Holika Dahan: Holika Dahan in 9 auspicious times after 700 years...! Know the amazing coincidence hereHolika Dahan
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डेस्क रिपोर्ट, 23 मार्च। Holika Dahan : होलिका दहन का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। होलिका दहन की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। पूर्णिमा युक्त और भद्रा रहित मुहूर्त में ही होलिका दहन सम्पन्न किया जाता है। इस साल लगभग 700 सालों के बाद होलिका दहन पर 9 शुभ योग बन रहे हैं। होलिका दहन के अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है।

आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, विधि, कथा, सामग्री लिस्ट, मंत्र और उपाय-

होलिका दहन के दिन लक्ष्मी, सर्वार्थ सिद्धि, शश महापुरुष, वरिष्ठ, पर्वत,उभयचरी, अमला, सरल और केदार योग बन रहे हैं। माना जा रहा है। शुभ योगों का अद्भुत संयोग लगभग 700 सालों के बाद बना है। 

होलिका दहन शुभ मुहूर्त 

पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – मार्च 24, 2024 को 09:54 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – मार्च 25, 2024 को 12:29 पी एम बजे
होलिका दहन शुभ मुहूर्त – 11:13 पी एम से 12:12 ए एम, मार्च 25
अवधि – 00 घण्टे 59 मिनट्स
रंगवाली होली- सोमवार, मार्च 25, 2024 
भद्रा पूँछ – 06:33 पी एम से 07:53 पी एम
भद्रा मुख – 07:53 पी एम से 10:06 पी एम

होलिका दहन पूजन सामग्री

अक्षत, गंध, गुड़, फूल, माला, रोली, गुलाल, कच्चा सूत, हल्दी, एक लोटे में जल, नारियल, बताशा, गेहूं की बालियां और मूंग आदि।

होलिका पूजन मंत्र

होलिका मंत्र- ओम होलिकायै नम:
भक्त प्रह्लाद मंत्र- ओम प्रह्लादाय नम:
भगवान नरसिंह के लि मंत्र- ओम नृसिंहाय नम:

होलीका दहन विधि

होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठकर कच्चे सूत को होलिका के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। रोली, चावल से तिलक कर घर पर बने मिष्ठान और देसी घी की अठावरी का भोग लगाकर जल अर्पित कर होलिका और भक्त प्रहलाद की जय का उद्घोष करें। पूजन के बाद हाथ में शुद्ध जल का लोटा लेकर परिक्रमा कर अर्घ्य दें। होलिका में आहुति के लिए कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य एवं नई फसल का कुछ भाग प्रयोग करें। 

होलीका धन कथा-कहानी 

हिंदू पुराणों के अनुसार, जब हिरण्यकश्यप (राक्षसों के राजा) ने देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु की पूजा करता है, तो वह वास्तव में क्रोधित हो गया। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। ऐसा इसलिए है क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे आग में नहीं जलाया जा सकता। हालांकि, योजना के अनुसार चीजें नहीं हुईं। होलिका आग में जलकर राख हो गई और विष्णु भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। इसी घटना की स्मृति में होलिका दहन (होलिका मानकर होलिका दहन) करने का विधान है। होली का त्योहार यह संदेश देता है कि इसी तरह भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए उपलब्ध रहते हैं।

होलीका दहन का उपाय 

होलिका दहन से पूर्व सभी को हल्दी व चावल को पीसकर उबटन लगाकर उसे छुड़ाने के बाद होलिका की अग्नि में डालना चाहिए। होलिका की अग्नि के परिक्रमा (Holika Dahan) करने से पाप, ताप व संताप मिटते है। 

डिस्क्लेमर : इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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