire Free & Pubg Game) होने लगा है।

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