Cancellation Holidays : छत्तीसगढ़ में सरकारी छुट्टियों पर प्रशासनिक सख्ती…! फाइव डे वीक का आदेश होगा निरस्त…अधिक छुट्टियों के बावजूद ‘कांग्रेस’ को नहीं मिला चुनावी लाभ

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रायपुर, 18 मई। Cancellation Holidays : छत्तीसगढ़ में सरकारी कार्यालयों में समय पर उपस्थिति और कार्य संस्कृति को लेकर गंभीर चिंताएं उभर रही हैं। हाल ही में कई जिलों में अधिकारियों और कर्मचारियों की लेटलतीफी और अनुपस्थिति के मामले सामने आए हैं, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकारी दफ्तरों में कामकाजी माहौल गंभीर संकट का सामना कर रहा है। सप्ताह में दो दिन की छुट्टियों, राष्ट्रीय और प्रादेशिक अवकाशों के कारण आम जनता को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कर्मचारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचते, जिससे कामकाजी माहौल प्रभावित हो रहा है।

लोकल छुट्टियों की भरमार

पिछली सरकार ने कर्मचारियों को खुश करने के लिए पांच दिवसीय सप्ताह वर्किंग डे लागू किया, लेकिन समय का सख्ती से पालन कराने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। कर्मचारी अपने हिसाब से ऑफिस आते-जाते रहे। उपर से लोकल छुट्टियों की भरमार कर दी। छोटे-छोटे तीज-त्यौहारों में भी पूरे दिन का अवकाश। ऐसे में सरकारी व्यवस्था चरमराती जा रही है। कोई योजना या परियोजना पर गंभीरता से काम करने का प्रयास भी किया जाए तो छुट्टियों के चलते उसमें व्यवधान आ जाता है।

फाइव डे वीक का आदेश निरस्त?

हालांकि, दिसंबर 2023 में सरकार बदलने के बाद से पब्लिक डोमेन में यह चर्चा है कि सरकार फाइव डे वीक का आदेश निरस्त कर सकती है। अब अधिकारिक स्तर पर भी इसकी चर्चा शुरू हो गई है कि राज्य के व्यापक हित में फाइव डे वीक को समाप्त कर सप्ताह के दूसरे और तीसरे शनिवार को छुट्टी वाली व्यवस्था फिर से लागू कर दिया जाए।

बघेल सरकार से नाखुश

बहरहाल, कर्मचारियों को दी गई अतिरिक्त छुट्टियों और सुविधाओं के बावजूद, कांग्रेस को इसका राजनीतिक लाभ नहीं मिला। इससे यह संकेत मिलता है कि कर्मचारियों और उनके परिवारों ने इन सुविधाओं को प्राथमिकता नहीं दी, और चुनावी परिणाम में इसका प्रभाव पड़ा। यह कांग्रेस के लिए एक संकेत है कि कर्मचारियों की संतुष्टि के बावजूद, अन्य मुद्दे भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं।

प्रमुख समस्याएं

  • अवकाशों का अत्यधिक प्रभाव : राष्ट्रीय और प्रादेशिक अवकाशों के कारण कामकाज में रुकावट आ रही है। दिवाली के बाद से ही सरकारी कामकाज ठप पड़ा है, जिससे आम जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
  • बायोमेट्रिक सिस्टम की अनुपस्थिति : कई दफ्तरों में बायोमेट्रिक सिस्टम नहीं होने के कारण कर्मचारियों की उपस्थिति की सही जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करना मुश्किल हो रहा है।
  • समय पर उपस्थिति की कमी : अधिकांश कर्मचारी और अधिकारी सुबह 10 बजे के बाद दफ्तर पहुंचते हैं। कुछ कर्मचारी तो शुक्रवार को आधे दिन के बाद ही दफ्तर छोड़ देते हैं। इससे कामकाजी माहौल प्रभावित हो रहा है।

प्रमुख घटनाएं

  • रायगढ़ : कलेक्टर कार्यालय में बुधवार को निरीक्षण के दौरान 8 अधिकारी और 48 कर्मचारी सुबह 10 बजे तक उपस्थित नहीं पाए गए। सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और एक दिन का वेतन काटने की चेतावनी दी गई है।
  • गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) : कलेक्टर के औचक निरीक्षण में 41 अधिकारी और कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंचे। 5 विभागों के कार्यालयों में ताले लगे पाए गए। कलेक्टर ने सभी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
  • जशपुर : यहां के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में सुबह 10 बजे के बाद भी ताले लटके मिले। कर्मचारियों का कहना है कि वे 11 बजे के बाद आते हैं।
  • बिलासपुर : कलेक्टर के निर्देश पर कोटा एसडीएम ने तीन प्रमुख कार्यालयों का निरीक्षण किया, जहां 33 कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए। सभी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

प्रशासनिक कदम

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय : नए साल के पहले दिन अधिकारियों को समय पर कार्यालय आने की नसीहत दी थी, जिसका असर देखने को मिला है।

संभागायुक्त रायपुर : उन्होंने सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे कर्मचारियों की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करें। देरी करने वालों के खिलाफ निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है।