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Supreme Court gives a shock to Bhupesh Baghel...! Anticipatory bail plea rejected... See here what the court said...?
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Supreme Court से भूपेश बघेल को झटका…! अग्रिम जमानत याचिका खारिज…कोर्ट ने क्या कहा यहां देखें…?

रायपुर, 04 अगस्त। Supreme Court : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका मिला है। गिरफ्तारी की आशंका को लेकर दाखिल अग्रिम जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने विचारार्थ स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका को लौटा दिया और निर्देश दिया कि वे उचित फोरम यानी निचली अदालत में जाएं। क्या है मामला? भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। यह याचिका प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और संभावित कार्रवाई को लेकर दायर की गई थी। पूर्व सीएम का कहना था कि राजनीतिक कारणों से उन्हें टारगेट किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “आपको पहले निचली अदालत में जाना चाहिए। अग्रिम जमानत का पहला मंच ट्रायल कोर्ट ही है।” कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह सीधे सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं दे सकती, और मामले को योग्य न्यायालय में रखने की सलाह दी। अब आगे क्या? भूपेश बघेल को अब सेशन कोर्ट या हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन देना होगा। यदि वहां से राहत नहीं मिलती, तब वे पुनः सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। राजनीतिक प्रतिक्रिया इस घटनाक्रम को लेकर छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। कांग्रेस ने इसे सत्ता के दुरुपयोग का मामला बताया है, जबकि बीजेपी नेताओं ने कहा कि “कानून सबके लिए समान है।” भूपेश बघेल का नाम पिछले कुछ समय से छत्तीसगढ़ में हुए कथित घोटालों और ईडी जांच में सामने आता रहा है। उन्होंने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है।

JMM Supremo: Former Jharkhand Chief Minister Shibu Soren passes away...! See Hemant Soren's emotional message here
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JMM Supremo : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन…! यहां देखें हेमंत सोरेन का भावुक संदेश

रांची/नई दिल्ली, 04 अगस्त। JMM Supremo : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और आदिवासी राजनीति की मजबूत आवाज शिबू सोरेन का सोमवार, 4 अगस्त को निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। उनके निधन की पुष्टि उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की। शिबू सोरेन बीते कई दिनों से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे और किडनी संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। नेताओं और जनता में शोक की लहर शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड से लेकर दिल्ली तक शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल संतोष गंगवार, और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित कई नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा: “शिबू सोरेन एक ज़मीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊँचाइयाँ हासिल कीं। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे।” हेमंत सोरेन का भावुक संदेश मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक्स पर लिखा: “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया।” उनके इस संदेश से उनके निजी और राजनीतिक नुकसान का गहरा भाव स्पष्ट झलकता है। राजनीतिक सफर और योगदान ‘दिशोम गुरु’ के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन झारखंड के आदिवासी आंदोलन के अग्रदूत माने जाते हैं। उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने – 2005, 2008 और 2009 में, हालांकि उनका कोई कार्यकाल पूरा नहीं हो पाया। वे आठ बार दुमका से लोकसभा सांसद और दो बार राज्यसभा सांसद रहे। 2004 में कोयला मंत्री के रूप में भी वे केंद्र सरकार में शामिल हुए। परिवार और अंतिम क्षण उनके परिवार में बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विधायक बहू कल्पना सोरेन, और बेटे बसंत सोरेन हैं। निधन के समय पूरा परिवार दिल्ली में मौजूद था। जनता और कार्यकर्ताओं की श्रद्धांजलि राज्य भर में JMM के कार्यकर्ताओं और आम जनता ने सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से श्रद्धांजलि अर्पित की। झारखंड में शोक की लहर है और संभावना है कि राज्य सरकार उनके सम्मान में राजकीय शोक की घोषणा कर सकती है। एक अपूरणीय क्षति शिबू सोरेन का निधन न सिर्फ JMM पार्टी, बल्कि पूरे झारखंड और (JMM Supremo) भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी राजनीतिक विरासत और आदिवासी हितों के लिए संघर्ष को हमेशा याद रखा जाएगा।

