बेंगलुरु, 16 दिसम्बर| Atul Subhash Suicide Case : बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष खुदकुशी केस की जांच जारी है| पुलिस ने अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया सहित सभी आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है| लेकिन पुलिस सूत्रों का कहना है कि अतुल के भाई विकास मोदी की तरफ से जांच में सहयोग नहीं मिल रहा है| उनके द्वारा केस दर्ज कराए जाने के बाद वो सबूत देने के लिए जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए हैं| उनको पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया गया था|
बेंगलुरु पुलिस को इस बात की पुष्टि करने के लिए सबूत जुटाने की जरूरत है कि सुसाइड नोट की लिखावट अतुल सुभाष से मैच करती है कि नहीं? अतुल के भाई विकास को शिकायत में दर्ज आरोपों के समर्थन में सबूत देने होंगे, जिसमें लिखावट सत्यापन के लिए अतुल द्वारा लिखा गया पत्र भी शामिल (Atul Subhash Suicide Case)है| अभी तक एकत्र किए गए सबूतों को विश्लेषण के लिए पहले ही फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी भेजा जा चुका है|
यहां हैरान करने वाली बात ये है कि पीड़ित परिवार इस मामले में लगातार न्याय की मांग कर रहा है| अतुल की भी आखिरी इच्छा यही थी कि उनको इंसाफ मिले, उनकी पत्नी और उसके परिजनों को कोर्ट उचित सजा (Atul Subhash Suicide Case)दे| यही वजह है कि उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि यदि उनको इंसाफ नहीं मिलता तो उनकी अस्थियां कोर्ट के सामने किसी गटर में बहा दी जाएं| उनके परिजनों ने उनकी अस्थियां संभाल कर रखा है|
निकिता ने अतुल पर लगाया था अप्राकृतिक सेक्स का आरोप
पुलिस जांच में यह भी पता चला है कि निकिता सिंघानिया ने उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में अपने पति अतुल सुभाष के खिलाफ कई मामले दर्ज कराए हैं| इनमें से एक मामला अप्राकृतिक सेक्स का भी था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था| इसके अलावा करीब 10 केस अतुल के खिलाफ किए गए थे| इन मामलों की वजह से अतुल को कई बार बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ता (Atul Subhash Suicide Case)था| इसे लेकर वो काफी परेशान रहा करते थे|
बेंगलुरु पुलिस ने शनिवार को निकिता, उसकी मां और भाई को गुरुग्राम और प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था. स्थानीय अदालत में पेश करने के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था| 34 वर्षीय अतुल सुभाष को 9 दिसंबर को दक्षिण-पूर्व बेंगलुरु के मुन्नेकोलालू में उनके घर में फांसी के फंदे से लटका हुआ पाया गया था. मौत से पहले उन्होंने 40 पेज का सुसाइड नोट लिखा था और एक वीडियो बनाया था|
40 पन्नों के सुसाइड नोट में अतुल ने लगाए थे कई आरोप
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने रविवार को बताया था कि अतुल की पत्नी, सास और साले को गिरफ्तार कर लिया गया है| वे न्यायिक हिरासत में हैं| उन्होंने कहा था, “अतुल सुभाष ने 40 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है| उन्होंने कई मुद्दे उठाए हैं| सबसे महत्वपूर्ण रूप से महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग के बारे में है| उन पर 3 करोड़ रुपए के लिए दबाव डाला गया था|”
बताते चलें कि गिरफ्तारी से पहले निकिता, उसकी मां, भाई और चाचा ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी| शुक्रवार को बेंगलुरु पुलिस ने निकिता सिंघानिया को समन जारी कर तीन दिन के भीतर न्यायालय में पेश होने को कहा था, जिसके बाद यह याचिका दायर की गई थी| रविवार को जौनपुर में निकिता और उसके चाचा सुशील सिंघानिया के घर बंद थे| इसके बाद पुलिस नोटिस चस्पा किया था|
यदि दोषी पाई गई निकिता तो मिल सकती है इतनी सजा
अतुल सुभाष के वीडियो और सुसाइड नोट के आधार पर बेंगलुरु पुलिस ने निकिता और उसके परिवार वालों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत केस दर्ज किया है| बीएनएस की धारा 3(5) कहती है कि जब कई सारे व्यक्ति मिलकर एक ही इरादे से कोई अपराध करते हैं तो उसमें सबकी जिम्मेदारी बराबर की होती है| वहीं, धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगाई गई है|
यदि कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है तो दोषी पाए जाने पर उसे 10 साल की जेल की सजा हो सकती है| इसके साथ ही जुर्माने का प्रावधान भी है| लेकिन इसमें एक पेंच है| इसी 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले को पटलते हुए ये कहा था कि किसी को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि ये साबित ना हो जाए कि वो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट उसकी मौत से ना जुड़ा हो|
ऐसे केस में मौत की टाइमिंग भी एक अहम सबूत साबित होती है| दरअसल गुजरात में एक पत्नी की खुदकुशी के मामले में उसके पति और ससुराल वालों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ था| गुजरात की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई थी| सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया| ऐसे में यही लगता है कि अतुल के ससुराल वालों में से किसी को भी उसकी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाए|