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रायपुर, 19 दिसंबर। CONG Leaders Return Home : छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस बागी नेताओं की घर वापसी कराने जा रही है। जिसकी छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पार्टी से शुरुआत हो चुकी है। स्व.अजीत जोगी की पत्नी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखकर अपनी पार्टी के कांग्रेस में विलय करने की इच्छा जताई है।

डॉ. रेणु जोगी का पत्र

डॉ. रेणु जोगी ने पत्र में कहा गया है कि दोनों पार्टियों की विचारधारा समान है, पार्टी की कोर कमेटी ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि पार्टी का कांग्रेस में विलय हो। उल्लेखनीय है कि जोगी कांग्रेस ने वर्ष 2023 में हुए राज्य के 90 सदस्यीय विधानसभा चुनाव की 77 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए थे, मगर पार्टी का खाता भी नहीं खुला था।

लोकसभा चुनाव नहीं उतारे एक भी प्रत्याशी
वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रत्याशी ही नहीं उतारे थे। उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि उन्हें पत्र प्राप्त हुआ है। 25 दिसंबर के बाद निर्णय लिया जाएगा। बैज ने कहा कि कई लोग संपर्क में हैं। वे कांग्रेस में वापस आना चाहते हैं। भाजपा में उनकी कोई पूछ-परख नहीं है। भाजपा में जाने के बाद उनकी हालत बहुत खराब है। वे न घर के रहे और न ही घाट के हैं। हमारी कमेटी के पास कई नाम आए हैं, जिन पर चर्चा होगी।

पायलट ने 7 नेताओं को दी जिम्मेदारी

कांग्रेस बागियों और भितरघातियों की घर वापसी के लिए प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत समेत 7 नेताओं को जिम्मेदारी दी है। जानकारी के मुताबिक रेणु और अमित जोगी पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं, उन्होंने फिर से कांग्रेस में वापसी की गुजारिश की है।

चरणदास महंत से हुई थी मुलाकात

रायपुर दक्षिण के उपचुनाव से पहले अमित और रेणु जोगी ने नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत से मुलाकात की थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कांग्रेस वापसी की भी चर्चा हुई थी। जेसीसीजे ने दक्षिण उपचुनाव में कांग्रेस को निशर्त समर्थन देने का ऐलान किया था। हालांकि इस समर्थन का कोई फायदा कांग्रेस को नहीं मिला।

पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ की थी बयानबाजी

कांग्रेस में कई नेता ऐसे भी थे जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की थी। इसमें पहला नाम राजनांदगांव के पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुरेन्द्र दाऊ का है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने ही मंच पर कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे।

उन्होंने कहा था कि 5 साल तक हमारी सरकार रही और तब सबसे ज्यादा हम ही प्रताड़ित रहे। मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल से मिलना तक मुश्किल था, तब कार्यकर्ताओं की जरूरत नहीं थी। आज कार्यकर्ताओं की याद आई है।

विनय जायसवाल और बृहस्पति सिंह ने की थी बगावत

इसके अलावा पूर्व विधायक विनय जायसवाल और बृहस्पति सिंह के भी पार्टी विरोधी बयान आए थे। बृहस्पति सिंह ने चुनाव में हार के लिए AICC महासचिव केसी वेणुगोपाल, छत्तीसगढ़ की तत्कालीन प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को जिम्मेदार बताया था।

विनय जायसवाल ने टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी ले लिया था, लेकिन अंतिम समय में नाम वापस ले लिया।

रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी पर एक्शन

पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण बृहस्पति सिंह और विनय जायसवाल के अलावा बिलासपुर मेयर रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद विनय जायसवाल, रामशरण यादव और प्रेमचंद जायसी का निष्कासन समाप्त कर दिया गया, जबकि बृहस्पति सिंह की सदस्यता अभी बहाल नहीं की गई है।

पिता और पुत्र लप 2016 में पार्टी से किया था निष्कासित

बता दें कि कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के साथ अंतागढ़ के उपचुनाव में गड़बड़ी करने के आरोपों पर अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को वर्ष 2016 में पार्टी से निष्कासित किया था। जोगी ने उसी साल अपनी पार्टी बनाई थी। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जोगी ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। गठबंधन को 90 में से सात सीटें मिलीं, जिनमें जोगी की पार्टी की पांच सीटें शामिल थीं। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस (जोगी) के अध्यक्ष दिवंगत अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 1.23 प्रतिशत वोट हासिल किए थे, हालांकि वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी।