नई दिल्ली, 28 जुलाई। Waterlogging in IAS Coaching : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव आईएएस स्टडी सेंटर के बेसमेंट में अचानक पानी भरने के बाद चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया है। इस घटना में दो छात्राओं और एक छात्र की मौत हो गई। एक ओर दिल्ली सरकार ने इस घटना की जांच के लिए मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं तो वहीं कोचिंग में सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और इस घटना के जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
सुबह 10 बजे पढ़ने आए थे लाइब्रेरी
इस घटना में जान गंवाने वाले तीनों छात्रों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल लाया गया है। इस हादसे में जिस छात्र की मौत हुई है, वो केरल का रहने वाला था। नेविन डाल्विन के रूप में हुई है, जोकि बीते आठ महीनों से तैयारी कर रहा था। वह दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा था। डाल्विन पटेल नगर में रहता था और सुबह करीब 10 बजे लाइब्रेरी में पढ़ाई करने आया था। उसके दोस्त मृतक के परिजनों से बात करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके अलावा जिन छात्राओं की मौत हुई उनकी पहचान तान्या सोनी (25) पुत्री विजय कुमार, श्रेया यादव (25) पुत्री राजेंद्र यादव के रूप में हुई है। श्रेया ने जून/जुलाई में ही कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया था। वो यूपी के अंबेडकरनगर जिले के बरसावां हाशिमपुर की रहने वाली थी।
4 मोटर पंप से निकाला गया पानी
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बेसमेंट में इतना पानी भर गया था कि लाइब्रेरी के फर्नीचर तैरने लगे थे। इस कारण भी रेस्क्यू ऑपरेशन में भी बहुत दिक्कत हो रही थी। भारी बारिश के कारण सड़क पर पहले से ही पानी भरा था। ऐसे में बेसमेंट में पानी भरने के बाद उसे निकालने के लिए मोटर पंप का इस्तेमाल किया गया। बताया जा रहा है कि चार मोटर पंप के जरिए पानी निकाला गया।
प्रदर्शन करने वाले छात्र ने क्या बताया?
प्रदर्शन कर कर रहे एक छात्र ने कहा, “यहं 80 फीसदी लाइब्रेरी बेसमेंट में ही हैं। देखने को मिलता है कि थोड़ी ही बारिश के बाद बाढ़ आ जाती है। आज तक इस पर MCD वर्क नहीं कर रही है। ये जिम्मेदारी एमसीडी की है, अगर पानी भर जा रहा है। अगर 10-15 मिनट में दिल्ली में बाढ़ आ जा रही है, सबसे पॉश एरिया है। हम ढाई-तीन लाख रुपये देकर यहां पढ़ाई कर रहे हैं। इसकी जिम्मेदारी एमसीडी की है। यही एमसीडी अगर टपरी वाले से रुपये लेने हो तो बहुत जिम्मेदार है। एक लाइब्रेरी से रेस्क्यू करने में 12-15 घंटे लग गए। 99 फीसदी लोग नहीं बचे हैं।”