Bilaspur News : बिलासपुर हाई कोर्ट (Bilaspur High Court) के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्वास्थ्य सेवाओं की लचर स्थिति पर कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के अस्पतालों में खरीदी गई महंगी मशीनें केवल शोभा बढ़ाने के लिए नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनसे मरीजों की जांच होनी चाहिए और रिपोर्ट समय पर प्रदान की जानी चाहिए, तभी इनका सही उपयोग संभव है।
राज्य सरकार ने अदालत को जानकारी दी कि जांच के लिए आवश्यक रीएजेंट की कमी को पूरा करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करते हुए बताया कि जिला अस्पताल में सेमी-आटोमेटिक मशीन से जांच जारी है और सिम्स में भी परीक्षण शुरू हो गए हैं।
बिलासपुर सहित प्रदेश के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में थायराइड, खून और पेशाब जैसी जरूरी जांच पिछले कुछ महीनों से बाधित है। इस कारण मरीजों को निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। हाई कोर्ट ने इस लापरवाही पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि खरीदी गई मशीनों का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। नियमित जांच और समय पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग और सरकार की जिम्मेदारी है।
कोर्ट कमिश्नरों ने सौंपी रिपोर्ट (Bilaspur High Court)
कोर्ट कमिश्नरों ने डिवीजन बेंच के समक्ष रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि बायोकेमेस्ट्री मशीन और हार्मोन एनालाइजर मशीन के लिए रीएजेंट की कमी है। ध्यान रहे कि सीजीएमसी ने 19 अप्रैल 2024 को शपथ पत्र में अस्पतालों में रीएजेंट की डिमांड और सप्लाई की जानकारी दी थी। जिसमें बायोकेमेस्ट्री मशीन के लिए 122 की डिमांड में केवल 36 की सप्लाई की गई थी।
हार्मोन एनालाइजर मशीन के लिए 57 में से 39 ही सप्लाई हो पाई थी। शासन के अधिवक्ता ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को रखी गई है।