नई दिल्ली, 07 मई। Women Indian Army : ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के ज़रिए भारतीय सेना ने जहां नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार किया, वहीं इसके नाम और प्रस्तुतिकरण ने देश के सामने एक सशक्त सांस्कृतिक और रणनीतिक संदेश भी रखा। भारत अब अपनी परंपराओं की रक्षा आधुनिक हथियारों और नेतृत्व के जरिए करेगा, और इस मोर्चे पर बेटियां भी अगली कतार में खड़ी हैं। इसका तगड़ा संदेश भारत ने दे दिया।
पहले तो 26 महिलाओं का सिंदूर उजाड़ने वालों के घर में घुसकर उन्हें मारा गया, फिर इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया और अब भारतीय सेना की 2 जांबाज महिला अधिकारियों को प्रेस ब्रीफिंग के लिए भेजा गया।
प्रेस ब्रीफिंग में जब कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह सामने आईं, तो यह केवल एक सैन्य विवरण साझा करने का अवसर नहीं था, बल्कि एक विचारधारा का मंचन था। सिंदूर अब केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि एक प्रतिज्ञा है।
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना में नेतृत्व की पहचान हैं। उन्होंने 2016 में अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘फोर्स 18’ में भारत का प्रतिनिधित्व कर इतिहास रचा। उनका सैन्य जीवन केवल वर्दी नहीं, परंपरा और समर्पण का वसीयतनामा है। कारगिल युद्ध के समय मात्र 17 वर्ष की आयु में सेना में भर्ती हुईं सोफिया आज भारतीय महिला शक्ति की परिचायक बन चुकी हैं।
प्रतीक बन गईं रणनीति
विंग कमांडर व्योमिका सिंह जिनका नाम ही ‘आकाश’ के पर्याय से जुड़ा है। भारतीय वायुसेना की तेजस्वी पायलट हैं। 2500 से अधिक फ्लाइंग ऑवर्स, अरुणाचल के बीहड़ों में राहत कार्य, और मणिरंग की चढ़ाई। उनका करियर बताता है कि भारतीय नारी अब सीमाओं के आर-पार सोचने और उड़ने लगी है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 26 शहीद जवानों के बलिदान को जिस तरह से सेना ने जवाब में बदला, वह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतावनी है। और जब उसकी ब्रीफिंग दो महिला कमांडर देती हैं, तो यह संदेश और भी स्पष्ट होता है। भारत अब केवल आक्रोश नहीं, नेतृत्व में भी अग्रणी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान ने यह तय कर लिया है कि भारत की अस्मिता से टकराने वालों को केवल जवाब नहीं मिलेगा, बल्कि वह उत्तर अब देश की बेटियां भी देंगी- पूरे आत्मविश्वास, तैयारी और प्रतीकों की शक्ति के साथ।