असम, 20 जनवरी| Non-Bailable FIR Against Rahul Gandhi : लोकसभा में विपक्ष के नेता और रायबरेली से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक बार फिर अपनी बयानबाजी के चलते मुश्किलों में फंस गए हैं। दिल्ली में कांग्रेस के नए कार्यालय के उद्घाटन के दौरान उन्होंने कुछ ऐसा कहा था, जिसकी वजह से उनके खिलाफ गैर जमानती एफआईआर दर्ज की गई है।
राहुल गांधी ने कहा था कि “भाजपा और आरएसएस ने हर एक संस्थान पर कब्जा कर लिया है, और अब हम भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य से ही लड़ रहे हैं।” गुवाहाटी के पान बाजार पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
राहुल गांधी ने यह बयान 15 जनवरी, 2025 को दिल्ली के कोटला रोड पर कांग्रेस पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान दिया था। एफआईआर बीएनएस की धारा 152 और 197 (1) डी के तहत “भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों” के लिए दर्ज की गई (Non-Bailable FIR Against Rahul Gandhi)है। यह एक संज्ञेय और गैर-जमानती धारा है।
शिकायतकर्ता के आरोप
शिकायतकर्ता मोनजीत चेतिया ने आरोप लगाया कि गांधी का बयान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाओं से परे था और सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करता (Non-Bailable FIR Against Rahul Gandhi) है। चेतिया ने दावा किया कि राहुल के शब्द राज्य के अधिकार को अवैध ठहराने का प्रयास थे, जिससे एक खतरनाक नैरेटिव तैयार हो रहा था, जो अशांति और अलगाववादी भावनाओं को भड़का सकता था।
एफआईर में क्या?
एफआईआर के अनुसार अपनी शिकायतों में चेतिया ने कहा, “यह घोषित करके कि उनकी लड़ाई “भारतीय राज्य” के खिलाफ है, आरोपी ने जानबूझकर लोगों के बीच विध्वंसक गतिविधियों और विद्रोह को उकसाया है। यह राज्य के अधिकार को कमतर आंकने और इसे एक शत्रुतापूर्ण शक्ति के रूप में चित्रित करने का एक प्रयास (Non-Bailable FIR Against Rahul Gandhi)है, जिससे एक खतरनाक नैरेटिव तैयार हो सकता है, जो अशांति और अलगाववादी भावनाओं को भड़का सकता है।”
चेतिया ने यह भी सुझाव दिया कि गांधी की टिप्पणी बार-बार चुनावी विफलताओं से हताशा से प्रेरित थी। विपक्ष के नेता के रूप में, गांधी की लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी है, लेकिन इसके बजाय, उन्होंने झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने के लिए अपने मंच का फायदा उठाना चुना, जिससे भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई।
बीएनएस की धारा 152 के तहत कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता ने कहा, “लोकतांत्रिक तरीकों से जनता का विश्वास जीतने में विफल रहने के बाद, राहुल अब केंद्र सरकार और भारतीय राज्य के खिलाफ असंतोष भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष के नेता के रूप में उनकी स्थिति को देखते हुए यह व्यवहार विशेष रूप से चिंताजनक है।
विपक्ष के नेता के साथ लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास बनाए रखने की जिम्मेदारी भी जुड़ी है। इसके बजाय, राहुल ने झूठ फैलाने और विद्रोह भड़काने के लिए अपने मंच का फायदा उठाना चुना है, जिससे भारत की एकता और संप्रभुता खतरे में पड़ गई है।” चेतिया ने शिकायत की कि राहुल गांधी की टिप्पणी भारतीय राज्य की अखंडता और स्थिरता के लिए एक सीधी चुनौती है, जिसके लिए बीएनएस की धारा 152 के तहत तत्काल कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।
राहुल ने क्या कहा था?
राहुल गांधी ने हालिया विधानसभा चुनावों का हवाला देते हुए चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर बुधवार (15 जनवरी) को सवाल खड़े किए और कहा कि उनकी लड़ाई सिर्फ भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से नहीं, बल्कि ‘इंडियन स्टेट’ (भारतीय राज व्यवस्था) से भी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने पार्टी के नए मुख्यालय के उद्घाटन के बाद यह दावा भी किया कि भारत की चुनाव प्रणाली में गंभीर समस्या है।
गांधी ने कांग्रेस के नए मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ में पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘यह मत सोचिए कि हम निष्पक्ष स्थिति वाली लड़ाई लड़ रहे हैं। यदि आप मानते हैं कि हम सिर्फ भाजपा नामक राजनीतिक संगठन और आरएसएस के खिलाफ लड़ रहे हैं, तो ऐसा नहीं है, क्योंकि उन्होंने हमारे देश की लगभग हर संस्था पर कब्जा कर लिया है।’