Puri Jagannath Mandir: Treasure of Lord Jagannath temple of Odisha…! No jeweler could estimate the price… know the details herePuri Jagannath Mandir
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नई दिल्ली, 20 जुलाई। Puri Jagannath Mandir : ओडिशा में भगवान जगन्नाथ मंदिर का खजाना 46 साल बाद खोला गया। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान हैं। 12वीं सदी में बने इस मंदिर के रत्न भंडार में कई दुर्लभ रत्न, सोने चांदी के जेवरात मौजूद हैं। इनमें भगवान के कीमती जेवरात, बर्तन, राजाओं के मुकुट और भक्तों के द्वारा दान में दी गईं सोने-चांदी की बेशकीमती चीजें शामिल हैं।

साल 1978 में जगन्नाथ मंदिर के खजाने को जब खोला गया था, तो रत्नों की कीमत का आकलन करने के लिए जौहरी बुलाए गए थे, लेकिन वे भी खजाने की कुल कीमत का अंदाजा नहीं लगा सके थे। उस वक्त खजाने की गणना के लिए मुंबई और गुजरात से जौहरी आए थे, जो खजाने में मौजूद दुर्लभ रत्नों को देख हैरान रह गए थे। खजाने में मौजूद हीरे जवाहरात करीब 900 साल से सहेजकर रखे गए हैं। उस वक्त महाराजा रणजीत सिंह ने काफी मात्रा में जगन्नाथ मंदिर को सोना दान किया था। उनकी वसीयत के अनुसार, कोहिनूर हीरा भी इसी मंदिर को दिया जाना था।

इस मंदिर का रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा हुआ है, इनमें एक बाहरी और एक भीतरी हिस्सा है। भंडार का बाहरी हिस्सा बड़े त्योहारों पर या यात्रा से पहले और कई खास मौकों पर खोला जाता है। वहीं भंडार का भीतरी हिस्सा 46 साल से बंद पड़ा था। साल 1985 में इसे खोला गया था, लेकिन उस वक्त खजाने की लिस्टिंग नहीं हो सकी थी।

साल 2018 में दिया गया था खजाना खोलने का आदेश

साल 2018 में हाईकोर्ट ने खजाना खोलने का आदेश दिया था, लेकिन उस समय कहा गया था कि खजाने की चाबी गुम हो गई है। इस वजह से पूरी प्रकिया अधूरी रह गई थी। मंदिर के नियमों के अनुसार, भंडार या चैंबर की चाबी कलेक्टर के पास होती है। उस समय के तत्कालीन कलेक्टर अरविंद अग्रवाल थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें चाबी की कोई जानकारी नहीं है।

इस मामले ने जब तूल पकड़ा तो तत्कालीन सीएम नवीन पटनायक ने जांच के आदेश दिए थे। वहीं 2018 में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने कहा था कि आखिरी बार 1978 में जब खजाना खोला गया था तो इसमें करीब साढ़े 12 हजार भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होता है) सोन के गहने मिले थे, जिसमें बड़े-बड़े कीमती पत्थर जड़े हुए थे, 21 हजार भरी से ज्यादा चांदी के बर्तन थे और साथ ही सोने के मुकुट और गहने भी शामिल थे, जिनका वजन नहीं किया गया था।

46 साल बाद 14 जुलाई को खुला खजाना

46 साल बाद बीते 14 जुलाई को एक बार फिर भगवान जगन्नाथ मंदिर का खजाना खोला गया। इसके बाद 18 जुलाई को दोबारा खजाना खोलकर कीमती चीजों की शिफ्टिंग की गई। सरकार की एसओपी के मुताबिक, इसके लिए खास तैयारियां की गई थीं। ऐसा माना जा रहा था कि खजाने में जहरीले सांप हो सकते हैं। इसलिए सरकार ने स्नैक हेल्पलाइन के साथ मेडिकल टीम भी तैनात की थी।

रत्न भंडार की चाबियां नहीं थीं, इसलिए ताले को तोड़कर दरवाजा खोला गया। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के प्रमुख अरबिंद पाधी ने बताया कि रत्न भंडार के इनर चैंबर से सभी कीमती सामान एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट हो गया है। इनमें लकड़ी और स्टील की अलमारी और संदूक सहित सात कंटेनर शामिल थे।

एसओपी के अनुसार भीतरी कक्ष और अस्थायी स्ट्रांग रूम दोनों को बंद कर सील कर दिया गया है। वहीं खजाने के बारे में सरकार द्वारा गठित समिति के चेयरमैन न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने कहा कि हमने आंतरिक कक्ष के अंदर जो कुछ देखा, वह गोपनीय है। जिस तरह कोई अपने घर में कीमती सामान का खुलासा नहीं करता, उसी तरह भगवान के खजाने को सार्वजनिक रूप से बताना अनुचित होगा। सभी कीमती चीजें एसओपी के अनुसार शिफ्ट कर दी गई हैं।