बिलासपुर, 13 दिसम्बर। Bilaspur High Court On Devendra Yadav : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार हिंसा मामले में जेल में बंद भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की जमानत याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान विधायक के वकील ने कहा कि उन्हें झूठे केस में फंसाया गया है।
राज्य शासन की तरफ से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने विधायक देवेंद्र यादव पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया (Bilaspur High Court On Devendra Yadav)गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस एनके व्यास ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पुलिस ने बलौदाबाजार हिंसा के मामले में भिलाई विधायक देवेंद्र यादव को आरोपी बनाया है। इस मामले में पुलिस ने 4 बार नोटिस जारी किया, लेकिन विधायक ने बयान देने जाने से मना कर दिया था। जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज (Bilaspur High Court On Devendra Yadav)दिया। जेल में बंद विधायक देवेंद्र यादव की जमानत निचली अदालत ने खारिज कर दिया था।
इसके बाद उनके वकील ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की है। इधर, केस में देवेंद्र यादव और ओमप्रकाश बंजारे के खिलाफ पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में 449 पेज का चालान पेश किया है। आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसक प्रदर्शन मामले में आरोपी बनाया है।
17 अगस्त को पुलिसने लिया था गिरफ्तार
विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी 17 अगस्त को भिलाई से हुई, इसके बाद से लगातार न्यायिक रिमांड बढ़ी। वे रायपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं। इस बीच उन्होंने जमानत के लिए कई बार अर्जी लगाई। लेकिन, जमानत नहीं मिल पाई।
भीड़ को उकसाने का आरोप
विधायक देवेंद्र यादव पर हिंसा भड़काने का आरोप (Bilaspur High Court On Devendra Yadav)है। पुलिस का दावा है कि देवेंद्र के खिलाफ पर्याप्त सबूत और गवाह हैं। इसके अलावा पुलिस के पास कुछ वीडियो भी हैं। इसको आधार बनाकर उन्हें हिंसा भड़काने के लिए आरोपी बनाया गया है।
अधिवक्ता ने कहा- झूठे आरोप में फंसा रही पुलिस
विधायक देवेंद्र यादव के वकील ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान तर्क दिया कि, उनके मुवक्किल का इस घटना से कोई संबंध नहीं है। पुलिस उन्हें झूठे केस में फंसा रही है। वकील ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते देवेंद्र यादव को आरोपी बनाया गया है। जबकि, वो घटना के समय वहां मौजूद ही नहीं थे। न ही उनके खिलाफ पुलिस के पास कोई सबूत है।
जबकि, शासन की तरफ से कहा गया कि जांच में हिंसा भड़काने में देवेंद्र यादव की भूमिका सामने आई है। उन्हें जमानत देने से मामले की जांच और गवाह प्रभावित हो सकते हैं। लिहाजा, शासन की तरफ से जमानत का विरोध किया गया। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।