Interracial Marriage: Ruckus in Satgarh society over inter-caste marriage of DSP in Bilaspur...! Officials trapped in boycott and FIR
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Interracial Marriage : बिलासपुर में DSP के अंतरजातीय विवाह पर सतगढ़ समाज में घमासान…! बहिष्कार और FIR में फंसे पदाधिकारी

बिलासपुर, 04 अगस्त। Interracial Marriage : सतगढ़ तंवर समाज और उनके ही समाज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के बीच विवाद ने तूल पकड़ लिया है। दरअसल, समाज के पदाधिकारियों ने अपने ही समाज से ताल्लुक रखने वाले DSP डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर समाज के अध्यक्ष सहित कई पदाधिकारियों पर झूठा मुकदमा दर्ज कराया है। क्या है मामला? ग्राम नुनेरा निवासी डॉ. मेखलेंद्र प्रताप सिंह वर्तमान में सरगुजा संभाग में DSP के पद पर पदस्थ हैं। उन्होंने सरगुजा जिले की एक युवती से अंतरजातीय विवाह किया है। इस विवाह के बाद उनके समाज, सतगढ़ तंवर समाज ने इस विषय पर बैठक बुलाई। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि DSP सिंह ने समाज के नियमों का उल्लंघन किया है और समाज से अलग माने जाएंगे। समाज की दंड विधान पुस्तिका के अनुसार, इंटरकास्ट मैरिज को सामाजिक अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसी आधार पर समाज की केन्द्रीय और शाखा कार्यकारिणी की उपस्थिति में प्रस्ताव पारित कर डॉ. सिंह और उनके परिवार को भविष्य में किसी भी सामाजिक कार्यक्रम से अलग रखने का निर्णय लिया गया। DSP की शिकायत और FIR DSP मेखलेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि समाज के लोगों ने उनके और उनके परिवार के सदस्यों को बहिष्कृत किया, गाली-गलौज की और धमकी दी। इस आरोप के आधार पर कोटा थाने में FIR दर्ज की गई, जिसमें समाज के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को नामजद किया गया। समाज पदाधिकारियों का पलटवार एफआईआर के बाद समाज के पदाधिकारियों ने सफाई दी कि किसी प्रकार का बहिष्कार नहीं किया गया है। उनका कहना है कि कोरबा में हुई समाज की बैठक में केवल सामाजिक चर्चा हुई थी और DSP को केवल नोटिस जारी किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि DSP ने अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर समाज के बुजुर्ग अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को फंसाया है। पुलिस कार्यप्रणाली पर सवाल समाज के लोगों ने एफआईआर की स्थानीयता और समय को लेकर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि बैठक कोरबा में हुई थी, जबकि केस बिलासपुर में दर्ज किया गया। साथ ही बैठक के दो माह बाद केस दर्ज होने को भी संदिग्ध बताया गया है। निष्पक्ष जांच की मांग समाज के लोगों ने एसपी और आईजी से मिलकर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि यह एक सामाजिक मामला है, जिसे कानून के जरिए दबाने की कोशिश की जा रही है।

Anticipatory Bail: Challenge to ED and CBI...! Ex CM Bhupesh Baghel filed anticipatory bail petition in SC...Hearing fixed on August 4...VIDEO
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Anticipatory Bail : ED और CBI को चुनौती…! Ex CM भूपेश बघेल ने की सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर…सुनवाई 4 अगस्त को तय…VIDEO

रायपुर, 03 अगस्त। Anticipatory Bail : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल ने गोपनीय मामलों में गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की है। इसमें CBI और ED की शक्तियों व अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गई है, विशेष रूप से ये सवाल उठाया गया है कि क्या इन एजेंसियों ने PMLA और अन्य सम्बंधित क़ानूनों के तहत अपने कार्यक्षेत्र से बाहर निकलकर सरकारी अत्यधिक हस्तक्षेप किया है या नहीं। यह याचिका सोमवार (4 अगस्त, 2025) को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमाल्य बागची की पीठ के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। याचिका में शामिल है मुद्दा बिंदु शराब–कोयला–‘महादेव सट्टा’ इनमें आरोप ED और CBI द्वारा अभियोजन की मुख्य सामग्री में शामिल है कि 2019–22 के बीच राज्य खज़ाने से कम से कम ₹2,161 करोड़ की कथित हेराफ़ेरी की गई- इसमें ‘महादेव ऐप’ सट्टा, CSMCL से जुड़े कमीशन, और कोयला सीमा शुल्क (levy) मामले शामिल हैं। इन सभी जांचों में बेटे समेत संघ से जुड़े अन्य अधिकारी, व्यवसायी और नौकरशाह आचरण में संलिप्त बताए जा रहे हैं। राजनीतिक पश्चाताप (Political Vendetta) याचिका में आरोप है कि चैतन्य की गिरफ्तारी उनके जन्मदिन पर बिना समन या आरोपपत्र के की गई, और उनका नाम FIR या किसी गवाह बयान में नहीं है। भूपेश बघेल का दावा है कि यह कार्रवाई राजनीतिक द्वेष और बुरे इरादे से प्रेरित है और व्यक्तिगत प्रतिशोध का परिणाम है। जांच में सहयोग की पेशकश याचिका में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भूपेश बघेल उनसे पूछताछ को टालने का प्रयास नहीं करते, बल्कि पूरी ईमानदारी से जांच एजेंसियों से सहयोग देने का अवसर प्रदान किए जाने की मांग की गई है, बजाय गिरफ्तारी के। चैतन्य बघेल की स्थिति 17 जुलाई 2025 को ED ने चैतन्य को मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) केस में गिरफ्तार किया। तत्पश्चात रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश कर, उन्हें पहले 5 दिनों की ED रिमांड, और बाद में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत दी गई। उनकी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल की गई है — जिसमें कहा गया है कि FIR और गवाह बयानों में उनका नाम नहीं था, फिर भी गिरफ्तारी की गई है। कानूनी विश्लेषण और महत्व: अगली कार्रवाई सोमवार, 4 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट में समन तरीके की वैधता, एजेंसियों की कार्यप्रणाली, गिरफ्तारी की सीमाएं, और जमानत मिलने योग्य परिस्थितियों (Anticipatory Bail) पर बहस होगी। यदि याचिका स्वीकार होती है, तो यह गिरफ्तारी प्रक्रिया और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली में एक नया पूर्वानुमान (precedent) बन सकती है। जन्मदिन पर बेटा हुआ था गिरफ्तार चैतन्य से मिलने पहुंचा पिता

Prajwal Revanna: Mother raped, daughter's clothes removed and obscenity on video call...! This is Deve Gowda's grandson Prajwal Revanna...now sentenced to life imprisonment
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Prajwal Revanna : मां से रेप, बेटी के उतरवाए कपड़े और वीडियो कॉल पर अश्लीलता…! ऐसे है देवेगौड़ा के पोते प्रज्वल रेवन्ना…अब उम्रकैद की सजा

बेंगलुरु, 02 अगस्त। Prajwal Revanna : कर्नाटक के पूर्व सांसद और जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उन पर लगाए गए गंभीर आरोपों में शामिल हैं,बलात्कार, यौन शोषण, धमकी देना और डिजिटल अपराध है। बेंगलुरु में पीड़िता की मां से रेप, कई महिलाओं का यौन शोषण पीड़िता ने खुलासा किया था कि उसकी मां के साथ बेंगलुरु के बसवनगुड़ी स्थित आवास पर रेप किया गया। इस वारदात का वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। केवल प्रज्वल ही नहीं, पीड़िता ने उसके पिता और जेडीएस के वरिष्ठ नेता एचडी रेवन्ना पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। उसने कहा था कि बाप-बेटे आदतन अपराधी हैं। इन दोनों ने पीड़िता की मां के साथ घर में काम करने वाली अन्य महिला कर्मचारियों का भी यौन शोषण किया था। इस खुलासे के बाद तीन नौकरानियां भी सामने आई थीं। पीड़िता के पिता की नौकरी छीन ली, जमीन तक बेचनी पड़ी पीड़िता ने बताया था कि दो साल तक लगातार उत्पीड़न ने उसके परिवार को उजाड़ दिया। उसकी मां महीनों तक घर से दूर रहती थीं। आधी रात को ही फोन कर पाती थीं। पिता के साथ मारपीट हुई। उनको अपनी जमीन बेचनी पड़ी और नौकरी तक छिन गई। निर्णय की मुख्य बातें आरोपों की गहराई

