अलवर। राजस्थान का एक कारोबारी अपने बिजनेस के सिलसिले में अलवर जाता है और वहां जाकर अचानक वो गायब हो जाता है. पुलिस ने मामले की तफ्तीश शुरू की. उस कारोबारी को हर मुमकिन जगह तलाश किया. लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला. हालांकि कई बार जांच करने पर भी उसकी आखरी मोबाइल लोकेशन अलवर ही आ रही थी. अब सवाल ये था कि उसे अलवर की जमीन खा गई या आसमान निगल गया? और जब इस बात का जवाब मिला तो सब हैरान रह गए.
शहर में दिल्ली रोड पर मौजूद स्क्रैप के एक गोदाम पर अचानक पुलिस ने रेड की. फिर पुलिस की निगरानी में गोदाम के एक कोने में खुदाई का काम शुरू किया गया. पुलिस की मौजूदगी ही ये बताने के लिए काफी थी कि ये खुदाई किसी मामूली वजह से नहीं हो रही है, बल्कि वहां पुलिस को किसी गहरी साज़िश का अंदेशा था… और जो अंदेशा था… करीब घंटे भर की खुदाई के बाद वही हुआ. गोदाम के उस कोने से देर तक खुदाई की बाद तमीन में दफ्न एक शख्स की सड़ी गली लाश बरामद होती है. लाश बेशक अभी बरामद हुई हो, लेकिन उस लाश की पहचान पुलिस पहले ही कर चुकी थी.
गहरी खुदाई से जिस शख्स की लाश मिली, उस मरनेवाले शख्स का नाम मंगतराम अरोड़ा था, जिनकी उम्र करीब 50 साल थी और वो राजस्थान के अलवर के रहनेवाले थे. लेकिन अब सवाल ये है कि आख़िर अलवर के मंगतराम अरोड़ा अपने शहर से करीब 85 किलोमीटर दूर यहां कैसे पहुंचे? और वो भी इस हाल में इस गोदाम के अंदर ज़मीन के चार फीट नीचे? तो इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें 6 दिन पीछे लौटना होगा.
राजस्थान के रहनेवाले मेटल कारोबारी मंगतराम अरोड़ा का अक्सर अपने कारोबार के सिलसिले में आस-पास के शहरों में आना-जाना लगा रहता था. बुधवार यानी दस अगस्त को भी वो अपने काम के सिलसिले में अपने घर से रेवाड़ी के लिए निकले थे. असल में रेवाड़ी के रहेनवाले एक दूसरे स्क्रैप कारोबारी अंकित भालिया से उन्हें 35 लाख रुपये लेने थे और इन्हीं 35 लाख की वसूली के लिए वो उस रोज़ सुबह-सुबह अपनी बाइक से रेवाड़ी के लिए चले थे. उन्होंने घरवालों से भी इस बात का जिक्र किया था.
लेकिन हैरानी की बात ये रही कि अपने घर से निकलने के कुछ ही देर बाद ही वो बेहद रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए. अब उनका मोबाइल फोन भी स्विच्ड ऑफ हो चुका था. ऐसे में घरवालों का परेशान होना लाज़िमी था. जब देर तक इंतजार करने के बावजूद मंगतराम का कोई पता नहीं चला तो उनके घरवाले रेवाडी पहुंचे. इसके बाद उन्होंने ना सिर्फ उस कारोबारी से बात की, जिनसे मंगतराम मिलने पहुंचे थे, बल्कि उन्होंने पुलिस से भी शिकायत की.
असल में रेवाड़ी के कारोबारी अंकित भालिया ने मंगतराम के घरवालों को बताया कि 10 अगस्त की सुबह मंगतराम उनसे मिलने तो जरूर पहुंचे थे, वो उनसे 12 लाख रुपये लेकर गए भी थे. लेकिन इसके बाद वो कहां गए, किससे मिले, कैसे गायब हो गए? इसके बारे में उसे कोई खबर नहीं है. यकीनन ये बात बड़ी उलझानेवाली थी. मंगतराम के घरवालों का इल्ज़ाम है कि पहले तो उनकी इस शिकायत को पुलिस ने कोई खास तवज्जो नहीं दी, लेकिन जब अलवर में मंगतराम की गुमशुगदगी की जीरो एफआईआर दर्ज कर वहां की पुलिस ने इसे रेवाड़ी पुलिस के पास जांच के लिए भेज दिया, तो पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू की.
