नई दिल्ली, 02 अप्रैल। Modi Sarkar : कुछ देर में तय होगा कि देश की सबसे बड़ी और ताकतवर मुस्लिम संस्था वक्फ बोर्ड का वक्त अब बीते दौर की बात है या नहीं। आज लोकसभा में दोपहर 12 बजे वक्फ संशोधन बिल सरकार ला रही है। और वोटिंग के बाद तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल के सबसे अहम बिल पर कल जीत हासिल कर सकती है। अब तक नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, देवगौड़ा, चिराग पासवान, मांझी, जयंत चौधरी की पार्टी ने बिल के समर्थन की हरी झंडी दे दी है। कर्नाटक में सहयोगी दल जेडीएस के दोनों सांसद भी कल वक्फ संशोधन बिल का समर्थन करेंगे।
विपक्ष के हाथ लगी निराशा
कुछ महीने पहले लोकसभा में बहुमत से अपने दम पर बीजेपी के दूर रहने पर राहुल गांधी लगातार तंज कस रहे थे। और कह रहे थे कि हमने नरेंद्र मोदी को साइकोलॉजिकली पूरी तरह उड़ा दिया है। बावजूद पिछले एक साल से कम वक्त में एक तरफ मोदी सरकार हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली तक में चुनाव जीत चुकी है, तो वहीं दूसरी तरफ अब तीसरे कार्यकाल में वक्फ संशोधन से जुड़ा बड़ा बिल लोकसभा में लाकर पास कराने की भी तैयारी कर चुकी है। मतलब बीजेपी मकसद साफ है कि, चुनाव का मैदान हो या फिर संसद में बिल पास कराने का, पीएम मोदी की राजनीति झुकने वाली नहीं है।
वक्फ संशोधन बिल, मुस्लिम आरक्षण और समान नागरिक संहिता, ये वो मुद्दे हैं जिन पर पिछले साल से चर्चा होती आई कि क्या बीजेपी को अपने सहयोगी दलों के साथ इन पर सामंजस्य बैठाना कठिन होगा। अगर कल लोकसभा में पेश होने वाले बिल का ही उदाहरण लें तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर पूरी विपक्ष की राजनीति इसी पर केंद्रित रही कि बिल का विरोध नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू कर दें। लेकिन लगता है कि विरोधियों के दांव को मोदी सरकार चलने नहीं देगी। तभी तो नीतीश कुमार ने बिल को लेकर जो शर्तें सुझाव के तौर पर रखीं, उन्हें बिल में शामिल कर लिया गया। नतीजा ये है कि सूत्रों के मुताबिक नीतीश कुमार की पार्टी ने बिल के समर्थन का फैसला किया है।
नंबर गेम से नहीं बनेगा विपक्ष का खेल
नीतीश कुमार के पलटने का इतिहास देखकर इस बार विपक्ष को लगा होगा कि इफ्तार पार्टियां करते सुशासन बाबू क्या पता फिर पलटेंगे इसीलिए ओवैसी की पार्टी के नेता तक नीतीश कुमार को मुस्लिम वोट के नाम पर बीजेपी के खिलाफ जगाने में अंत तक जुटे रहे। विपक्ष नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के भरोसे ही किसी तरह वक्फ बिल को रोकने में इसलिए लगा रहा क्योंकि नंबर गेम में विपक्ष की चलने वाली नहीं है।
लोकसभा में NDA के 293 सांसद हैं। इंडिया गठबंधन के पास 235 सांसद हैं, जिसस में अन्य को भी जोड़ दें तो ये संख्या 249 तक ही जाती है। जबकि बहुमत का नंबर 272 है। विपक्ष को लगता रहा कि अगर 16 सांसद वाली टीडीपी और 12 सांसद वाली जेडीयू वक्फ बिल का विरोध कर दें तो गेम पलट सकता है क्योंकि तब NDA का नंबर घटकर 265 हो जाएगा और बिल के विरोध में नंबर 277 पहुंच जाएगा।
सरकार ने मानी नीतीश की सभी मांगें
नीतीश कुमार चाहते थे कि जमीन राज्य का मामला है, वक्फ की जमीन को लेकर राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र बना रहे। वक्फ बिल में ये बात मान ली गई है। नीतीश कुमार चाहते थे कि नया कानून पुरानी तारीख से लागू ना हो, पुरानी मस्जिदों, दरगाह या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों से छेड़छाड़ ना हो, ये बात भी बिल में मानी गई है। साथ ही वक्फ की संपत्ति है या नहीं ये तय करने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर रैंक से ऊपर के अधिकारी को नियुक्त कर सके। इस मांग को भी मान लिया गया है। यानी मुफ्ती हों या मौलाना हों या फिर विपक्ष के दांव पेच हो, फिलहाल वक्फ संशोधन बिल को लेकर मोदी के समर्थन का जो हाथ नीतीश कुमार ने पकड़ा, उसे कोई हिला या डिगा नहीं पा रहा है।