Nuakhai: Chhattisgarh government has amended the date of local holiday on Nuakhai...! Now there will be holiday on this day... see order copy here
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Nuakhai : छत्तीसगढ़ सरकार ने नुआखाई पर स्थानीय अवकाश की तिथि में किया संशोधन…! अब इस दिन रहेगी छुट्टी…यहां देखें आदेश Copy

रायपुर, 01 अगस्त। Nuakhai : छत्तीसगढ़ सरकार ने आगामी नुआखाई (ऋषि पंचमी) पर्व के अवसर पर घोषित स्थानीय अवकाश की तिथि में बदलाव किया है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी संशोधित आदेश के अनुसार, अब यह अवकाश 30 सितंबर के बजाय 28 अगस्त 2025 (बुधवार) को लागू होगा। यह अवकाश नवा रायपुर अटल नगर एवं रायपुर शहर में स्थित सभी शासकीय कार्यालयों और संस्थाओं में मान्य होगा। हालांकि, यह बैंक, कोषालय एवं उप-कोषालय जैसे वित्तीय संस्थानों पर लागू नहीं रहेगा। आदेश की मुख्य बातें पूर्व में निर्धारित अवकाश तिथि: 30 सितंबर 2025 नई संशोधित तिथि: 28 अगस्त 2025 क्षेत्र: नवा रायपुर अटल नगर और रायपुर शहर अवकाश लागू: सभी शासकीय कार्यालय/संस्थान अवकाश अपवाद: बैंक/कोषालय/उप-कोषालय नुआखाई, खासकर छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है, जिसमें नई फसल के आगमन पर आभार जताया जाता है। राज्य सरकार के इस निर्णय से शासकीय कर्मचारियों को पर्व मनाने में सहूलियत मिलेगी। गौरतलब है कि सामान्य प्रशासन विभाग समय-समय पर क्षेत्रीय पर्वों को ध्यान में रखते हुए स्थानीय अवकाश घोषित करता है, ताकि सांस्कृतिक परंपराएं सशक्त बनी रहें।

Saja BJP MLA Ishwar Sahu distributed the voluntary grant amount among his own family... Congress released the list... see here
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Saja BJP MLA ईश्वर साहू ने अपने परिवार में ही बांट दी स्वेच्छानुदान राशि…कांग्रेस ने जारी की List…यहां देखें

रायपुर, 01 अगस्त। Saja BJP MLA : साजा भाजपा विधायक ईश्वर साहू के खिलाफ स्वेच्छानुदान राशि के वितरण में कथित भेदभाव और पारिवारिक स्वार्थ से जुड़े आरोप सोशल मीडिया पर वायरल सूची के रूप में सामने आए हैं। आरोप है कि विधायक के पीएसओ ओम साहू, पीए दिग्विजय केशरी, अनुज वर्मा और ऑपरेटर धीरज पटेल ने मिलकर स्वेच्छानुदान घोटाला किया है, जिसमें अधिकांश हितग्राही इनकी रिश्तेदार और विधायक के अपने संबंधी बताए जा रहे हैं। कांग्रेस ने किया सूची पोस्ट वायरल रिपोर्ट और सूची के मुताबिक स्वेच्छानुदान की राशियाँ प्रधानता से इन तीनों कर्मचारियों के परिवार वालों को दी गई। जिन लोगों को अनुदान दिया गया, उनमें विधायक ईश्वर साहू के निकट संबंधियों के नाम भी शामिल हैं। कांग्रेस द्वारा जारी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया, “भाई का… चाचा का… मामा का… सबका पैसा ले रहा ईश्वर साहू! चिलम‑तंबाकू का डब्बा खोजने में व्यस्त विधायक ईश्वर साहू और उनके सुरक्षा में तैनात पीएसओ ओम साहू का यह कारनामा देखिए। शासन की स्वेच्छानुदान राशि, जो जरूरतमंदों को मिलनी चाहिए, उसे परिवार में बांटकर खा गए।” कांग्रेस ने इसे सत्ता की अपव्यवस्था और परिवारवाद (Saja BJP MLA) बताया है। सूची सार्वजनिक होने के बाद कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी, इसे लेकर राजनीतिक शब्द-विनिमय शुरू हो गया है।

Murder Breaking: Teacher brutally murdered with sharp weapon in Bemetara...death was done while returning on scooty
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Murder Breaking : बेमेतरा में शिक्षक की धारदार हथियार से निर्मम हत्या…स्कूटी पर करते लौटते समय दिया अंजाम

बेमेतरा, 01 जुलाई। Murder Breaking : बेमेतरा के खंडसरा थाना क्षेत्र के ग्राम करचुवा के पास गुरुवार दोपहर करीब 4:30 बजे शासकीय प्राथमिक स्कूल हेमाबंद के शिक्षक सतीश कुमार राय की धारदार हथियार से सरेआम हत्या कर दी गई। यह वारदात उस समय हुई जब वो स्कूटी से घर जा रहे थे, और अचानक अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया। घटना की भयावहता शिक्षक स्कूली बस्ते सहित स्कूटी पर मार्ग से लौट रहे थे, तभी ग्राम करचुवा के पास रुकवाकर अचानक धारदार हथियार से गर्दन पर हमला किया गया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। यह वारदात दिनदहाड़े हुई, जिससे आसपास के लोगों में खौफ और इलाके में सनसनी फैल गई। कई लोग घटना स्थल पर इकट्ठा हो गए और पुलिस को सूचना दी। खंडसरा पुलिस चौकी को तुरंत सूचना प्राप्त करते ही मौके पर भेजा गया। आसपास मौजूद ग्रामीणों ने घटना की जानकारी दी, पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेजा और जांच शुरू कर दी। स्थानीय थानाधिकारी ने बताया कि फिलहाल एक संदिग्ध गिरफ्तार किया गया है और आगे पांच से छह संभावित आरोपियों की तलाश की जा रही है।

Independence Day: 25 Chhattisgarh policemen will be honored on Independence Day...3 awarded gallantry medals posthumously...see list here
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Vice Presidential Elections : उपराष्ट्रपति पद चुनाव की तारीख का ऐलान…! 9 सितंबर 2025 को होगा मतदान

नई दिल्ली, 01 अगस्त। Vice Presidential Elections : चुनाव आयोग ने भारत के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की, इसके मुताबिक मतदान की तिथि (यदि आवश्यक हो)- 9 सितंबर, 2025 को होगा। वहीं नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त, 2025 है, नाम वापस लेने की तारीख 25 अगस्त है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव का परिणाम मतदान के दिन नौ सितंबर को ही घोषित कर दिया जाएगा। सुनियोजित चुनाव प्रक्रिया निर्वाचन आयोग ने निर्वाचक मंडल की सूची अंतिम रूप में तैयार कर ली है, जिसमें लोकसभा के 542 तथा राज्यसभा के 240 सदस्य शामिल हैं। सरकार समर्थित राजग (NDA) के पास दोनों सदनों में कुल 422 सदस्य हैं, जिससे उन्हें चुनाव में स्पष्ट बहुमत प्राप्त है। अब तक बैकग्राउंड कार्य जैसे रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति (PC मोदी), चुनाव सामग्री तैयार करना, सदस्य सूची जारी करना, आदि पूरे किए जा चुके हैं। रिक्त पद और उसके पीछे की वजह उपराष्ट्रपति पद 22 जुलाई, 2025 को निवर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा स्वास्थ्य संबंधी कारण बताते हुए त्यागपत्र देने के बाद खाली हो गया। उपराष्ट्रपति का चुनाव गोपनीय मतपद्धति (Single Transferable Vote) से होगा, जिसमें निर्वाचक मंडल सदस्य प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि निमंत्रण, नामांकन, परिणाम, सभी प्रक्रियाएं संवैधानिक और विधिक ढाँचे के अनुसार पूरी की जाएगी। संक्षिप्त विवरण पहलू विवरण निर्वाचक मंडल लोकसभा एवं राज्यसभा (चुनावित + मनोनीत सदस्य) बहुमत स्थितियाँ NDA के पास ~422 मतदाता (बहुमत) नामांकन अंतिम तारीख 21 अगस्त 2025 नाम वापस लेने की तिथि 25 अगस्त 2025 संभावित मतदान दिन 9 सितंबर 2025 परिणाम घोषणा तिथि मतदान के दिन ही रिटर्निंग अधिकारी P.C. मोदी (Rajya Sabha Secretary General)

Coal Levy Scam: Accused Suryakant Tiwari will not be transferred from Raipur jail…! Court rejects plea
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Coal Levy Scam : आरोपी सूर्यकांत तिवारी को रायपुर जेल से ट्रांसफर नहीं किया जाएगा…! कोर्ट ने की अर्जी खारिज

रायपुर, 31 जुलाई। Coal Levy Scam : बहुचर्चित 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी और कथित मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी को रायपुर सेंट्रल जेल से स्थानांतरित करने की जेल प्रशासन की अर्जी को एसीबी–ईओडब्ल्यू की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जेल मैनुअल का गंभीर उल्लंघन साबित न होने की स्थिति में किसी बंदी का ट्रांसफर उचित नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने कहा– ट्रांसफर के लिए पर्याप्त आधार नहीं जेल प्रशासन की ओर से दलील दी गई थी कि सूर्यकांत तिवारी का व्यवहार बार-बार अशोभनीय रहा है और वह जेल में अराजकता फैलाने की कोशिश करता है। 20 जुलाई को बैरक में की गई आकस्मिक जांच का हवाला देते हुए कहा गया कि तिवारी ने जांच में सहयोग नहीं किया और जेलकर्मियों से अभद्र भाषा में बात की। हालांकि, अदालत ने इन आरोपों को प्रमाणों के अभाव में अस्वीकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जब तक कोई बंदी जेल की सुरक्षा, संचालन या अनुशासन के लिए सीधा खतरा नहीं बनता, तब तक उसे अन्य जेल में स्थानांतरित करना उचित नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने दी निगरानी सख्त करने की सलाह अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि तिवारी का जेल के भीतर प्रभाव अनुशासन के लिए चुनौती बन रहा है, तो प्रशासन को चाहिए कि वह जेल परिसर में निगरानी और अनुशासन को सख्त करे, न कि स्थानांतरण का सहारा ले। कोल लेवी घोटाले का मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी पर आरोप है कि उसने कोयला परिवहन, परमिट और पीट पास के नाम पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली का बड़ा नेटवर्क खड़ा किया, जिसमें कई प्रभावशाली अधिकारी और कारोबारी शामिल थे। इस घोटाले में तिवारी के साथ-साथ, निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उप सचिव सौम्या चौरसिया और IAS समीर विश्नोई भी आरोपी हैं। इनमें से कई आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, लेकिन सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिकाएं लगातार खारिज होती रही हैं। अभी रायपुर सेंट्रल जेल में ही रहेंगे तिवारी कोर्ट के फैसले के बाद अब सूर्यकांत तिवारी (Coal Levy Scam) को रायपुर सेंट्रल जेल में ही न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। जेल प्रशासन को आदेश दिया गया है कि वे अनुशासन सुनिश्चित करें और निगरानी तंत्र को और प्रभावी बनाएं।