देर से ही सही.. अब रेवाड़ी पुलिस ने इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी. चूंकि मंगतराम की आख़िरी मुलाकात अपने साथी कारोबारी अंकित भालिया से ही हुई थी, तो रेवाड़ी पुलिस ने भी सबसे पहले अंकित से ही पूछताछ की. अंकित ने फिर से पुलिस को वही कहानी सुनाई और कहा कि वो उनसे 12 लाख रुपये लेकर कहां चले गए, ये उसे नहीं पता है. अब पुलिस को मंगतराम की गुमशुदगी का सच जानने के लिए सबूतों की दरकार थी और पुलिस ने आगे की जांच के लिए टेक्नीकल इनवेस्टिगेशन करने का फैसला किया.
पुलिस ने सबसे पहले रेवाड़ी के उन रास्तों की सीसीटीवी फुटेज निकलवाई, जिनसे होकर मंगतराम अंकित भालिया से मिलने पहुंचे थे. इसी दौरान पुलिस की नज़र एक खास चीज पर पडी. पुलिस ने मंगतराम को अंकित भालिया के गोदाम की तरफ जाते हुए तो देखा, लेकिन लौटते हुए उनकी कोई तस्वीर किसी सीसीटीवी फुटेज में नज़र नहीं आई. ऐसे में पुलिस के शक की सुई अब अंकित भालिया की तरफ मुडने लगी.
पुलिस ने अब मंगतराम के मोबाइल फोन की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकार्ड निकलवाई और उसका मुआयना शुरू किया. पुलिस ने दो बातें गौर की. पहला तो ये कि मंगतराम की अगर किसी से आखिरी बार बात हुई थी, तो वो अंकित भालिया ही था. और दूसरा ये कि रेवाड़ी में ही मंगतराम के मोबाइल फोन की लास्ट लोकेशन थी. जो अंकित भालिया से मुलाकात के कुछ ही देर बाद ऑफ हो चुका था. यानी मोबाइल के सीडीआर ने अंकित भालिया पर पुलिस का शक थोड़ा और गहरा कर दिया.
लेकिन सच्चाई तक पहुंचने के लिए उसे अभी और सबूतों की दरकार थी. असल में पुलिस इससे पहले कई बार अंकित भालिया से पूछताछ कर चुकी थी. यहां तक कि अंकित मंगतराम के घरवालों के साथ खुद ही कई बार पुलिस के पास पहुंचा था. और हर बार अंकित ने पुलिस को वही जवाब दिया, जो वो पहले दे चुका था. अब पुलिस ने इस मामले में थोड़ा इंतजार करने का फैसला किया और इस इंतजार ने पुलिस को इस मर्डर केस से जुड़ा एक अहम क्लू दे दिया.
पुलिस मंगतराम के मोबाइल फ़ोन को पहले ही सर्विलांस पर लगा चुकी थी. लेकिन तीन से चार दिन गुज़रते-गुज़रते तब इस मामले में पुलिस को एक जबरदस्त सुराग हाथ लगा, जब वो मोबाइल फोन अचानक दिल्ली से सटे गुरुग्राम के इलाके में ऑन हुआ. अब रेवाड़ी पुलिस ने बगैर देर किए उस शख्स को धर दबोचा, जिसने मोबाइल फोन स्विच्ड ऑन किया था. पुलिस को पता चला कि स्विच्ड ऑन करनेवाले शख्स को तो मोबाइल फोन कहीं लावारिस हालत में पड़ा मिला था.
जब पुलिस ने मोबाइल फोन की जांच की, तो उसमें एक सनसनीखेज रिकॉर्डिंग पुलिस के हाथ लगी. उस रिकॉर्डिंग में एक शख्स मंगतराम को बुरी तरह डरा रहा था. धमकी देनेवाला शख्स मंगतराम से कह रहा था कि अब तेरी जिंदगी में सिर्फ दस ही मिनट बाकी बचे हैं. जो करना है कर ले, फिर तेरा काम तमाम होना ही है. पुलिस ने इस आवाज़ की पहचान करने की कोशिश की. और जल्द ही पुलिस को पता चला कि ये आवाज़ किसी और की नहीं बल्कि कारोबारी अंकित भालिया के कज़िन मनोज की है. यानी अब पुलिस के हाथ अंकित भालिया के खिलाफ एक और सबूत हाथ लग चुका था.
इससे पहले कि पुलिस अंकित भालिया तक पहुंच पाती, वो गायब हो चुका था. हालांकि पुलिस ने उसके कज़िन मनोज को रेवाड़ी से ही गिरफ्तार कर लिया. फिर मनोज ने ना सिर्फ मंगतराम अरोडा का कत्ल करने की बात कबूल कर ली, बल्कि इस कत्ल के पीछे जो कहानी सुनाई, वो गद्दारी और दगाबाज़ी में लिपटी एक गहरी साज़िश की कहानी थी.
असल में मंगत अरोड़ा के साथ अंकित भालिया का पुराना कारोबारी रिश्ता था. मंगतराम अरोड़ा ने कुछ समय पहले अंकित को स्क्रैप सप्लाई किया था, जिसके बदले में उन्हें 35 लाख रुपये लेने थे. लेकिन अब अंकित भालिया की नीयत बदल चुकी थी और वो रुपये नहीं चुकाना चाहता था. यही वजह थी कि वो काफी दिनों से टाल मटोल कर रहा था. लेकिन जब 10 अगस्त को मंगतराम अरोड़ा फिर से अपने रुपये लेने के लिए अंकित भालिया के पास पहुंचे, तो अंकित ने उनके आने से पहले ही उन्हें मारने की साजिश रच डाली और इसमें अपने साथ अपने कजिन मनोज और अपने एक मुलाजिम को तीन लाख रुपये के बदले मंगतराम का कत्ल करने के लिए तैयार कर लिया. फिर तीनों ने मिल कर पहले मंगत को धोखे से एक कुर्सी पर बिठाया. चाय पिलाई और अचानक ही तार से उनका गला घोंट दिया.
कत्ल के बाद सबसे बड़ी सवाल था कि मंगतराम की लाश को कहां ठिकाने लगाया जाए? इत्तेफाक से अंकित के गोदाम में जमीन के नीचे पानी की टंकी बनाने के लिए गड्ढा खुदा हुआ था. तीनों आरोपियों ने मंगतराम की लाश उसी गड्ढे में डाली और ना सिर्फ उस पर मिट्टी डाल कर उसे दफ्ना दिया. बल्कि ऊपर से फर्श भी बना दिया. ताकि किसी को दूर-दूर तक जमीन के नीचे लाश गड़े होने का शक ना हो और सबूत भी आसानी से ना मिले. और तो और इस फर्श के ऊपर कातिलों ने सामान वगैरह भी रख दिया था.
इस मामले में अंकित के कज़िन मनोज की गिरफ्तारी हुई, तो सारा सच सामने आ गया. पुलिस ने उसके दूसरे साथी को भी गिरफ्तार कर लिया और फिर एक रोज बाद इस मामले के मास्टरमाइंड अंकित भालिया को पुलिस ने पंजाब के लुधियाना से धर दबोचा. इस तरह पुलिस ने एक कारोबारी की रहस्यमयी गुमशुदगी और कत्ल का मामला पांच दिनों की तफ्तीश के बाद आखिरकार सुलझा लिया. हालांकि घरवालों ने इस मामले रेवाड़ी पुलिस पर लापरवाही का इल्जाम भी लगाया, क्योंकि पुलिस के हरकत में आने से पहले ही कारोबारी मंगतराम का कत्ल हो चुका था और उसकी लाश जमीन के 4 फीट नीचे दफ्न हो चुकी थी.