Naxalite Peace Initiative: Naxalites took the initiative of peace...! Appealed for one month ceasefire...expressed desire to talk to the government...see letter hereNaxalite Peace Initiative
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सुकमा, 18 अप्रैल। Naxalite Peace Initiative : नक्सल प्रभावित इलाकों में एक अहम मोड़ पर पहुंचते हुए, नक्सलियों ने एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश करते हुए एक महीने के युद्धविराम की अपील की है। हाल ही में जारी एक पत्र के माध्यम से उन्होंने सरकार से बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

यह पत्र कथित तौर पर नक्सलियों की शीर्ष नेतृत्व इकाई कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उत्तर पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश द्वारा जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार दोनों से आग्रह किया है कि वे एक महीने के लिए सुरक्षा अभियानों पर रोक लगाएं, ताकि विश्वास का माहौल बन सके और शांति वार्ता को दिशा दी जा सके।

पत्र में क्या कहा गया

पत्र में नक्सलियों ने लिखा है- “हम संघर्ष और शांति के बीच विकल्प चुनने के मोड़ पर हैं। यदि सरकार वास्तव में शांति चाहती है, तो हम एक महीने के युद्धविराम के लिए तैयार हैं। इस अवधि में दोनों पक्षों को शांति की दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ना चाहिए।

रूपेश ने अपने पत्र में कहा कि मेरे पहले बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा को धन्यवाद। मेरी सुरक्षा गारंटी देते हुए मेरे इस कोशिश को आगे बढ़ाने की अनुमति देने के लिए भी मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने यह भी बताया कि शांति वार्ता के लिए उनके संगठन की ओर से प्रतिनिधित्व तय करने के लिए नेतृत्वकारी कमरेडों से मुलाकात आवश्यक है।

सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार

अब सभी की नजरें केंद्र और राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं। क्या सरकार इस प्रस्ताव को गंभीरता से लेगी? क्या वार्ता की प्रक्रिया शुरू हो सकती है? या यह सिर्फ एक रणनीतिक कदम है, जैसा कि पहले भी कई बार देखा गया है?

बता दें कि, यह अपील ऐसे समय आई है जब हाल के हफ्तों में नक्सली हमलों में तेजी आई है, खासकर छत्तीसगढ़ और झारखंड के इलाकों में। वहीं दूसरी ओर, सरकार ने भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऑपरेशनों को तेज किया है। ऐसे में यह पत्र एक नई राजनीतिक और रणनीतिक बहस को जन्म दे सकता है।

नक्सलियों की ओर से शांति वार्ता की यह पहल एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, बशर्ते यह केवल एक रणनीतिक चाल न हो। अब यह देखना होगा कि सरकार किस तरह इस प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देती है और क्या आने वाले दिनों में वाकई एक नया संवाद शुरू हो सकता है।