Ratan Mohini Passed Away: Chief Administrator of Brahmakumari Institute Dadi Ratanmohini passed away...! The journey of knowledge started at the age of just 13... see hereRatan Mohini Passed Away
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आबूरोड, 08 अप्रैल। Ratan Mohini Passed Away : जिले के आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान की मुख्य प्रशासिका (चीफ) दादी रतन मोहिनी का सोमवार रात 1.20 बजे अहमदाबाद के निजी अस्पताल में देहवसान हो गया। दादी के निधन से अनुयायियों में शोक को लहर दौड़ गई। वे पिछले माह ही 100 साल पूरे किए थे।

संस्थान के पीआरओ बीके कोमल ने बताया कि मंगलवार को उनकी पार्थिव देह अहमदाबाद से आबूरोड ब्रह्माकुमारी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय लाई जाएगी। यहां अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा।पार्थिव देह का अंतिम संस्कार कब होगा, इस बारे मे संस्थान पदाधिकारी बाद में जानकारी देंगे।

आबूरोड स्थित शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में दादी रतनमोहिनी के पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है। संस्थान के पदाधिकारी और अनुयायी उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल ने भी दादी रतनमोहनी के निधन पर गहरा दुख जताया है।

13 साल की उम्र में ज्ञान में आई

दादी रतन मोहिनी का जन्म का नाम लक्ष्मी था। उनका जन्म हैदराबाद सिंध (तत्कालीन भारत और अब पाकिस्तान में है) के प्रसिद्ध व धार्मिक परिवार में 25 मार्च, 1925 को हुआ। जैसे दादी वर्णन बताती थी कि वे काफी शर्मीली थीं, लेकिन अच्छी छात्रा थीं। अधिकांश समय शिक्षा को समर्पित करती थी। जब वह ज्ञान में आई (ब्रह्माकुमारी के संपर्क में आई), तब उनकी उम्र केवल 13 वर्ष थी। बचपन से ही उनका झुकाव अध्यात्मिकता व पूजा-पाठ की तरफ था। यही कारण था का 13 वर्ष की उम्र में ब्रह्माकुमारी के संपर्क मे आने के बाद वे लगातार जुड़ी रही और संस्थान की स्थापना में मुख्य भूमिका निभाई।

पदाधिकारी और अनुयायियों ने दी श्रद्धांजलि

70 हजार किमी पदयात्रा

दिवंगत रतन माेहिनी जीवन के आखिरी समय तक सक्रिय रहीं। सवेरे साढ़े तीन बजे से दिनचर्या शुरू करती थी। रात दस बजे तक ईश्वरीय सेवाओं की गतिविधियां चलती थी। दादी के निर्देशन में कई विशाल पदयात्रा, रैलियां हुई। वे 70 हजार किमी की पदयात्रा कर चुकी थीं। वर्ष 2006 में 31 हजार किमी पदयात्रा की. इसके अलावा 1985 में करीब 40 हजार किमी की 13 यात्राएं की।

युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहीं

उन्होंने संस्थान में आने वाली बहनों के प्रशिक्षण और नियुक्ति का कार्यभार भी देखा. ब्रह्मा-कुमारीज संस्थान को समर्पित होने से पहले दादी के सान्निध्य में युवा बहनों का प्रशिक्षण चलता था। इसके बाद ही बहनें ब्रह्माकुमारी कहलाती हैं। वे देश के 4600 सेवा केंद्रों की 46 हजार से अधिक बहनाें काे प्रशिक्षण दे चुकी हैं। युवा प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रही थीं।

ब्रह्मा बाबा के साथ 32 साल का लंबा सफर तय किया

दादीजी ने वर्ष 1937 से लेकर ब्रह्मा बाबा के अ‌व्यक्त होने (वर्ष 1969) तक साए की तरह साथ रहीं। इन 32 साल में आप बाबा के हर पल साथ रहीं। बाबा का कहना और दादी का करना यह विशेषता शुरू से ही थी। बाबा जो शिक्षाएं भाई-बहनों को देते तो दादी अक्षरश: उन्हें अपने जीवन में शिरोधार्य करतीं। यही कारण है कि सैकड़ों भाई-बहन होने के बाद भी आप विशेष स्नेही और भरोसेमंद रहीं। बाबा ने जिस आस से आप को जिम्मेदारी सौंपी आपने उससे कई गुना बेहतर करके साबित कर दिखाया।

अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है पार्थिव शरीर

वर्ष 1996 में ब्रह्माकुमारीज़ (Ratan Mohini Passed Away) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि अब विधिवत बेटियों को ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया और तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम की हेड नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक आपके ही मार्गदर्शन में बेटियां ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग लेकर अपना जीवन समाजसेवा और विश्व कल्याण के कार्य में समर्पित करती रही हैं। बहनों की नियुक्ति का कार्य भी शुरू से लेकर दादीजी के हाथों में रहा।

Ratanmohini in her youth