डेस्क, 17 सितंबर। BIG Success Story : निर्भय ठक्कर का करियर ग्राफ बड़े-बड़े चक्कर में पड़ जाते हैं। उन्होंने किशोरावस्था में ही स्कूली शिक्षा के साथ अपना ग्रेजुएशन पूरा कर लिया था। निर्भय ने एक साल में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) डिग्री कोर्स पूरा कर सुर्खियां बटोरी थीं। अमूमन लोग 17 साल की उम्र में स्कूली शिक्षा और 20-23 साल में ग्रेजुएशन पूरा कर पाते हैं। संयोग देखिए कि कुछ साल पहले ही निर्भय को स्कूल में शिक्षकों ने ‘वीक स्टूडेंट’ बताया था।
6 महीने में की 8वीं से 10वीं पास
अकैडमिक इयर 2015-16 में निर्भय को क्लास 8-10 पास करने में सिर्फ छह महीने लगे। फिर 11वीं और 12वीं क्लास पास करने में निर्भय ने केवल 3 महीने लगाए। 2002 में जन्मे निर्भय ने 13 साल की उम्र में एचएससी पूरी कर ली थी। वह सिर्फ 15 साल की उम्र में गुजरात के सबसे कम उम्र के इंजीनियर बन गए थे। उन्हें 4 साल का डिग्री कोर्स पास करने में सिर्फ एक साल लगा था। वह ज्वाइंट एंट्रेस एग्जाम (मेन) में शामिल हुए थे और 75/360 अंक हासिल किए थे।
उन्होंने 2018 में 15 साल की उम्र में गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। निर्भय का इरादा डिग्रियां जुटाने का था। उन्होंने तीन साल के दौरान 10 इंजीनियरिंग डिग्री हासिल करने का लक्ष्य रखा। चार साल में उनकी इंजीनियरिंग की पांच शाखाएं पूरी करने की इच्छा है। इनमें इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, कंप्यूटर, इंस्ट्रूमेंटेशन एंड ऑटोमेशन और केमिकल शामिल हैं।
पिता इंजीनियर मां डॉक्टर
निर्भय के पिता धवल ठक्कर इंजीनियर और मां डॉक्टर हैं। निर्भय ने अपनी स्कूली शिक्षा इंटरनेशनल जनरल सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (आईजीसीएसई) के तहत की। यह तेजी से सीखने वालों को कम समय में स्कूली शिक्षा पूरी करने का मौका देता है। निर्भय अनुसंधान और उत्पाद विकास पर काम करने के लिए प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), गांधीनगर से जुड़े। वह रक्षा क्षेत्र में अगली पीढ़ी की तकनीक पर काम करना चाहते हैं। वह 10 इंजीनियरिंग डिग्रियों के अलावा पीएचडी भी करना चाहते हैं। उन्हें वर्ल्ड एजुकेशन कांग्रेस की ओर से यंग अचीवर अवार्ड मिला था।
इस तरह पार की सीढ़ियां
निर्भय ने पुरस्कार लेते वक्त कहा था कि उनका मानना है कि अगर आप जो पढ़ रहे हैं उसे समझते हैं तो आप किसी भी परीक्षा को पास कर सकते हैं। रटने से कभी भी मदद नहीं मिलती है। इसी तरह उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और जूनियर कॉलेज पास किया। छठी कक्षा तक वह सीबीएसई स्कूल में थे। उस स्कूल में कक्षा VI की पढ़ाई पूरी होने तक स्टूडेंट को किसी भी प्रतियोगिता में भाग लेने की अनुमति नहीं थी। ऐसे में उन्होंने स्कूल बदलने का फैसला किया। उन्होंने एक प्राइवेट कैंडिडेट के तौर पर आईजीसीएसई स्कूल में प्रवेश लिया। इससे उन्हें एक वर्ष में पांच ग्रेड (BIG Success Story) पास करने में मदद मिली।
कोई नहीं होता है कमजोर
निर्भय ठक्कर के मुताबिक, कोई स्टूडेंट तेज या कमजोर नहीं होता है। सबका दिमाग एक जैसा होता है। बात सिर्फ इतनी होती है कि उसको किस तरह प्रोग्राम किया जाता है। वह और ज्यादा छात्रों तक इस समझ को विकसित करना चाहते हैं।